शनिवार, 23 दिसंबर 2023

मैनपुरी रैली

यादों से :

काश ये गठबंधन बचा रह जाता ?

हम भी थे इस 1992 की ऐतिहासिक पहली नेताजी और काशीराम जी की संयुक्त रैली में । पंर पहचानना मुश्किल है ।क्या हमें कोई पहचान सकता है ?
1992 में पैदा हुए या जो उस वक्त घुटने चलते थे वे पूछते है आप कौन और आप का क्या योगदान ?

पहले मंच इतने छोटे और सादा होते थे । सामने बड़ा घेरा भी नहीं होता था पर भीड़ खूब होती थी जो कार्यक्रम ख़त्म होते ही मंच के पास आ जाति थी 
और 
नेता को अपनी भीड़ से ना बदबू आती थी और ना उसके घेरे में परेशानी होती थी 

और 
पैसा नहीं होने के बावजूद कार्यकर्ता के भरोसे चुनाव जीत लिया जाता था ।

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