गुरुवार, 31 अक्तूबर 2024

राम तुम आवोगे न

#राम_तुम_आवोगे_न । 

राम ! तुमको खोजते खोजते पीढ़ियां खत्म होती जा रही है पर तुम हो कि सुन ही नहीं रहे हो । पता नहीं कही कुंभकर्ण की नीद लेकर सो रहे हो  या पृथ्वी पर रहने वालो से रूठ गए हो  । कही अभी भी वन वन भटक तो नहीं रहे हो राम ?  या सरयू में गए थे यो उसके नीचे ही कही अनंत काल के लिए समाधिस्त हो गए हो ।  सरयू के नीचे ही कोई रास्ता तो नहीं मिल गया पाताल लोक का और पृथ्वीवासी धोबी की बातों से बाद में व्यथित हो गए और तय कर लिया कि अब पृथ्वी पर कभी नहीं आओगे और आओगे तो जब कभी सतयुग आ जायेगा तभी आओगे । कही सरयू में समाधि लेने के बहाने सरयू में डूब कर उस पार तो नहीं निकल गए जहां कोई उड़ान खटोला तैयार था तुम्हे स्वर्ग लोक ले जाने को । 

क्या इतने करोड़ी लोगों की पूजा पाठ ,मंदिरों और तीर्थ स्थलों पर जाना और राम आयेंगे सहित तमाम कीर्तन और भजन तुमको सुनाई नहीं पड़ते और लोगो की यात्राएं और मंदिरों में धक्के खाना , तीर्थ स्थलों की और मंदिरों की भीड़ में तुम्हारे  सहित किसी भी ईश्वर को ढूंढने और पाने की जिद में प्राण तक गंवा देना क्या तुमको भावुक नहीं करता है ? क्या राम अपने ही बच्चों और चाहने वालों से अब प्यार नहीं करते हो ? क्या अब राम तुमको अनीति , राक्षसी प्रवृति ,पाप और अत्याचार से कोई तकलीफ नहीं होती है ? क्या अब तुमको  पत्थर बन गई  अहिल्याओ पर तरस नहीं आता है ? पहले तो एक शबरी थी तो उसका उद्धार करने पहुंच गए थे और आज करोड़ी शबरी अपने उद्धार का इंतजार कर रही है , वो इंतजार कर रही है खुद के इंसान बनने का एहसास होने का पर राम तुम देख ही नहीं रहे हो । वो केवट भी तो कब से इंतजार कर रहा है कि उसकी नाव पर कोई राम भी उस पार जाए और उसको भी भवबाधा से उसपर ले जाए । बाली भी तब तो एक था पर अब तो कितने लाखों हो गए है पर पता नहीं उनके घर में कोई सुग्रीव है भी या नहीं ? पहले तुम्हारी पत्नी सीता का हरण हो गया था तो सोने को लंका जलाने चले गए थे और आज तो हर रोज हजारों सीताओं का हरण हो रहा है राम फिर भी आप चुप हो और कही छुपे हुए हो । 

राम तुमको तो राजपाट मिल गया था ।अगर तुम पिता की बात नहीं मानते तो राजा रहते । अगर तुम्हारी मां कौशल्या कैकेई से लड़ लेती और मंथरा को डांट देती और रूठ जाती तुम्हारे पिता दशरथ से तो भी दशरथ कैकेई की बात मानने को मजबूर होते क्या ? अगर तुमने लक्ष्मण ,भारत और शत्रुघ्न की मीटिंग बुला लिया होता और उनके सामने  ये वन गमन की बात नीति और अनीति के आधार पर कहा होता तो वो लोग ही एकमत होकर कह देते कि राम ही राजा रहेंगे बस राज में उन सबको जागीरदारिया और हिस्सा देना पड़ता ।।फिर राम तुम तो अजीब निकले कि तीन तीन राज ठुकरा दिया । पहला अयोध्या का दूसरा बाली का और तीसरा सोने की लंका रावण की । अगर राज से मोह नहीं था तो फिर वापस अयोध्या ही क्यों आए ? और अयोध्या के राजा नहीं बने होते तो न सीता से साथ छूटता और न बेटे लव और खुश से ही । राज तो तुम कही भी कायम कर लेते और इस तरह विषाद में सरयू में डूबना भी नहीं पड़ा होता । राम अगर तुम इस युग में आ जावोगे क्या तब भी वैसा ही सब करोगे ? इस युग में तो लोग तुम्हारा ही राज छीन लेगे । देखो न तुम्हारे नाम पर राज पाने और छीनने के लिए क्या क्या हो रहा ही ।तुमने त्याग दिया था राज तीन तीन जगह पर तुम्हारा नाम लेने वाले सब पा लेना चाहते है चाहे जैसे भी ।तुमने एक सीता के हरण के कारण सोने की लंका जला कर खाक कर दिया था और रावण को मार दिया था पर अब तो रोज हजारों सीताओं का हरण हो रहा है पर रावण का कुछ  बिगड़ना तो दूर वो सत्ता पार्टी में शामिल होकर महान हो जा रहा है । तुमने एक नागरिक की आलोचना पर सीता को घर से निकाल दिया पर अब तो सच वाली आलोचना पर लोग जेल में भेज दिए जा रहे है ।राम इस युग में इस धरती पर इस भारत में तुम बहुत संकट हे हो । 

