#ज़िंदगी_के_झरोखे_से
वो आये बैठे और बोले की कितने राय रहते है इस क्षेत्र में और उठकर चले गए | वो यानी रामगोपाल यादव |
१९९३ का चुनाव था | काफी पहले ही मुलायम सिंह यादव जी का काशीराम जी से समझौता हो चूका था तो मैंने आगरा में आगरा कैंट सीट के जातिगत और धार्मिक समीकरणों को देखते हुए और जीत की गारंटी को देखते हुए एक साल में बाकि जगहों पर काम करते हुए विशेषकर इस इलाके में बिना किसी को एहसास करवाए हुये की मैं चुनाव लड़ना चाहता हूँ सभी पोलिंग बूथ पर लोगो को कर्यत्क्र्ता बना लिया था और इस पूरे क्षेत्र में काफी कार्यक्रम कर लिए थे | एक रोज इफ्तार भी किया था जिसमे हजारो अल्पसंख्यक समुदाय के लोग जुटे थे और एक कार्यक्रम चलाया था की होली दिवाली मिलन मुस्लिम इलाको में और ईद मिलन हिन्दू इलाको में करवाया था तथा और बहुत से कार्यक्रम कर दिए थे | इस क्षेत्र में केवल दलित और मुस्लिंम वोट ही जितने के लिए काफी थे इसके अलावा ब्राह्मण समुदाय के कार्यक्रमों में म एरी काफी भागीदारी रहती थी और तटस्थ रहने वाला वर्ग जो हमेशा छवि देखकर वोट देता है ये सब मिला कर भारी जीत का विश्वास था | यूँ तो न जाने कितने लोगो कोम टिकेट मेरे कारण मिला पर प्रक्रिया पूरी करने को मैंने भी टिकेट के लिए आवेदन कर दिया था |
उस दिन लखनऊ के पार्टी कार्यालय में उत्तर प्रदेश की संसदीय बोर्ड की बैठक थी | प्रदेश के अध्यक्ष रामसरन दास जी और बोर्ड के सचिव बलराम यादव ,भगवती सिंह सहित सभी सदस्य मौजूद थे | रामगोपाल यादव जी भी बैठक में आकर बैठ गए | पहले आगरा मंडल का नंबर था और उसमे आगरा का | रामसरन दास जी ने बलराम यादव से कहा की क्या सी पी राय ने किसी सीट के लिए आवेदन किया है तो बलराम यादव ने लिस्ट देखकर कहा की हा आगरा कैंट के लिए आवेदन किया है तथा आगरा मंडल की सीटो पर उनकी भी एक लिस्ट है टिकेट के लिये | इसपर रामसरन दास जी बोले फिर विचार क्या करना सी पी राय की सीट फाइनल किया जाए और उनकी लिस्ट को भी रिकमेंड कर नेता जी {यानी मुलायम सिंह जी} को भेज दिया जाये | इसपर रामगोपाल जी ने कड़े तेवर से कहा की कितने राय है आगरा में की सी पी राय की सीट फाइनल कर रहे है और उनकी लिस्ट क्यों रिकमेंड कर रहे हो बिना विचार किये और दूसरे नाम देखे हुए | फिर क्या था रामगोपाल जी मुलायम सिंह यादव के भाई कहलाते थे तो बोर्ड ने तय किया की सब मुलायम सिंह यादव जी पर छोड़ दिया जाए |
जब रामसरन दास जी और भगवती सिंह जी ने ये बात मुझे बताया तो मैं मुलायम सिंह यादव जी से मिला और उनको बताया की मैंने उस क्षेत्र में क्या क्या किया है और क्यों मैं चुनाव जीत जाऊंगा | मैंने कहा १९८९ में आप ने ये कह कर मुझे टिकेट नहीं मिलने दिया था की मैं आप का चुनाव देखु और आप के मुख्यमंत्री बन जाने के बाद विधायक क्या होता है मैं उससे बड़ा बन जाऊँगा और क्या हुआ ये आप भी जानते है और मैं भी जबकि तब संसदीय बोर्ड में बहुमत मेटे पक्ष में था | मुलायम सिंह यादव जी बोले की वो तो बीत गया पर आप के लिए मेरे दिमाग में बड़ी चीज है जो पिछली बार मैं नहीं कर पाया पर इस बार या तो वो करूँगा या फिर यहाँ आप को अपने साथ रखूँगा मंत्री बना कर | वो बोले की मेर्रे आलावा आप की इस पूरे इलाके में सभाए लगती है तथा आप और भी काम सम्हालते है ऐसे ,मे आप एक सीट पर अपने लिये फंस जायेंगे तो ५० सीट का नुक्सान होगा पार्टी का | आप मेरे ऊपर भरोसा रखो आगे सरकार बनेगी तो सब अच्छा होगा और मुझे मन मार कर मान लेना पड़ा |
