शुक्रवार, 7 अगस्त 2015

पता नहीं भारतीय राजनीती का क्या दुर्भाग्य है की भारी जन समर्थन प्राप्त हर नायक और बड़ा बनने या युगांतकारी परिवर्तन करने का अवसर खो देता है अल्प दृष्टि और छोटे सोच के लोगों के चक्कर में ।

पता नहीं जनता के साथ ये छल कब तक होता रहेगा और कार्यकर्ताओ के साथ भी ।

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