गुरुवार, 27 नवंबर 2014

जब से पता चला है की बिना इन्वेस्टमेंट के ,बिना रिस्क के और केवल जुबान चला कर बाबा और संत तथा व्यापारी नुमा बाबा बड़े बड़े पूंजीपतियों से भी आगे है धन ,वैभव,और ऐश में तो देश ले पूंजीपतियों के साथ साथ ज्यादा बोलने वाले नेताओ ने भी सोचना शुरू कर दिया है की बाबा का काम ही या भी क्यों न डाल लिया जाये ।
देश के आजकल चर्चित और केवल बोलने वाले नेता ने तो बाबा की तरह बोलने का अभ्यास भी शुरू कर दिया है ऐसा लोग उनके बोलने के नए अंदाज से समझ रहे है ।
सच तो ये है की मैं भी सोच रहा हूँ की और कोई कारोबार करने के लिये तो धन नहीं है तो यही अजमा लूँ ।हा हा हा

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