गुरुवार, 24 अक्तूबर 2013

मैं देख रहा हूँ की इस बार एक सरकार में ऐसे लोगो की संख्या काफी बढ़ गयी है जो अगर आप से पैसा न मिले तो आप की नमस्ते भी नहीं लेंगे | ऐसे मंत्रियो की फ़ौज से चुनाव कैसे जीता जाये | और अधिकारी तो भ्रस्ताचार के कीचड में अन्दर तक धंसे हुए भैंसे हैं जिनकी सफाई का इन्त्जाम किसी के पास नहीं है | कुछ मंत्री तो चुनाव भी जीतना चाहते है पर अपनों के रिश्तेदारों से भी पैसे वसूल कर |वक्त आने पर हिसाब तो होगा |बहुत से है जो दिन रात केवल अपने जमीर और नेता को बेच रहे है | जहा कमाने वाला केवल एक और बाकि सब केवल बर्बाद करने वाले हो वहा का परिणाम तो आसानी से समझा जा सकता है |
ये एक प्रदेश का किस्सा है जो बार बार दुहराया जाता है | साल पूरा होते होते जनता भगाने की बात करने लगती है | कोई बात नहीं लगे रहो लुटेरो |

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