शुक्रवार, 7 अगस्त 2015

60 साल तक लोगो की उपेक्षा ,अंहकार से चूर और केवल लूट में मस्त रहने वाले ये अफसर अवकाश प्राप्त करते ही फिर आयोगों का अध्यक्ष क्यों बना दिए जाते है ?

60 साल में भी पेट नहीं भरा की फिर नया चारागाह तलाश लिया और उनकी तलाश राजनीतिक तकते पूरी करती है ।

जबकि राजनीतिक लोगो में भी बहुत से बहुत ज्यादा योग्य और ईमानदार लोग भी है जो तथाकथित सिद्धांतो के लिए जीवन दाव पर लगा कर बैठे है ।

पता नहीं राजनीतिक नेताओ में से अपने और अपनों के प्रति हीनता का भाव कब निकलेगा और सिद्ध चोरो के मुकाबले अपनों की ईमानदारी पर विश्वास कब पैदा होगा ?~

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