1990 की बात है | केंद्र में जनता दल की सरकार थी और शरद यादव जी कपड़ा मंत्री थे | शरद यादव जी ने मुझे और जया जेटली जी को जो बाद में जोर्ज फर्नांडीज साहब की पार्टी समता पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष बनी थी हैंडीक्राफ्ट बोर्ड ऑफ़ इंडिया का सदस्य मनोनीत कर दिया था | इस बोर्ड के सदस्य के रूप में मुझे प्रसिद्ध सूरजकुंड हैंडीक्राफ्ट मेला और ग्वालियर मेला जाने का मौका मिला | जहा सूरजकुंड का मेला हैंडीक्राफ्ट के लिए आकर्षण वाला था और वहा खाने पीने की स्टाल से लेकर तमाम तरह की खरीददारी की स्टाल थो वही तमाम अच्छे सांस्कृतिक कर्यक्रम का भी आकर्षण था | दूसरी तरफ ग्वालियर के मेले में बहुत बड़े क्षेत्र में बिलकुल मेले का दृश्य था और मेले का सब कुछ था तो एक बड़ा आकर्षण था जिसके करण देश भर से लोग वहा आते थे वो था गाडियों पर टैक्स की छूट जिसके करण गाड़ियाँ सस्ती मिलती थी | खुद अपने एक रिश्ते के भाई जो आई पी एस अधिकारी थे और तभी एस पी बन कर एस पी जी में पोस्टिंग पर दिल्ली आ गए थे उनके साथ मैं ग्वालियर गया था उनकी गाड़ी खरीदवाने |
मेरे मन में विचार आया की आगरा अन्तरराष्ट्रीय शहर है तो ऐसा मेला यहाँ क्यों नहीं होना चाहिये और क्यों न सूरजकुंड तथा ग्वालियर के मेले का मिला जुला स्वरुप का मेला आगरा में शुरू किया जाए | उस वक्त आगरा में अमल कुमार कुमार वर्मा जी जिलाधिकारी थे | मैं हैंडीक्राफ्ट बोर्ड ऑफ़ इण्डिया के मेम्बर की हैसियत से अमल कुमार वर्मा जी से मिला और उनके सामने मैंने अपना प्रस्ताव रखा | वर्मा जी ने मेरे प्रस्ताव पर बहुत सकारात्मक रुख दिखाया और उसी वक्त उनसे मिलने के लिए मिस्टर सक्सेना जो पी सी एस अधिकारी थे और उस वक्त जनरल मैनेजर उद्योग के पद पर आगरा में नियुक्त थे आये हुए थे और बाहर इन्तजार कर रहे थे उनको वर्मा जी ने अन्दर बुला लिया और उनको मेरे प्रस्ताव के बारे में बताया तथा उनको सेल्स टैक्स ,पर्यटन विभाग इत्यादि के नाम नोट करवाया तथा कहा की आप नोडल अधिकारी के रूप में रहेंगे और इन सभी विभागों के अधिकारी की बैठक एक दो दिन में ही बुला लीजिये |
बैठक तय हो गयी और जिलाधिकारी के निवास पर दो दिन बाद पहली बैठक हुयीं | मैंने दोनों मेले का वर्णन सबके सामने रखा और कहा की आगरा तो अंतर्राष्ट्रीय शहर है यहाँ तो ऐसे कार्यक्रम की और ज्यादा जरूरत है ,साथ ही मैंने प्रस्ताव रखा की आगरा में दोनों मेले का मिला जुला मेला लगाया जाये | तब सवाल आया की सेल्सटैक्स माफ़ करना तो सरकार का काम है उसके लिए ऊपर बात करना होगा तो मैंने कहा की जिलाधिकारी जी सरकारी तौर पर प्रस्ताव भेज दे बना कर और मैं मुख्यमंत्री जी से बात करने की कोशिश करता हूँ | इसी बीच आर बी एस कालेज जहा बचपन से मैं पढ़ा था और जिस कालेज के मुलायम सिंह यादव जी भी छात्र रहे थे उसके प्राचार्य जी ने मुझे बुलाया और मुख्यमंत्री के नाम एक पत्र दिया की कालेज मुख्यमंत्री जी को अपने कृषि परिसर बिचपुरी में एक कार्यक्रम में बुलाना चाहता था | मैंने समय लेकर वो पत्र मुख्यमन्त्री मुलायम सिंह यादव जी को दिया जो निमंत्रण उन्होंने तत्काल स्वीकार कर लिया और