किसी दुकांन , मिल , फैक्टरी ,माल मे आग लग जाये या चोरी हो जाये तो उसकी असली कीमत से ज्यादा इन्श्योरेन्स से मिल जाता है
पर किसी किसान की फसल आवारा पशु खा जाये ,बाढ आ जाये , सूखा पड जाये , आग लग जाये तो उसके हाथ क्या लगता है ?
की अगली फसल तक उसे भूखा ही रहना होता है ।
समाज हो या सरकार, आगे तभी बढ़ सकते हैं, जब उनके पास सपने हों, वे सिद्धांतों कि कसौटी पर कसे हुए हो और उन सपनों को यथार्थ में बदलने का संकल्प हो| आजकल सपने रहे नहीं, सिद्धांतों से लगता है किसी का मतलब नहीं, फिर संकल्प कहाँ होगा ? चारों तरफ विश्वास का संकट दिखाई पड़ रहा है| ऐसे में आइये एक अभियान छेड़ें और लोगों को बताएं कि सपने बोलते हैं, सिद्धांत तौलते हैं और संकल्प राह खोलते हैं| हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं और कहेंगे, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा|
शुक्रवार, 2 अगस्त 2019
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