रविवार, 13 अक्तूबर 2013

रावण को जलाने के स्थान पर हम अपनी बुराइयो को जला देते तो कैसा होता ? घूस लेने और देने के इरादे को जला देते तो कैसा होता ? जमाखोरी ,मुनाफाखोरी ,मिलावटखोरी के कारोबार को जला देते तो कैसा हो ? जाती और धर्म के नाम पर पनपने वाली नफरत को जला देते तो कैसा होता ? धर्म और जाति के नाम पर वोट डालना हो या चाहे कितना गलत आदमी हो पर पार्टी के नाम पर उसे वोट देने की आदत को जला देते तो कैसा होता ? सरकारी तंत्र में बैठे चोरो को मालिक समझाने की मानसिकता को जला दे तो कैसा हो ? कोख में बेटियों को मारने की इच्छा जला दे ,वातावरण को प्रदूषित करने की आदत को जला दे तो कैसा हो ?
पर हम इन सभी को नहीं जलाएंगे ;;; बस जलाएंगे हर साल पुतले और रावण को असली रावण को भूज जायेंगे एक वर्ष तक और खुद रावण से भी बड़े रावण बन जायेंगे और करते रहेंगे उससे भी बहुत ज्यादा और बहुत बुरे काम |
फिर एक दिन पुँतला जलाने के लिए जैसे सारे पाप कर हम धोने चले जाते है किसी पवित्र स्थान पर या किसी देवी या देवता के सामने और वहा से लौट कर फिर तरोताजा होकर करने लगते है सारे पाप फिर से |
मैं ऐसे नकली दशहरे की शुभकामना कैसे दूँ ?? दूंगा जिस दिन असली रावण मरेगा ,जलेगा |

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