टिकेट के बटवारे की कवायद शुरू हो गयी | प्रदेश महामंत्री का काम करने के साथ मैं देश भए में और प्रदेश भर में तो मुलायम सिंह जिन के साथ दौड़ता रहता था पर आगरा मंडल जिसमे तब अलीगढ मंडल भी था और इटावा के हर छोटे से छोटे कार्यक्रम मे रहता था इसलिए हर विधान्सभा के बारे में पूरी जानकारी थी | मुलायम सिंह यादव जी के घर के अन्दर से बाहर तक मजमा लगा रहता था | एक दिन मुलायम सिंह यादव जी लोहिया ट्रस्ट में मीटिंग कर रहे थे और मैं उनके घर के ड्राइंग रूम में उनका इन्तजार कर रहा था ,तभी रामगोपाल जी ने आगरा मंडल के लोगो के नाम पुकारना शुरू किया और कहा की इनमे से जो जो भी हो आ जाए |लोग आते गए और वो उन लोगो को बी फॉर्म यानी टिकेट देने लगे | मैंने उन लोगो को देखा तो चौंका और धीरे से निकल कर लोहिया ट्रस्ट पहुच गया | मुलायम सिंह जी अपने कमरे से बाहर निकल रहे थे तो मैंने उनका हाथ पकड़ लिया की ये रामगोपाल जी क्या कर रहे है ,एक से एक वाहियात और गलत लोगो को टिकेट दे रहे है | मुलायम सिंह जी ने पुछा क्या बी फॉर्म दे दिया है तो मैंने एक दो नाम लेकर कहा की हा और वो लोग अभी आप के घर पर ही है | मुलायम सिंह जी ने कहा किन हाथ छोडिये मैं चल कर देखता हूँ | मैं जानबूझ कर उनकी गाडी मेर जाने के बजाय पैदल ही चला गया कत्रीब दौड़ता हुआ | मुलायम सिंह जी घर पहुचे और पुछा की रामगोपाल किस किस को बी फॉर्म दे दिया जरा बुलाओ सबको तो उनके स्टाफ ने आवाज लगाया की जिस जिस को बी फॉर्म मिल गया है नेता जी बुला रहे है तो सभी आ गए तो मुलायम सिंह जी सबसे बी फॉर्म मांग लिया और बगल में रख लिया की बी फॉर्म बाद में मिलेगा । सबके चेहरे लटक गए । मुलायम सिंह यादव जी ने कहा कि अभी आप लोग जाओ बाद में बुलाएंगे । इसके बाद फिर मैं आगरा आ गया मुझे चिंता थी कि जिस सीट पर मुझे लड़ना था उसपर जीतने वाला उम्मीदवार हो या कम से कम सम्मानजनक लड़ाई हो । अभी रामगोपाल जी ने पता नही किसके कहने पर एक ऐसे आदमी को टिकट दे दिया था जो सदर के चौराहे पर अंडे की तेल पर रोज शाम को शराब पीता था । वह किसी तरह कैंट क्षेत्र के एक क्षेत्र से सभासद का चुनाव जीत गया था अपनी बिरादरी के उस क्षेत्र में वोट होने के कारण ।
अगल एपिसोड में में लिख चुका हूं की किस तरह मैने कांग्रेस के कई बार के विधायक जो कृषि मंत्री रह चुके थे डा कृष्णवीर सिंह कौशल और इस चुनाव में भी कांग्रेस से टिकट मांग रहे थे और टिकेट मिलने की उम्मीद में अपना पर्चा भरने आगरा की कलक्टरी में राजीव गांधी जिंदाबाद का नारा लगाते हुए आए थे और सीढ़ियों पर मेरी उनकी बात हो गई तो उन्होंने कांग्रेस का पर्चा जेब में रख लिया और समाजवादी पार्टी के नाम का नया पर्चा भरा तथा कांग्रेस का झंडा जेब में रखकर वापस मुलायम सिंह यादव जिंदाबाद का नारा लगाते हुए बाहर निकलने लगे तो पूरी कलेक्टरी संन्न देख रही थी ये अनोखा दृश्य जो पहले कभी नही देखा था । उन्ही के साथ फतेहपुर सीकरी क्षेत्र के एक ब्लॉक प्रमुख भी आ गए और उनके सब समर्थक भी । डा कौशल ने सिर्फ एक सवाल पूछा था की कही समाजवादी पार्टी का टिकट भी नही मिला तो बहुत बदनामी हो जाएगी तो मैने कहा की समझ लीजिए टिकेट मिल गया l कल मेरे साथ लखनऊ चलिए और बी फॉर्म लेकर आइए । घर लौट कर मैने मुलायम सिंह यादव जी को बता दिया की कांग्रेस के इस दिग्गज नेता को मैने तोड़ लिया है तो वो बहुत खुश हुए और बोले की वो अगर जीत गए तो वो तो विधान सभा अध्यक्ष के लायक है। आप उन्हें लेकर आ जाओ ।
