शनिवार, 23 दिसंबर 2023

कमरा तभी मिलेगा

जिंदगी_के_झरोखे_से -
रामगोपाल जी कहेंगे तभी कमरा मिलेगा
(Role of a villain, I. e., a leader) 
आप बीती..  (By Chandra Prakash Rai Sir) 

यह तब की बात है जब हमारी उत्तर प्रदेश में सरकार थी ।मेरी पत्नी लगातार बहुत बीमार थी और प्राइवेट इलाज की हैसियत नही थी तो आल इंडिया मेडिकल इन्स्टिट्यूट दिल्ली के लगातार चक्कर लग रहे थे , उसी समय कई बार डाक्टर रुकने और अगले दिन फिर आने को या असर देखने को बोलते थे । अपनी सरकार थी तो फ़ोन कर दिया की यू पी भवन मे कमरा मिल जाये क्योकी होटल बहुत महंगा होता है और दिल्ली के लिहाज से यू पी भवन सस्ता पड़ता था पर उधर से कमरे के लिए मना कर दिया जाता ।2/ 3बार ऐसा होने पर अगले बार मैं भवन ही पहुच गया और देखा की कई कमरे खाली थे और लोगो को मिल रहे थे ।तब मैं मैनेजर के पास गया और बताया भी की मेरी ये परिस्थिती है और इसके कारण आना पड़ रहा है दिल्ली । उन्होने जवाब दिया की रामगोपाल जी से कहलवा दीजिये तभी कमरा मिलेगा । मैने पूछा भी की रामगोपाल जी न तो इस विभाग के मंत्री है और न कमरे तय करना उनका काम है तो उनकी इजाजत क्यो जरूरी है ।तब उसने असमर्थता व्यक्त कर दिया की आप की जरूरत और परिस्थिती मैं समझ रहा हूँ और दूसरे को न मिले पर आप को कमरा मिलना चाहिये पर मैं मजबूर हूँ बिना उनके कहे कमरा नही दे सकता ।
वही से मैने रामगोपाल जी को फ़ोन मिलाया की मेरी पत्नी की तबियत बहुत खराब है और उनके इलाज के लिए यहा अक्सर आना होता है और कई बार मजबूरी मे रुकना होता है पर भवन वाले खाली होने पर भी कमरा नही दे रहे और कह रहे है की जब तक आप नही कहोगे मुझे कमरा नही देंगे ।
रामगोपाल जी बोले मुझसे क्या मतलब,तो मैने कहा की यही बैठा हूँ यही बात आप इनसे कह दो मैं फ़ोन दे रहा हूँ । पर रामगोपाल ने ये कह कर की मैं कुछ क्यो कहूँ फ़ोन काट दिया और फिर फ़ोन उठाया ही नही ।
और फिर हम सुबह उठ कर 5 बजे निकलते और दिखा कर वापस लौटते और यही क्रम चलता रहा पर जब तक रामगोपाल की चली मुझे इलाज के लिए भी कमरा नही मिला मेरी पत्नी के मर जाने तक ।
कितने महान लोग नेता बन गए है और दल उन्हे पिछ्ले 5 बार से राज्य सभा भेज रहा है ।
(मैने पहले उनके नाम के साथ जी लगाया ये मेरा संस्कार है पर आखिर मे दो बार नही लगाया क्यो वो इसके लायक नही है ? 
डा लोहिया ने अन्दोलन चलाया था और राजनारायण जी इत्यादि ने सर्किट हाऊस और गेस्ट हाउस के ताले तोड़े थे और जेल गए थे की सारे गेस्ट हाउस जनता के पैसे से बने है इसलिए जनता की सम्पत्ति है और कोइ भी उसका शुल्क देकर रुक सकता है और तब यह नियम बनाना पडा सरकार को वर्ना विपक्षी नेताओ को कमरा नही मिलता था ।
पर नकली लोहियावादीयो ने लोहिया के उस आन्दोलन और उनकी सारी मंशा पर खूब थूका और लगातार थूका ।

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