पहले तो एक रावण था राम पर आज तो जला जला कर लोग परेशान हो गए । पहली जितने सिर कटते थे उतने उग जाते थे और आज जितने हर साल जलाते जाते है उसके कई गुना हर साल पैदा हो जा रहे है रावण ।पहले तो तुमको विभीषण मिल गए थे राम जिसने रहस्य बता दिया था कि नाभी में वाण मारो वही अमृत है और तुम कामयाब रहे थे उस रावण को मारने में पर अब तो कोई विभीषण है नहीं जो रहस्य बता सके कि आज के रावणो की नाभि कहा है और कौन सा अमृत कहा छुपा है जिसके कारण ये खत्म नहीं होते बल्कि फैलते जा रहे है दिन दूनी रात चौगुनी गई से ।

राम वैसे तुम भी खूब फैल गए हो चट्टी चौराहे पर करोड़ों की तादात में अपनी किस्म किस्म की बेजान मूर्ति के रूप में अपने छोटे से बड़े मंदिरों के रूप में । तुम देखते तो होगे कि तुमको कैसी कैसी पोशाक पहनाई जाती है । तुमको कैसे कैसे भोग लगाए जाते है । राम इसमें से तुम कुछ खा पाते हो या पुजारी फौज ही सब खा जाती है तुम्हारे नाम पर । अरे हा राम बहुत दुख हुआ था मुझे जब पता चला कि तुम बीमार हो गए हो । पता तो ये था कि तुम सबको ठीक करते है और सब तुमने है सब तुमसे है पर कैसी दुनिया और कैसे अपने चाहने वाले बना दिए तुमने की उस दिन डाक्टर आला लगा कर तुम्हारा बुखार देख रहे थे । पर ये पता नहीं लगा कि तुमको दवाई क्या दिया डाक्टर ने राम । जरा मुझे भी धीरे से बता देना कि क्या दवाई खाया तुमने और उससे पूरी तरह ठीक हो गए या नहीं ।वैसे पुजारी ने डाक्टर को बुलाया था तो कहा था कि भोग में कोई दूषित खाना या ठंडा खाना खाने से बीमार हो गए राम तुम । क्या राम तुम भी बीमार होते हो ?जब तुम भी बीमार होते हो तो तुममे और आम मनुष्य में क्या अंतर है ? जब तुम भी खाने से बीमार हो जाते हो तो आश्चर्य होता है कि क्या तुम भी नहीं जान पाते हो कि क्या खाद्य है और क्या अखाद्य ? वैसे राम तुमको उन मंदिरों में खड़ा रहना कैस लगता है । पत्थरों के बन गए राम तुम तो सांस कैसे लेते हो और इतने भारी भरकम वास्ते तुम्हारे ऊपर बोझ तो नहीं लगते है राम ? 

