शनिवार, 23 दिसंबर 2023

यथार्थ के आसपास का लोकार्पण

#जिन्दगी_के_झरोखे_से--
जब मेरी काव्य पुस्तक  :यथार्थ के आसपास: का लोकार्पण किया था #मुलायम_सिंह_यादव जी ने --
वो 11 नवम्बर 2012 का दिन था जब मुलायम सिंह यादव जी लखनऊ से केवल मेरी काव्य पुस्तक #यथार्थ_के_आसपास का लोकार्पण करने के लिए आगरा आये थे और उन्होने करीब 3 घंटे का समय लोकार्पण कार्यक्रम को दिया और फिर डेढ़ घन्टा मेरे घर पर भोजन तथा मेरे परिवार से बातचीत को ।
इस समारोह में मुलायम सिंह यादव ने जी ने ऐसा भाषण दिया की लोग आश्चर्यचकित रह गए ,यहाँ कोई राजनैतिक नेता नहीं बल्कि  एक साहित्यप्रेमी बोल रहा था और उस दिन वो भावनाओ मे बह कर दिल से बोल रहे थे , तभी तो ऐसी बाते कर गए जो कोई नेता नही कहता है और 45 मिनट के भाषण मे 3/4 बार भाऊक भी हो गए जिसमे आंखे भीग गई थी । 
उन्होने भाषण प्रारंभ करते हुये मंच और उपस्थित लोगो को संबोधित करने के बाद बोले की आज सी पी राय ने अपने इस कार्यक्रम मे मुझे बुला का मेरा सम्मान बढाया है । हो सकता है की आप लोगो को नही पता हो पर मैं अच्छी तरह जानता हूँ की सी पी राय का देश के बड़े बड़े लोगो से बहुत अच्छे सम्बंध है और वो चाहते तो किसी भी बड़े से बड़े आदमी से अपनी पुस्तक का लोकार्पण करवा सकते थे पर उन्होने मुझे बुला कर मुझे सम्मानित किया है । आज यहा मैं देख रहा हूँ की पद्मश्री प्राप्त साहित्यकार से लेकर कुलपति ,इतने प्रधानाचार्य ,प्रोफेसर,सभी बड़े डाक्टर , वकील , कवि , साहित्यकार , शहर के सभी जाने माने लोग मौजूद है और इतनी बडी संख्या मे है की हाल छोटा पड़ गया और काफी ज्यादा लोग बाहर ही रह गए ।सी पी राय का जो सम्मान समाज मे है और शिक्षा तथा साहित्य मे है वो इन्हे राजनीती मे नही मिल पाया । मैं मानता हूँ की इन्होने मेरे लिए और पार्टी के बहुत कुछ किया पर आज आप सभी के सामने मैं स्वीकार करता हूँ की मैने इनके साथ न्याय नही किया पर अब आप सबके सामने कहना चाहता हूँ की अब सी पी राय को सूद समेत सम्मान और स्थान राजनीती मे भी दिलवाऊंगा । 
इसके बाद वो भावना मे बह गए और बताने लगे कि आप लोग नही जानते होंगे की इन्होने दल और मेरे लिए क्या क्या किया है और फिर मेरे द्वारा किये गए काम और योगदान गिनवाने लगे कि कैसे बुरे वक्त मे क्या क्या किया ,क्या क्या योगदान दिया ,कैसे  भीड इकट्ठी कर लिया करते थे और कैसे मेरी सभाए और तमाम कार्यक्रम सफल बना देते थे ,फिर अचानक मेरी पत्नी को याद किया की वो आज दुनिया मे नही है और आप लोग जानते ही होंगे कि वो मुझे राखी बांधती थी ।ऐसी ही तमाम बातो के बाद वो मेरी किताब की कविताओ पर आ गए और चूंकि किताब पढ कर आये थे तो कई कविताओ का जिक्र कर उसकी प्रशंसा किया और ये भी कहा कि इस किताब मे मुझसे और पार्टी से शिकायत भी इशारे मे कर दी गई है ।
भाषण मे तीन बार वो भाऊक हो गए ।
कोई नेता कभी अपने किसी कार्यकर्ता के योगदान की चर्चा नही करता और ऐसे कार्यो की तो बिल्कुल नही जिससे ये पता चाले की अरे ये सब काम नेता के नही बल्की इस कार्यकर्ता की सोच के या योगदान के थे ।
