शनिवार, 12 अक्तूबर 2024

लाटरी फाड़ो आंदोलन और फिर खात्मा

#जिन्दगी_के_झरोखे_से--

कितने लोगो को पता है की  #लाटरी #मैने_खत्म_करवाया ।

पुराने लोग जानते है की एक समय था देश भर मे हर सड़क हर गली और हर बाजार मे लाटरी बहुत बडा व्यवसाय बन गया था । लोगो ने रेस्तरां से लेकर और कारोबार बंद कर लाटरी का कारोबार शुरू कर दिया था । पूरे देश में सड़क सड़क चौराहे , चौराहा लाटरी की दुकानें फैल गई थी । ऐसे बाजार जो बने तो इसलिए थे कि उसमें तरह तरह की दुकानें खुलेगी और लोगो को एक ही स्थान पर कई चीजें मिल जाएंगी तथा उसमें एकाध रेस्तरां तथा चाय खाने की दुकान भी थी ,ऐसा समझ लीजिए कि एक छोटा था मॉल था वो क्योंकि तब मॉल नहीं होते थे ,वो पूरा बाजार ही केवल लॉटरी का बाजार बन गया था । होल सेल वालो का तो कहना ही क्या था । पूरा देश इस लॉटरी की गिरफ्त में आ चुका था । परिवार के परिवार तबाह हो रहे थे ।

उसी दौर मे मुझे कुछ घटनाए पता लगी जिसमे से अभी सिर्फ एक का जिक्र कर दे रहा हूँ -
एक मध्यम वर्ग की महिला भी इसका शिकार हो गयी । हुआ ये की वो घर का समान लेने जाती सब्जी इत्यादि और इस उम्मीद मे लाटरी का टिकेट भी खरीद लेती की शायद घर की हालात कुछ अच्छे हो जाये । उसकी एक बेटी थी शादी को और पति मे घर खर्च काट काट कर कुछ पैसा इकट्ठा किया था ।धीरे धीरे जुवरियो की तरह वो उस पैसे को भी ज्यादा टिकेट खरीद खर्च करने लगी और सब बर्बाद कर बैठी । फिर सब खत्म हो जाने पर परेशान रहने लगी । किसी दुकान पर उसकी किसी औरत से दोस्ती हो गयी थी और जब उसे समस्या पता लगी तो उसने इस महिला को वेश्यावृत्ति मे धकेल दिया । अक्सर ये महिला आत्महत्या करने का सोचती थी इसलिए इसने सारा ब्योरा और अपना गुनाह एक जगह लिख कर रख दिया की उसकी मौत के लिए वो खुद जिम्मेदार है और दूसरे कागज पर अपने पति को सारी बात और अपना माफीनामा । वेश्यावृत्ति के चक्कर मे एक दिन वह जहा पहुची वहा उसके खुद का बेटा और उसके दोस्त थे जिन्होंने दलाल से उसे बुलवाया था और फिर वहा से भाग कर उसने आत्महत्या कर लिया ।बाकी घटनाओं के बारे में व्यक्ति के जिक्र के बिना लिख दे रहा हूं । ऐसे न जाने कितनी बहन बेटियां बर्बाद हुई तो न जाने कितने नौजवान तबाह हो गए थे और अगर परिवार के मुखिया को ही लखपति बनने की लत पड़ गई तो समझा का सकता है कि देश भर में क्या हालत हो गई होगी । ये उस वक्त के लोगो को याद है । 
ये और कुछ अन्य दर्दनाक घटनाए  जिनमे ना जाने कितने लाख घर और लोग बर्बाद हुये , कितनो ने आत्महत्या कर लिया , मेरे संज्ञान मे आई तो मेरी आत्मा ने धिक्कारा की क्या सिर्फ जिन्दाबाद मुर्दाबाद ही राजनीती है या समाज के असली जहर के खिलाफ लड़ना भी हमारी जिम्मेदारी है । 

