बुधवार, 19 अगस्त 2015

पुराने ज़माने से हमें सिखाया गया की राजनीती और शासन में लोकलाज बहुत महत्वपूर्ण है और ये भी की जनभावना का आदर किये बिना नहीं चला जा सकता ।
जनभावना वाले सवाल पर मेरा एतराज था की लीडर को लीड कर करना चाहिए और चाहे जितना नुकसान हो जाये समाज के साथ भावना में बहने लगने के स्थान पर सही स्टैंड पर कायम रहना चाहिए ।

पर लोकलाज का मैं समर्थक हूँ ।

लेकिन बहुत अफ़सोस के साथ लिख रहा हूँ की बहुत से बड़े लोगो ने ही लोकलाज को ताक पर रख देने का जैसे बीड़ा ही उठा लिया है और वो समझ ही नहीं रहे है की आज का समाज कहा पहुँच गया है और उनका कदम और वक्तव्य आत्मघाती है ।

पर मुझे क्या । अदना सा आदमी हूँ । लिख कर कर्तव्य पूरा कर दे रहा हूँ ।

कोई खास सन्दर्भ नहीं बस यूँ ही ।

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