गुरुवार, 10 अक्तूबर 2024

अपने समाज के लोगो के लिए ये घटना तो नफ़रत बांटने वाले और आतंक की खेती करने वाले पाकिस्तानियों के लिए भी ये घटना जब एक पाकिस्तानी बच्चे को मैने खून दिया था ।

#जिंदगी_के_झरोखे_से 

अपने समाज के लोगो के लिए ये घटना तो नफ़रत बांटने वाले और आतंक की खेती करने वाले पाकिस्तानियों के लिए भी ये  घटना जब एक पाकिस्तानी बच्चे को मैने खून दिया था । 

आगरा के मेरे एक तथाकथित दोस्त अचानक बीमार पड़ गए । हुआ ये की उनको सीने में दर्द हुआ ओर पसीना हुआ तो उनके परिवार ने समझा कि मास पेशिया दर्द कर रही है और पानी पिला कर वालिनी आयोडेक्स मलना शुरू कर दिया । दर्द बढ़ रहा था और तेज पसीना आ गया तो समझे की गैस चढ़ गई है । फिर मुझे फोन आया की ऐसा हो रहा है और ये ठीक ही नहीं हो रहे है तो मैने उन्हे तुरंत घर के बिलकुल बगल में डा पारिख के अस्पताल ले जाने को कहा और बोला की मैं आ रहा हूं। डा पारिख को मैने फोन किया की इन्हे हार्ट अटैक लगता है इसलिए बिना जांच के तत्काल अटैक और न हो उसे बचाने वाली दवा दे दिया जाए । फिर एक हार्ट एक्सपर्ट को फोन कर दिया और सब बात बता कर बोला की वो तुरंत डा पारिख के अस्पताल आ जाए और जरूरी दवाई लेते आए ताकि जान बचाई जा सके।  परिवार उन्हे लेकर अस्पताल पहुंच गया । इस बीच परिवार वालो ने उनके 30/40 साल पुराने जिगरी दोस्त को भी बुला लिया था और वो भी आ गए थे ।
जब डा पारिख के अस्पताल में मेरे तथाकथित दोस्त को आई सी यू में ले जाया जाने लगा तो उनके जिगरी doar आई सी यू के दरवाजे पर मेरे तथाकथित दोस्त से बोले की भाई अंदर जाने के पहले अपने बेटे से बात दे की तेरे ऊपर मेरे 10 हजार रूपए उधार है । अब इस बात को यही छोड़ देते है और 40 साल के जिगरी दोस्त की परिभाषा तथा 10 हजार की कीमत और उस वक्त को पाठको के चिंतन के लिए छोड़ कर मैं आगे मूल किस्से पर बढ़ता हूं । वो तथाकथित दोस्त स्थिर हो गए इलाके से पर परिवार की अज्ञानता से मेजर हार्ट अटैक हो चुका था और हार्ट का एक हिस्सा डैमेज हो चुका था । मैने राय दिया की हार्ट के मामले में एस्कोर्ट ही जाना चाहिए और डा त्रेहन से ही मिलना ठीक रहेगा । कुछ दिन आराम करने के बाद मेरे इस तथाकथित दोस्त का परिवार मेरी गाड़ी में दिल्ली के एस्कोर्ट हॉस्पिटल आ गया जहा बाकी आगे की सब कार्यवाही हुई और उसके लिए मुझे 5 दिन दिल्ली में रुकना पड़ा क्योंकि उनके परिवार को लगता था की मैं पूरे समय मौजूद नहीं रहूंगा तो पता नही कब क्या दिक्कत हो जाए । अब इस  किस्से की तरफ बढ़ता हूं जो बताना चाह रहा था ,पर किस्सा तो ये भी पाठको को जानना ही चाहिए था की आम आदमी मेडिकल की समस्याओं के प्रति कितना अज्ञानी है और उसके कारण क्या भोग लेता है और ये भी की जिगरी दोस्त कैसे होते है और चंद रुपए किसी दोस्त की जिंदगी से कितने बड़े होते है इत्यादि या आप जो भी सीख सके ।
तो मैं अपने उस तथाकथित दोस्त के इलाज के लिए दिल्ली के एस्कॉर्ट गया था | अचानक माइक से आवाज आई की एक बच्चे की हालत गंभीर है और उसे तत्काल ओ पॉजिटिव खून चाहिए |मेरा खून ओ पॉजिटिव है इसलिए मैं तत्काल काउंटर पर गया और अपना खून देने का प्रस्ताव दिया |मेरे खून को जांच के बाद मेरा खून ले लिया गया  तभी दिल्ली की एक शिक्षिका मिसेस शर्मा आ गयी उनका कोई बहुत अपना भी बहुत गंभीर था पर उन्होंने अपना खून तो दिया ही अपने ऐसे कई रिश्तेदारों को भी फ़ोन कर बुला लिया जिनका ओ ग्रुप का खून था | फिर दो तीन दिनों तक पास के जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्र आते रहे खून देने |
फिर एक दिन जिनका बच्चा था वे मिले काउंटर पर और काउंटर वाले ने मुझे बताया की उस दिन तत्काल आप ने खून नही दिया होता तो बच्चा नहीं बचता और वो इन्ही का बच्चा है तथा उस व्यक्ति को जो फोन पर किसी से बात कर रहे थे भी बताया की इस दिन आप के बच्चे की जान इन्होंने ही अपना खून देकर बचाया था ।,, वे लाहौर के बड़े ट्रांसपोर्टर थे ,,, मुसलमान होने के बावजूद वे वही सामने हाथ जोड़े हुए जमीन पर बैठ गए और रोने लगे | मैंने उन्हें उठाया तो उन्होंने कृतज्ञता जाहिर किया और अपना कार्ड दिया की कभी लाहौर आइये | मैंने उनसे केवल एक आग्रह किया की अपने देश के आतंकवादियो को और आकाओ को मत बता दीजियेगा की हिंदुस्तान और हिन्दू लोगो के खून से आप का बच्चा बचा है | उन्होंने कहा की जनता के विचार ऐसे नहीं है बल्कि वहा के फौजी आका और आतंकवादी ताकतें केवल ये खेल करती है | अगर वहां तरक्की हुयी होती तो हम जैसे लोगो को इलाज के लिए भारत क्यों आना पड़ता ? हम लोगो को यहाँ सारी सुविधाएँ मिली | मैंने पूछा की पाकिस्तानी होने के कारन आपसे किसी ने कोई फर्क किया हो किसी मामले में ,उन्होंने कहा कत्तई नहीं ,पता ही नहीं लगा की हम अपने देश में नहीं है | उन्होंने बताया की मैं तो जब बच्चा ठीक होने लगा तो मस्जिद पूछ कर पास ही चला गाया ,जामिया नगर में तमाम मुसलमान मिले सब खुश है ,इस इलाके के एम् एल ए भी मुसलमान है , रास्त्रपति भी मुसलमान है ,हमारे पाकिस्तान में तो कोई हिन्दू नहीं बन सकता | उन्होंने ये वादा किया था की पाकिस्तान जाकर वो ये बातें वहा के लोगो को बताएँगे | पता नहीं बताया या नहीं |
इन पाकिस्तानियों को शर्म नहीं आती की उनके देश से ज्यादा मुसलमान भारत में है और देश के बड़े पदों पर है |

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