रविवार, 20 अक्तूबर 2013

आज ए बी पी न्यूज़ पर राजीव गाँधी का किस्सा और उस समय का घटनाक्रम दुबारा सामने से घूम गया | अज्ञानता और अनुभवहीनता और एक गलती कर उसको दूसरी गलती से बराबर करना और उचित तथा सच और समाज तथा देशहित पर फैसला करने के स्थान पर राजनीतिक तात्कालिक हितो पर फैसला कर बैठना ,गलत और अनुभवहीन सलाहकार होना ,केवल खुश करने की कोशिश करना ,बहुत छोटा सा फायदा [ व्यक्तिगत या पार्टी का देखना ] सचमुच देश और समाज हित में साबित नहीं होते और अंततः नेता के लिए भी उचित साबित नहीं होते है |
सीखने और समीक्षा करने लायक ये कार्यक्रम है | जो इतिहास से सबक नहीं लेता और उसे भूल जाता है वो फिर उसी इतिहास के सामने जा खड़ा होता है |
देश और समाज खुद से और पार्टी से बड़ा होता है | ये आज भी लोग कैसे समझेंगे ? देश को बर्बाद करने के बाद समझेंगे या उससे पहले समझने की कोशिश करेंगे ?
मैंने तो बहुत कुछ निषकर्ष निकाल लिया और बहुत कुछ जो भूला था याद कर लिया ,सुन भी लिया और गुन भी लिया | जय हिन्द |

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