पर भावना मे बह कर उन्होने वो सब कह दिया और ये भी स्वीकार कर लिया की तब तक उन्होने मुझे धोखा दिया था और ये वादा भी की अब ऐस नही होगा बल्की मुझे मेरा सब हक सूद सहित वो अब दिलवायेंगे ।
कार्यक्रम से वापस जाने के बाद महीनो तक जो भी उनसे मिलता उसके मेरे इस कार्यक्रम के बारे मे बताते और कहते की इतना भव्य कार्यक्रम उन्होने कभी नही देखा था । उनसे मिलने गई एक बडी राष्ट्रीय कवयित्री से उन्होने कहा की आप भी वैसा कार्यक्रम कभी करो । 
ये अलग बात है की कुछ दिन मे जब वादा निभाने और न्याय करने का सवाल आया तो पहले की ही तरह मुलायम सिंह यादव जी सब भूल गए और 2012, 2014 तथा 2016 तीन मौके आये पर वो पिछ्ले इतने सालो की तरह इन सालो मे भी भूले ही रहे ।
कार्यक्रम को हिंदुस्तान समूह के प्रधान संपादक शशिशेखर जी ने संबोधित की और वो तो बहुत अच्छे वक्ता है ही की जहा बोलते है छा जाते है पर उस दिन उन्होने मेरे साथ 70 के दशक के रिश्तो का कुछ ज्यादा ही निर्वाह कर दिया जो मन को भिगो गया । 
सरकार मे मंत्री अरिदमन सिंह , कुलपति ड़ा वी के सिंह , अंतरराष्ट्रीय ख्याति के होम्योपैथी डाक्टर डा पारीख ने भी संबोधित किया ।
हिन्दी संस्थान के निदेशक ड़ा हरिमोहन शर्मा जी ने पुस्तक की समीक्षा करते हुए गागर में सागर भर दिया और मेरी कविताओ को अर्थ दे दिया । 
स्वतंत्रता सेनानी और खुद भी कवयित्री रानी सरोज गौरहारी जी ने भी आशीर्वाद दिया तो सबसे बड़ा आशीर्वाद मंच पर मेरी माँ का था ,और कार्यक्रम का संचालन नाट्यकर्मी ,इप्टा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और आगरा विवि मे रूसी भाषा विभाग के प्रोफेसर जितेन्द्र रघुवंशी ने किया था ।
मेरा भी आत्मपरिचय और पुस्तक परिचय का प्रारम्भ मे ही उद्बोधन हुआ ।
कार्यक्रम से पहले मुलायम सिंह यादव का उपस्थित सभी महत्वपुर्ण लोगो ने स्वागत किया था ।
समरोह में पद्मश्री लाल बहादुर सिंह चौहान , शारदा विश्वविद्यालय के कुलपति ,आगरा के बडी संख्या मे प्रोफ़ेसर , कालेजो के प्राचार्य , शिक्षक , सभी बड़े  डाक्टर ,वकील , कवि  लेखक ,व्यापारी , उद्योगपति , समाजसेवी बड़ी संख्या में मौजूद थे । लोगो का स्नेह था की केवल फ़ोन पर मेसेज से आग्रह कर देने पर भी ये सभी सैकड़ो लोग पधारे  । 
तीनो बच्चे ख़ुशी बांटने को कार्यक्रम मे मौजूद थे ।
कार्यक्रम के बाद मुलायम सिंह यादव जी घर आये और उन्होने पहले ही कह दिया था प्रशासन से भी और मुझसे भी कि घर मे किसी को को नही आने देना है , मैं परिवार से मिलने आ रहा हूँ ।
घर भोजन किया ,बच्चो से बातचीत किया और फिर वापस लखनऊ चाले गए ।
इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया ने लाइव कवरेज के साथ दिल्ली से लेकर पूरे उत्तर प्रदेश में जिस तरह बड़ा कवरेज दिया वो भी उनका मेरे साथ स्नेह था ,सहारा और इटीवी ने लाइव प्रसारण किया था इस कार्यक्रम का शायद मेरी मित्रता के कारण वर्ना पुस्तक लोकार्पण का लाइव प्रसारण कौन करता है ।

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