अभी अभी तुम्हारा बहुत भव्य मंदिर बना है बड़ी मुश्किल से । राम तुमको भी न्याय अदालत से जाकर मिल पाया है ।लोग तुम्हारी अदालत में जाते है न्याय पाने पर तुम खुद न्याय के लिए तरस गए सालों  तक । वैसे क्या सचमुच ये न्याय तुम्हारे लिए ही हुआ है ? क्या सचमुच इस न्याय का इंतजार कर रहे थे अदालत के दरवाजे पर खड़े हुए । कितना आंदोलन हुआ तुम्हारे लिए और कितने दंगे हुए राम तुम्हारे लिए । कितने लोग मारे गए राम तुम्हारे लिए ,कितनी संपत्ति नष्ट हुई राम तुम्हारे लिए । राम तुम ये सब होते देख रहे थे तटस्थ भाव से ? क्या सचमुच तुमने ये सब देखा और होने दिया अपनी स्वीकृति से ? इस दंगों में तो राम वो सब भी हुआ जिसके खिलाफ रहे हो तुम ऐसा बताता जाता है। वैसे राम क्या ये सच है कि तुम ईश्वर हो और अब तुम्ही रचते हो तो क्या ये सब भी तुमने ही रचा है ।

राम अब तुम एक भव्य मंदिर में भी बैठा दिए गए हो पर हमें तो पता था कि तुम गोरे हो तो उस मंदिर में काले क्यों हो गए ? शंकराचार्य लोग तो कहते है कि तुम्हारा मंदिर अधूरा है और अधूरे घर में तुम्हे विराजमान नहीं करना चाहिए था क्योंकि तुम नीचे बैठे हो और तुम्हारे ऊपर मजदूर चढ़ कर ऊपर का निर्माण करते रहेंगे ।तुम्हे बुरा तो नहीं लग रहा हैं न राम । बारिश में तुम्हारे ऊपर पानी टपकने लगा तुम भीग तो नहीं गए राम ? वरना तुम फिर बीमार हो जाओगे और डाक्टर बुलाना पड़ेगा और तुमको दवाई खाना पड़ेगा ।तुम्हारे नाम पर किरण जुल्म हुआ है राम और तुमको कितना बड़ा घर चाहिए कि तुम्हारा घर बनाने के लिए सैकड़ों लोगों के घर और दुकानें उजाड़ दी गई । जमीन की खरीद फरोख्त में भी खूब भ्रष्टाचार किया गया राम । क्या इन बातों से तुम्हे अब कोई फर्क नहीं पड़ता है ? 
राम तुमने अपनी वो फोटो तो देखा होगा जिसमें तुम्हारी उंगली पकड़ कर कोई ले जा रहा है छोटे बच्चे से तुम और बहुत बड़ा वो आदमी जिसकी उंगली के सहारे तुम चल रहे हो राम । कलयुग इसीलिए बना क्या राम की तुमको लोगो के सहारे की जरूरत होगी और सत्ता की सीढ़ी बन जावोगे तुम तो भ्रष्टाचार का आधार बन जावोगे तुम । रात तुम्हे कैसा लग रहा है रावणो की फौज के बीच असहाय दिखना और किसी आम इंसान की उंगली के सहारे चलना । जीते जागते इन्सान या देव के बजाय पत्थरों में कैद होना । क्या राम अब तुम्हे वो क्रोध भी नहीं आता जब तुमने समुद्र को सुख देने के लिए बाण प्रत्यंचा पर खींच लिया था । राम क्या तुम सचमुच असहाय हो गए हो या आम इंसान से भी पीछे की चीज हो गए हो या लंका की एक लड़ाई से इतना थक गए हो कि लाखों साल के विश्राम पर हो या धोबी से आहत होकर रूठ गए हो या सीता जब साथ किए गए अपने व्यवहार से इतना शर्मिंदा हो कि कही छुपे हो कि चाहे जो हो जाए तुम नहीं आवोगे या अपनी शक्ति और देवत्व भूल गए हो राम ? 

कुछ तो बोलो राम ! तुम हो भी या केवल कल्पना हो । अगर हो तो आवो लाखों रावण निर्द्वंद जो चाह रहे है कर रहे है उनका संहार करो ।अगर सचमुच हो तो आओ और आज की अहिल्याओं का ,सीताओं का और करोड़ी शबरी का उद्धार करो । 

राम तोड़ दो बेड़ियां , निकल आओ बाहर पत्थरों से और इन करोड़ी कैदखानों से और बता दो कि तुम थे ,तुम हो और तुम ही रहोगे । 
राम आवोगे न ? 

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