मैं अगले दिन डा कौशल और अन्य अपने लोगो को लेकर लखनऊ पहुंच गया । मुलायम सिंह जी के घर के ऊपर वाले हिस्से में दाहिनी तरफ के कमरे में मुलायम सिंह जी बैठे और और रामगोपाल जी भी थे । मुझे और डा कौशल को भी वही बुला लिया । पहले उन्होंने डा कौशल के पार्टी में आने पर खुशी जाहिर किया तथा उनके सामने भी कहा की आप जीत कर आइए आप को स्पीकर बनाऊंगा । उनका बी फॉर्म देने का आदेश रामगोपाल जी को दिया और जब उनको बी फॉर्म मिल गया तो मुलायम सिंह जी ने कहा की डाक्टर साहब आप नीच ड्राइंग रूम में बैठिए और चाय पीजिए क्योंकि अब हम लोग कुछ और बाते करेंगे ।आप को राय साहब के साथ जाना हो तो इंतजार करिए वरना आप वापस आगरा अपनी तैयारी में लिए जाना चाहे तो चले जाइए । जब पर्चा भरेंगे तो मैं सी पी राय को भी भेज दूंगा ।
डा कौशल के जाने के बाद हम तीन लोग ही रह गए और अब बाकी सीट के नामों की चर्चा शुरू हो गई । मैने कहा की सबसे पहले चंद्रभान मौर्य विधायक जिनको मैं रामगोपाल जी के राज्यसभा चुनाव में जनता दल से तोड़ कर लाया था उनका टिकेट तो जारी कर देना चाहिए ।तो उनका बी फॉर्म मुझे दे दिया गया । फिर मैंने फतेहपुर सीकरी क्षेत्र के लिए ब्लॉक प्रमुख रामनिवास शर्मा का नाम प्रस्तावित किया तो मुलायम सिंह जी उखड़ गए की वो सीट मिनी छपरौली कहलाती है और हमेशा वहा से जाट ही जीता है तो आप वहा ब्राह्मण क्यों लड़ाना चाहते है ।तो मैने कहा की इसीलिए क्योंकि ब्राह्मण वहा दूसरी बड़ी जाती है और मुस्लिम भी काफी है और काशीराम जी के कारण दलित मिल जाएंगे और ये जीत जाएंगे । मुलायम सिंह जी बहुत संतुष्ट नहीं थे पर कोई बहुत मजबूत और नाम वाला जाट भी हमारे पास नही था तो अनमने भाव से मान गए ये कहते हुए की जिम्मेदारी आप की है ।मैने कहा की पूरी जिम्मेदारी से ये टिकेट में दिलवा रहा हूं पर आप को वहा सभा का टाइम देना पड़ेगा । मुलायम सिंह जी ने कहा की आप तय कर के लिस्ट बना लीजिए की कहा कहा जीत की ज्यादा सभवना है जहा मेरी सभा जरूरी है । इसके बाद एक एक सीट पर मेरे और रामगोपाल जी के बीच जद्दोजहद होती रही । कभी मुलायम सिंह जी मुझे समझाते तो कभी रामगोपाल जी को । सिकंदराराउ पर मैं अमर सिंह यादव को टिकट चाह रहा था की वही जीतेगा और रामगोपाल जी एक फतेह सिंह को पर अमर सिंह का टिकट हो गया । मेरे सारे सुझाव मान लिए गए पर एक अलीगढ़ की सीट गंगीरी पर रामगोपाल जी एक पैसे वाले महेश यादव को टिकट देना चाह रहे थे पर मैं पार्टी के दो पीढ़ी से वफादार और जमीन पर मजबूत वीरेश यादव को देना चाह रहा था । वीरेश यादव को टिकट देने के पीछे भी ये कारण था की में गंगिरी में समेलन में हिस्सा लेकर आया था । (गगीरी सम्मेलन के बारे में अलग एपिसोड में लिखूंगा ) इस मामले में मुलायम सिंह जी का झुकाव रामगोपाल जी के उम्मीदवार की तरफ देख कर मैने एक। राय दिया की अभी किसी को भेज कर जोर से कहलवा दिया जाए की गंगिरी में वीरेश का टिकट हो गया और उसके बाद अगर चार घंटे भी महेश यादव रुका रह जाए तो उसे टिकेट दे दिया जाए । एक आदमी को भेजा गया और भीड़ में उसने जोर से यही बोल दिया । इतना सुनते ही महेश यादव वहा से चला गया और बाद में मालूम हुआ की उसने कुछ घंटे में ही जानता दल ज्वाइन कर लिया ।