बाद में आये भी तथा बिचपुरी परिसर के उस कार्यक्रम में कालेज को उस समय ५ लाख रुपया देंने की घोषणा भी किया | इसी कालेज के निमन्त्रण वाली मुलाकात में मैंने मुलायम सिंह यादव जी को अपना आगरा में दोनों मेले का मिलाजुला मेला शुरू करने का प्रस्ताव भी दिया और बता दिया की जिलाधिकारी तैयार हो गए है तथा दो बैठके हो चुकी है कमिटी बन गयी है ,बस शासन की स्वीकृति चाहिए तथा ग्वालियर की भांति सेल्स टैक्स में छूट के लिए शासन की सहमती चाहिए तो मुलायम सिंह जी ने ग्वालियर मेले और छूट इत्यादि के बारे में मुझसे कुछ सवाल किये | मेरे जवाब के बाद बोले की आगरा में भी हो और प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी हो और ग्रामीण क्षेत्र सैफई में हो सकता है | ग्रामीण क्षेत्र का विकास होगा और ग्रामीण खेल कूद भी होंगे | मैंने कहा की हो सकता है | साथ ही इस छूट का लाभ उठाने के लिए आसपास के प्रदेशो से हजारो लोग आयेंगे तो भरी बिक्री होगी और कुल मिला कर प्रदेश को ज्यादा ही फायदा हो जायेगा | मुलायम सिंह जी बोले की ठीक है जिलाधिकारी का प्रस्ताव आने दीजिये ,कर देंगे |
उस वक्त संजय प्लेस की जेल टूट चुकी थी और खाली मैदान था बहुत बड़ा | मेरे दो सुझाव और थे की प्रारंभ में ये मेला संजय प्लेस में लगे क्योकि शहर के बीच लगेगा तो लोग ज्यादा आयेगे और जहा तक गाडियों का सवाल है मेले में केवल बुकिंग स्टाल होगा और गाड़ियाँ अपने गोदाम से मिलेगी | दूसरा सुझाव था की इस मेले की स्थाई व्यवस्था सिकन्दरा के आगे दिल्ली रोड पर दाहिनी तरफ किया जाए जहा स्थाई तौर पर हैंडीक्राफ्ट की दुकाने हो तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों खासकर इस क्षेत्र के सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए एक खुला और एक हाल वाला थिएटर हो | जमुना पीछे की तरफ हट नुमा कमरे हो या कई मंजिल के अच्छे कमरे हो जहा सुरक्षा की समुचित व्यवस्था हो और वो सैलानियों के लिए हो तथा उनके लिए रात को सांस्कृतिक कार्यक्रम हो और अच्छा खाने पीने का इंतजाम हो |
मैंने बीजारोपण कर दिया था पर आगरा का ताज महोत्सव १९९२ में शुरू हो पाया | मेरे हैंडीक्राफ्ट बोर्ड ऑफ़ इन्डिया का मेंबर रहते शुरू नहीं हो सका क्योकि १९९१ में हमारी केंद्र और प्रदेश की दोनों सरकारे गिर गयी थी | मैं जो स्वरूप चाहता था वो भी नहीं हो पाया और दिल्ली रोड पर चाहता था वो भी नहीं हो पाया | सच कहा जाता है की कोई चीज जिसके दिमाग की उपज होती है वो उसी के द्वारा आदर्श रूप ले सकती है वर्ना जैसे एक आदमी से कोई बात कही जाए तो लाइन में अगले व्यक्तियों से आगे जाते जाते अंत में बात कुछ और हो जाती है वैसा ही इस मेले के साथ हुआ | हा ग्वालियर मेले की सेल्स टैक्स छूट वाला विचार जो मुलायम सिंह जी के दिमाग में आ गया था वो सैफइ में क्रियान्वित हो गया |
मुझे ये अफ़सोस आज भी है की आगरा में जो मैं एक बहुत सार्थक काम करना चाहता था वो पूरा नहीं हो पाया | पर संतोष इस बात का है मन का विचार चाहे जिस रूप में आगरा में जमीन पर आया आया तो और सैफई के काम भी आ गया |
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