आइए अपने बच्चों को मानसिक तौर पर तानाशाही और ग़ुलामी की ज़ंजीरो में जकड़ी ज़िंदगी के लिए तैयार करे
उन्हें बताए की वो एक मशीनी ज़िंदगी जीने की आदत डाले
उन्हें बताए की वो दिमाग़ का इस्तेमाल करना भी बंद करना सीखे
उन्हें बताए की वो ज़ुबान सिल कर जीना सीखे
उन्हें बताए की एक तरह का कपड़ा , एक तरह की बात , एक ही तरह का खाना और वो सब जो हुक्मरान बताए उसे ज्यों का त्यों स्वीकार करना सीखे
तभी ज़िंदा रह पाएँगे हमारे बच्चे ।
समाज हो या सरकार, आगे तभी बढ़ सकते हैं, जब उनके पास सपने हों, वे सिद्धांतों कि कसौटी पर कसे हुए हो और उन सपनों को यथार्थ में बदलने का संकल्प हो| आजकल सपने रहे नहीं, सिद्धांतों से लगता है किसी का मतलब नहीं, फिर संकल्प कहाँ होगा ? चारों तरफ विश्वास का संकट दिखाई पड़ रहा है| ऐसे में आइये एक अभियान छेड़ें और लोगों को बताएं कि सपने बोलते हैं, सिद्धांत तौलते हैं और संकल्प राह खोलते हैं| हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं और कहेंगे, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा|
सोमवार, 5 अगस्त 2019
आशंकाए और भविष्य
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