शनिवार, 23 दिसंबर 2023

विद्यचरन शुक्ला

#जिंदगी_के_झरोखे_से 

उम्र मे बड़े पर मुझे अपना मित्र मानने वाले विद्याचरण शुक्ल जो 1957 मे पहली बार सांसद बने तो करीब 60 साल तक राजनीती के आसमान पर छाये रहे ।जिनके पिता मध्यप्रदेश के पहले मुख्यमंत्री थे तो बड़े भाई भी कई बार मुख्यमंत्री रहे, जो भारत सरकार के करीब हर मंत्रालय के मंत्री रहे ।
उम्र मे बड़े थे पर जब पहला परिचय हुआ और दिल्ली मे राष्ट्रपति भवन परिसर वाले घर से मुलाकातो का सिलसिला चल निकला तो मेरा परिचय वह अपने मित्र के रूप मे करवाते थे । जब मिलते तो खूब बाते होती थी । 
कभी भी किसी भी काम के लिए चिट्ठी लिखने या जरूरत पर कई फ़ोन भी करना पडे तो उनको कोई हिचक नही थी । 
एक बार जब वो जनपथ पर सोनिया गांधी के सामने वाले घर मे मिलने गया ,वो केन्द्र मे मंत्री थी किसी ने जो वहाँ से निकल रहे थे मुझे उनके घर मे जाते देख लिया तो मेरा नाम लेकर अंदर आ गए और मुझसे मिलने पर अपना कुछ काम बताया । परिचित थे तो आदतन मैने तुरंत अंदर जाकर विद्या भैया से उनके बारे मे बताया  , बिना देरी के उन्होने तुरंत फ़ोन मिला दिया और पूरी मजबूती से उस काम के लिए कह दिया और काम हो भी गया 24 घंटे मे ही ,ये अलग बात है की जिनका काम वो हुआ था वो उन्होने पहचानना भी बंद कर दिया था ।
उनको मैने जब भी देखा तो अगर टीवी देखने की इच्छा हुई तो कुछ खास घटनाओ के समय को छोडकर ज्यादातर टीवी पर डिस्कवरी चेनल देखते हुये देखा ।
योग करना उनकी जीवन चर्या का अंग था । एक बार किसी योगी से मिलने मथुरा के पास कही आये तो फ़ोन किया की आप की क्षेत्र मे आ रहा हूँ , घर आऊँगा चाय पीने या भोजन का समय हो गया तो भोजन करूँगा ।
इनके परिवार की एक शादी पड़ गई आगरा मे और वो भी मेरे मित्र आयकर अधिकारी की बेटी से तो खुद किन्ही कारणो से नही आ पाये पर श्यामा चरण जी और बाकी सभी आये थे । उन्होने फ़ोन किया इस शादी के बारे मे ,अपनी तरफ से निमन्त्रण दिया और बताया की बेटियाँ जा रही है मिल लीजियेगा और कोई जरूरत हो या कही जाना चाहे वो लोग तो आप देख लीजियेगा ।
अफसोस आतंकवादियो ने उनको हम लोगो से छीन लिया ।
उनकी कल 2 अगस्त को जयंती है । 
उनकी यादो को नमन ।

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