गुरुवार, 4 अप्रैल 2013

उस दिन से जब से पढ़ा है कि किसी के सूचना के अधिकार में पूछे गए सवाल की रास्ट्रपिता महात्मा गाँधी को कब और किस आदेश से रास्ट्रपिता घोषित किया गया ,भारत सरकार ने जवाब दिया की कभी नहीं बहुत व्यथित हूँ कि इतना बड़ा धोखा की हम बचपन से जिसे रास्ट्रपिता कहते रहे और दुनिया जिसे रास्ट्रपिता ही जानती है हिंदुस्तान के सन्दर्भ में उसे उसी के चेलो ने धोखा दे रखा है और अभी भी उन्हें रास्ट्रपिता घोषित करने का कोई इरादा नहीं दिखाया है ,जबकि दुनिया के तमाम देशो में ऐसा हो चूका है ।
मैं ट्विटर और यहाँ भी ये मुद्दा उठा चूका हूँ पर लोगो के लिए ये कोई मुद्दा नहीं है । किसी जाती की बात करो तमाम लोग जुड़ जायेंगे ,धर्म और नफ़रत की बात करो तमाम मिल जायेंगे ,कोई कविता या शेर लिख दो क्या बात है वाह वाह कुछ नकारात्मक बात करो लाखो साथ है कोई घटिया बात करो तब भी । पर गंभीर बात पर चर्चा में कोई नहीं आता । दोस्तों मैं कुछ बातें केवल देखने के लिए दाल देता हूँ की आज का पैमाना क्या है ?
क्या मीडिया के साथी इसे मुद्दा बनाना चाहेंगे ? देखते है ।

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