मैं कोई बहुत बड़ी हस्ती तो नहीं था कि मेरे आह्वान पर देश भर में आंदोलन शुरू हो जाते तो मैने आगरा से इसके खिलाफ लॉटरी फाड़ो आंदोलन शुरू करने का फैसला किया । 
#अलोक_रंजन जो उत्तर प्रदेश के #मुख्यसचिव से रिटायर हुये है और अभी भी लखनऊ मे है वो मेरे आगरा में  डी एम थे और बाबा हरदेव सिंह ए डी एम सिटी ।भाजपा की कल्याण सिंह की सरकार थी ।मैं अलोक रंजन से मिला और उनके सामने मैने वो सारी घटनाए रखा और कहा की मैं कम से कम अपने शहर मे तो लाटरी नही बिकने दूंगा । वो बोले की सरकार के बड़े राजस्व का भी सवाल है और कानून व्यव्स्था का भी पर नैतिक रूप से मैं आप की बात का समर्थन करता हूँ । पर कोई अव्यवस्था फैलेगी या कानून व्यवस्था का सवाल पैदा होगा तो मुझे आप के खिलाफ कार्यवाही करना होगा । इसलिए सांकेतिक रूप से आप विरोध करना चाहे तो करिए । मैने कहा कि मैं तो जहां भी लॉटरी बिकती दिखेगी फाड़ दूंगा जो होगा देखा जाएगा । ये कह कर उनके घर से निकल गया । 
बस एक प्रेस कांफ्रेंस किया और सब घटनाओं के बारे में बताते हुए तथा किस तरह समाज और परिवार बर्बाद हो रहा है बताते हुए घोषित कर दिया कि कल से लॉटरी फाड़ो आंदोलन चलेगा और अगले दिन किस दिशा में तथा किस बाजार में जायेंगे वो भी घोषित कर दिया और उसके बाद लाटरी फाडो अभियान की शुरुवात हो गयी ।
हम निकल पड़े चंद साथियों के साथ । लॉटरी बेचने वालो ने गंभीरता से नहीं लिया था और वहां पहुंचते ही मैने पहली दुकान की सब लॉटरी फाड़ दिया फिर क्या था सभी साथियों ने छीन छीन कर लाटरी फाड़ना शुरू किया । थोड़ा प्रतिरोध कर लाटरी वाले टिकट लेकर भगाने लगे । अगले दिन एक क्षेत्र में हम लोगो पर लॉटरी वालो ने पथराव कर दिया तो मेरे कुछ साथी घायल हो गए ।मैं सीधे डी एम निवास पहुंचा और आलोक रंजन जी से इसके बारे में बताया तो उन्होंने बाबा हरदेव सिंह को कार्यवाही के लिए  भेज दिया और कुछ पथराव करने वाले गिरफ्तार हो गए । अगले दिन अखबार में ये छप गया तो लॉटरी वाले थोड़ा सहम गए । फिर तो हालत ये थी कि मैं जिधर निकल जाता लॉटरी की दुकानें बंद हो जाती , यहां तक कि अफवाह फैल जाए कि मैं उधर आ रहा हूं तो लॉटरी वाले दुकान बंद कर भाग जाते चाहे मैं इस कारण नहीं बल्कि व्यक्तिगत काम से उधर गया होता था । लॉटरी व्यवसाय का बहुत नुकसान होने लगा ,मेरे फाड़ने से भी और दिखाने बंद रहने से भी ।तब पश्चिम के एक बड़े अपराधी जो नेता बन गए थे और उनका नॉर्थ ईस्ट की लॉटरी की सप्लाई का पूरा काम था । उनकी तरफ से 5 लाख रुपए लेकर शांत हो जाने वरना गोली खाने को तैयार रहने की धमकी भी आई और मेरी पार्टी के एकाध लोगों ने इसमें मध्यस्थता करने का प्रयास किया तो मैने कहा कि बिकाऊ मैं हूं नहीं और इतना बदकिस्मत भी नहीं हूं कि ऐसे लोगों के हाथ से मारा जाऊं और अगर अच्छे काम के लिए मर भी गया तो शायद ये अन्दोलन भी जोर पकड़ ले और कामयाबी मिल जाये वर्ना कम से कम अच्छे काम के लिए मरूँगा । अभियान जोर  पकड़ गया था और मेरी देखी देखा प्रदेश और देश में अन्य स्थानों से भी इसके खिलाफ आवाजें उठने लगी थी । अभियान गति पकड़ चुका था । 
उस वक्त की मीडिया ऐसी नही थी सारे अखबारो ने रोज बडा कवरेज दिया और मेरा समाचार पूरे प्रदेश और देश के एडिशन मे छापा जिसका जहां छपता था उसी की वजह से अभियान फैल सका । तब मीडिया सरोकारों से सरोकार भी रखता था और पक्ष विपक्ष नहीं बल्कि समाचारों के साथ रहता था । 
और हा #भाजपा पूरी ताकत से इस आन्दोलन के खिलाफ और #लाटरी व्यापार #के_पक्ष_मे_थी ।
मतलब बहुत कुछ झेलना पडा था मुझे जो सब यहां नहीं लिख रहा हूं । 
कितना लोकप्रिय था वह मेरा अन्दोलन इससे समझ लीजिये की - नैनीताल मे पार्टी के प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक तय हो गयी और मुझे रिजर्वेशन नही मिला तो सीधे ट्रेन पर पहुच गया ,ट्रेन मे टीटी ने पहचान लिया और बोला कि आप बहुत बड़ा काम कर रहे है और बर्थ दे दिया । यही काठगोदाम मे हुआ वहा के स्टेशन मास्टर ने पहचान लिया बैठा कर चाय पिलाया और नैनीताल उनके एक दोस्त जा रहे थे उनके साथ मुझे भेजा और वापसी के रिजर्वेशन का इन्तजाम भी किया । (ऐसा मेरे साथ मुशर्रफ वाले अन्दोलन मे भी हुआ था जब उसके अगले दिन मैं फैजाबाद गया तो बस स्टेशन के पास जो उस बक्त का अच्छा होटल था उसमे किसी ने रुकने का इन्तजाम किया था , मैं काऊंटर पर पहुचा तो आजतक पर मेरा ही समचार चल रहा था ,वहा बैठा मालिक टीवी और मुझे आश्चर्य से देखने लगा ,खैर फिर उसने होटल के बजाय अपने घर का खाना खिलाया और कमरे का पैसा लेने से भी इन्कार कर दिया ) ।

थोडे दिन बाद हमारी सरकार बन गयी और #मुलायम_सिंह_यादव जी #मुख्यमंत्री बन गए ,  तब उनके सामने मैने उत्तर प्रदेश में लाटरी खत्म करने का प्रस्ताव किया जिसका एक पूरा विभाग था । 300 या 400 करोड़ लाटरी से प्रदेश को मिलता था उस समय ।पर मेरे अन्दोलन का नैतिक दबाव भी था और मुख्यमंत्री ने भी जरूरी समझा और उत्तर प्रदेश में तत्काल प्रभाव से लाटरी बंद कर दी गयी फिर ऐसा माहौल बना की धीरे धीरे सभी प्रदेशो को लाटरी बंद करनी पडी ।
उस दिन मैं बहुत सुकून की नीद सोया और बहुत दिनों तक मुझे खुद पर संतोष महसूस होता रहा कि मैने कुछ अच्छा कर दिया था । 

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