इस पूरे एपिसोड में रामगोपाल जी मुझसे बहुत खफा हो गए जबकि मैने जो जो किया वो सिर्फ पार्टी के हित में किया था । ये दोनो मेरे उम्मीदवार जीत गए , चंद्रभान मौर्य भी जीत गए और भी लोग जीते और जो हारे वो बहुत नाम मात्र के वोट से हारे ।
चुनाव शुरू हो गया और मेरी व्यस्तता बहुत बढ़ गई । रोज तमाम सभाएं लगने लगी पर मैं डा कौशल के क्षेत्र में ये सोच कर नही गया की वो खुद कई बार विधायक और मंत्री रहे है ,बड़े नेता है तो अपना चुनाव तो वो खुद सम्हाल लेंगे लेकिन एक दिन उन्होंने मुलायम सिंह जी को फोन किया की वो मुझसे कह दे की मैं उनके इलाके में समय दे दूं , सभाएं भी कर दू तथा पार्टी के लोगो को भी उनसे जोड़ सुन । तब मुझे उनके क्षेत्र में कुल छोटी बड़ी 12/13 सभाएं करनी पड़ी और चार कार्यक्रता बैठक लेनी पड़ी । ऐसी ही मांग हर जगह से थी ।
एक दिन आगरा से फिरोजाबाद तक सुबह से रात तक काफी सभाएं लगा लिया लोगो ने ।आगरा के सभी विधान सभा क्षेत्र में कही एक कही दो सभाएं करता हुआ मैं जब फ्री हुआ तो तुमडला और फिरोजाबाद की सभा बची हुई थी । टुंडला बाजार में में रात को 10 बजे पहुंचा और फिर फिरोजाबाद में रात 11 के बाद पर फिरोजाबाद मे हमेशा ही सभाएं रात को देर से शुरू होती रही है और सुबह 3/4 बजे तक चलती रही है ।पहले सभाओं इत्यादि को लेकर इतनी सख्ती और मुकदमे नही होते थे बल्कि चुनाव उत्सव की तरह होता था ।
फिरोजाबाद में ही मेरा एक सभा में एक डेढ़ घंटे का कैसेट बन गया था जिस सभा में में डेढ़ घंटे से ज्यादा बोला था और फिर आजम खा साहब ये कह कर की कुछ कहने को बचा ही नहीं केवल बीस मिनट बोले थे । वहीं मेरा भाषण का कैसेट 45 रुपए में 1993 के चुनाव में प्रदेश कार्यलय से प्रदेश भर में बिका था और हर जगह पूरे टाइम बजता सुना जा सकता था । फिरोजाबाद में लोकप्रिय था तो लोग इंतजार कर रहे थे । ज्यो की मेरी कार की लाइट दिखलाई पड़ी लोग शोर करने लगे की आ गए आ गए । लोगो हाथ से मिलाता किसी तरह मंच पर पहुंचा ।भाषण शुरू हुआ । उस वक्त मेरे भाषण का कुछ ऐसा जुनून था की भाषण थोड़ा होता और फिर नारे शुरू हो जाते । एक बार कुछ जोश की बात कह मैने हाथ ऊपर से नीचे किया तो मंच पर माइक के बगल में बैठे एक बहुत बुजुर्ग ने मेरा हाथ पकड़ लिया ।में। तोड़ विचलित हुआ पर भाषण जारी रखा । देख की वो मुझे अंगूठी पहना रहे थे । डा कौशल अपने मंत्री काल में लोगो से दूर हो गए थे जिसके कारण मेरी जीत जाने वाली सीट भी करीब तीन हजार से हार गए और फतेहपुर सीकरी में रामनिवास शर्मा ढाई हजार से इसलिए हार गया क्योंकि हेलीकॉप्टर में कुछ दिक्कत होने के कारण मुलायम सिंह जी की सभा नही लग सकी और काफी मुस्लिम वोट जनता दल में भी चला गया । पर सपा बसपा का गठबंधन जीत गया था ।मेरे अधिकतर उम्मीदवार जो नही जीते वो भी अच्छा और सम्मानजनक लड़े और हमारी सरकार आ गई तथा मुलायम सिंह यादव जी मुख्यमंत्री बन गए । (इस बीच की बहुत सी घटनाएं अलग एपिसोड में होगी या फिर झलकियों के रूप में होगी ।
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