गुरुवार, 27 नवंबर 2014

दुनिया में किसी बच्चे ने पैदा होने के बाद संस्कृत में माँ बोल है क्या ?
जो जहा पैदा होता है मुह से वहां की भाषा के शब्द बिना सिखाये निकल जाते है ।
निरक्षर लोगो को भी मानस रामायण कंठस्थ है क्योकि वो सरल बोली वाली भाषा में है ।
बाकी भाषाये व्यक्ति अपनी इच्छा और ज्ञान तथा रोजी रोटी से जोड़ कर सीखता है ।
महामानव लोग नयी क्रांति करेंगे की बच्चा पैदा होते ही संस्कृत बोलेगा और उसी से रोटी कमाएगा ।
रोजगार और रोटी पर रोक लगाने वाले ,गरीब से छीन कर पूंजीपतियों की तिजोरी भरने वाले अब देश से दुनिया तक अपने बूते पर मिलने वाले रोजगार पर भी ग्रहण लगाना चाहते है ।
भारत के लोगो को दुनिया में रोजगार इसलिए मिला की वो टूटी फूटी अंग्रेजी जानते थे और चीन ,रूस जर्मनी के लोगो को इसीलिए नहीं की वो नहीं जानते थे ।
ये ईसा पूर्व की मानसिकता पता नहीं देश को कहा ले जाएगी क्योकि ऐसी मानसिकता वालो का जहा भी शासन आया उन देशो और वहां के लोगो की दुर्दशा सभी ने देखा और देख रहे है ।
ईश्वर मेरे भारत को नकली रामभक्तो से बचाए जिनका राम आदर्शो और मर्यादा का वाहक नहीं बल्कि दंगो और नफरत का वाहक है ।

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