अंधभक्त कैसे भी हो राजनीतिक जातिगत धार्मिक या सामाजिक और किसी के भी हो वो लोकतन्त्र को बर्बाद करते है और विकास के रस्ते को भी अवरुद्ध करते है ।
सबकी बात कर रहा हूँ ।स्वस्थ और खुली बहस और गलत के खिलाफ जब चुनौतीपूर्ण अलीचना बंद हो जाती है तो आप जिसके भी भक्त है उसे तानाशाही पूर्ण व्यवहार करने की तरफ खुद धकेल रहे होते है ।
(आज के चिंतन से और चिंता से )
समाज हो या सरकार, आगे तभी बढ़ सकते हैं, जब उनके पास सपने हों, वे सिद्धांतों कि कसौटी पर कसे हुए हो और उन सपनों को यथार्थ में बदलने का संकल्प हो| आजकल सपने रहे नहीं, सिद्धांतों से लगता है किसी का मतलब नहीं, फिर संकल्प कहाँ होगा ? चारों तरफ विश्वास का संकट दिखाई पड़ रहा है| ऐसे में आइये एक अभियान छेड़ें और लोगों को बताएं कि सपने बोलते हैं, सिद्धांत तौलते हैं और संकल्प राह खोलते हैं| हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं और कहेंगे, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा|
बुधवार, 19 अगस्त 2015
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