भारत मूर्तिपूजक देश है और बड़े पैमाने पर नही भी है
पर सभी मिलकर कभी कभी किसी इन्सान को मूर्ती मान लेते है
और भूल जाते है की सम्पूर्ण भारत मे कोई एक मूर्ती नही पूजी जाती ।यहा तक की क्षेत्र और गांव के भी अपने अपने देव और देवी है
इतने देव बना दिये है की नाम भले याद न रहे पर कोई एक देव जो चाहे वो न कर दे
हमारे धर्मग्रन्थ उनमे भी विवादो से भरे है
तो कोई एक इन्सान सर्वसम्मति मूर्ती बनने की कल्पना भी कैसे कर सकता है ?
यहा राम आये , कृष्ण आये ,महावीर और बुद्ध तथा नानक आये पर सबको तो कोई न बदल पाया न अपना बना पाया ।
कुछ इसी पृष्टीभूमि पर सोचने की जरूरत है आज ।
समाज हो या सरकार, आगे तभी बढ़ सकते हैं, जब उनके पास सपने हों, वे सिद्धांतों कि कसौटी पर कसे हुए हो और उन सपनों को यथार्थ में बदलने का संकल्प हो| आजकल सपने रहे नहीं, सिद्धांतों से लगता है किसी का मतलब नहीं, फिर संकल्प कहाँ होगा ? चारों तरफ विश्वास का संकट दिखाई पड़ रहा है| ऐसे में आइये एक अभियान छेड़ें और लोगों को बताएं कि सपने बोलते हैं, सिद्धांत तौलते हैं और संकल्प राह खोलते हैं| हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं और कहेंगे, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा|
मंगलवार, 13 अगस्त 2019
भारत मूर्तिपूजक देश
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें