गुरुवार, 27 नवंबर 2014

पार्टी संगठन और कार्यकर्ता अपने नेता के नेतृत्व में जनता की तकलीफों और अकांक्षाओ के लिये संघर्ष करते है ।अधिकारी उस वक्त नेता का भी गिरेबान पकड़ लेते है और कर्यकरताओ तथा जनता पर गोली और लाठी चलाते है ।
चुनाव होता है और जनता उस संघर्ष का सम्मान करते हुए भारी मतों से पार्टी को भरी बहुमत से विजयी बनाती है और सरकार बन जाती है ।
और वही अधिकारी असली राजा बन जाते है इन्होने पिछले पांच साल पीटा और अपमानित किया था और कार्यकर्ता तथा जनता फिर दूर से मायूस सत्ता को निहारते है ।सत्ता को कैद कर लेती है फिर से नौकरशाही और तंत्र ।यही कहानी बार बार दोहराई जा रही है मेरे देश में ।फिर वही अधिकारी नचाने लगते है सत्ता को अपनी उंगलियों पर बहुत विनम्र भाव् से और खा जाते है सरकार तथा संगठन को क्रूरता से ।
कार्यकर्ता और समर्थक जनता उत्पीडित होते है और आवाज इस लिए नहीं उठा सकते की तथाकथित रूप से अपनी सरकार है और अगर ज्यादा हो जाने पर आवाज उठाने की हिमाकत कर दें तो फिर वही अधिकारी उसे पीटते है और मुकदमे लाद कर अपराधी बना देते है ।
मुहम्मद बिन तुगलक का इतिहास और कारनामे पढ़े है कुछ वैसे ही फैसले करने लगते है नौकरशाह और जनता की पूँजी और अधिकार को उसके जाने से रोकने और अपनी तिजोरियां भर देने में लगा देते है पूरी ताकत पूरी आपसी एकता और समझ के साथ ।लड़ाते रहते है राजनैतिक शक्ति को और एक दूसरे को जनता में खलनायक सिद्ध करने को सारे हथियार भी देते है और मदद भी करते है उनका ऐसा प्रचार करने हेतु ।ताकि सारी चर्चा में रहे राजनैतिक लोग और ये लूट ले सारे खजाने को ,ताकि को न देखे की कितनी कोठियां और कितनी बड़ी बड़ी बन गयी इनकी ।घर में झोपडी नहीं थी पर कितनी समपत्तियाँ बना लिया इन्होने और किस किस नाम के क्या क्या बना लिया इन्होने ।
राजनैतिक ताकते कब खुद राज करंना और नौकरशाहो को आदेशित करना सीख पाएंगी और कब इस स्थायी व्यवस्था को जवाबदेह बना पाएंगी और कब एक दूसरे को नीचा दिखाने के बजाय एक दूसरे का सम्मान करना तथा सहयोग से जनहित में करते हुए स्वस्थ और वास्तविक लोकतंत्र कायम करना सीख पाएंगी और कब इस तंत्र की कठपुतली बनना नहीं बल्कि इनको आदेशित कर और समयबद्ध तथा गुणवत्ता के मानक पर खरा काम करवाना सीख पाएंगी और कब राजनैतिक ताकत की तरह इस तंत्र में बैठे लोगो को भी यदि उन्हें जनता नकार दे और उनके काम को तो वो भी पद पर न रहे ऐसी व्यवस्था कायम कर पाएंगी ।ये बड़ा सवाल मेरे जेहन में काफी वर्षो से है और मुझे उद्वेलित करता रहता है की यह नौकशाही द्वारा संचालित नकली लोकतंत्र कब तक चलेगा ।
आज एक विज्ञापन देखा आगरा पर और किसी थीम पार्क की चर्चा तो ये विचार अपने आप को उद्वेलित करने लगा ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें