मंगलवार, 1 अक्तूबर 2013

मेरे बचपन में जब हम लोग छात्र राजनीती कर रहे थे दो लोगो से बात करना बड़ा मुश्किल था एक कम्युनिस्ट और दूसरे संघी | दोनों जितना रट कर आते थे वाही से शुरू कर वाही ख़त्म करते थे और तर्क कर ने पर जवाब नहीं देते थे बल्कि फिर क से शुरू कर ज्ञ पर ख़त्म कर देते | दोनों की शब्दावली देश के सामान्य लोगो से अलग थी |
समय बीता रूस बदला ,चीन बदला पर ज्यादातर कम्युनिस्ट लोगो की भाषा भारत में नहीं बदली और न उस वक्त का रटा हुआ ही बदला |और यही उनके इतने पीछे जाने का कारन बना |
पर संघियों का अजब हाल है | इनकी छ साल सरकार रही तो अपने सारे आदर्श ,चरित्र ,चहरे की बातें ,, भय भूख की बाते ,, कश्मीर ,सामान कानून की बाते ,राम मंदिर सब भूल गये | सीधे राजनीती करने वाली बीजेपी के साथ सारे संघी भी लूट तंत्र में जुट गए ,कुछ की सी डी बनी | सबसे बड़े महारथी ने तो बयान ही दे दिया था की एक मंदिर के लिए सरकार नही गँवा सकते है |और जो सज्जन कश्मीर की विजय करने निकले थे और डर के मरे तत्कालीन प्रधानमंत्री से उन्होंने सुरक्षा और एयरफोर्स का जहाज माँगा था ,,वहा पहुचे तो झंडा फहराते हुए उनसे झंडा नीचे गिर गया था और भाग आये थे उन्होंने तो उसके बाद कश्मीर जाने का नाम ही नहीं लिया |
संसद ,अक्षरधाम सहित तमाम स्थानों पर आतंकवादी हमले पर बेशरम बने रहे | कारगिल में दुश्मन घुस आया और सोते रहे | शहीदों के ताबूत तक में घूस खा गए
पर बेशर्मी तो देखिये फिर धुल झाड कर उन्ही मुद्दों पर दंगे करने में लग गए | इनसे जवाब पूछो की छ साल में क्या किया तो परमाणु विस्फोट बता देंगे ,उसकी पोल कलाम साहब ने खोल दिया ये बता कर की ये तयारी नरसिम्हा राव की थी और उन्होंने ही वाजपेयी जी से करने के बारे में कहा था |
अब उस दिन का इन्तजार है जब ये भगत सिंह , चंद्रशेखर आजाद ,सुभाषचन्द्र बोस इत्यादि को संघ का कार्यकर्ता घोषित करेंगे | सारे बड़े अन्य नेताओ को अपना आका बताएँगे | शुरुवात तो कर दिया है |
इनसे आप किसी की शादी की बात करो तो ये शोक व्यक्त करने लगेंगे और किसी की मृत्यु की बात करो तो बन्दे मातरम गाने लगेंगे |
इश्वर ,,राम जी इन्हें कुछ अक्ल दे दीजिये की मानवता जिन्दा रहेगी तभी समाज रहेगा और देश रहेगा | ये मानवता को जिन्दा रहने दे और मानव के विकास की बात करे ,उसकी परेशानियों के हल की बात करे |
ये लोग भी भारत में पैदा हुए है जहा सदियों से तरह तरह के लोग एक साथ रहते है फिर इन्हें घृणा कहा से मिली | पर दिक्कत है की ये धर्म के नाम पर भी नफ़रत करते है ,, उसके बाद जाती के आधार पर दलित और पिछड़ी जातियों से भी नफरत करते है | और नफ़रत ही बाँटते है और नफ़रत बाटने के लिए पाकिस्तान के तालिबानियों और अफ्रीका इ कबीलों की हत्यायो को भारत का दिखा कर हिन्दुओ की बता कर एम् एम् एस बाँटते है सी डी बाटते है |
इनसे कैसे बात किया जाये जब ये अपनी सुविधा से अपने ही विषय चुनते है और अपनी सहूलियत से ही जवाब देते है | न आजादी की लड़ाई में भाग न लेने का जवाब देते है न आपातकाल की माफ़ी मांगने का जवाब देते है | न पाने सत्ता के छ साल का जवाब देते है .न राम मंदिर आन्दोलन के पैसे का जवाब देते है | बस आरोप लगते है और चाहते है की भारत में कबीला युद्ध शुरू हो जाये | हिन्दुओ और गरीबो ,मजदूरों ,किसानो की समस्याओ पर कभी मुह नहीं खोलते है |
जब आक्रमण करते है तो भद्दी भाषा बोलते है और किसी सीमा तक चले जाते है | ऐसे लोगो से कैसे बात करें |

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