शुक्रवार, 7 अगस्त 2015

अज़ब बौद्धिक दिवलिया हो गया है देश और गंवार को  कोई शक शुबहा नहीं सब ग़लतफ़हमी और आँखों पर चश्मे विद्वानों के ही है ।
हे मर्यादापुरुषोत्तम राम जिसने बाप के आदेश पर देश छोड़ दिया और एक देश जीत कर भी कब्ज़ा नहीं किया बल्कि वही के उचिट व्यक्ति को सौंप दिया ,हे बड़े दिन और दिमाग वाले कृष्ण जिसने कुछ अपने लिए नहीं किया सब दूसरो के लिए किया और बडी सत्ताओ से टकरा गया और जो समपूर्ण प्रेम का प्रतीक था और हे शिव शकर जिसका न आदि है न अंत है और जिसने प्रेम किये तो परवाह नहीं किया और क्रोध किया तो परवाह नहीं किया बल्कि हर चीज से सम्पूर्ण न्याय किया आप तीनो बताओ मैं इस हालात में मैं क्या करूँ ?
समझने वाले ही कमेंट करे प्लीज़ ।

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