बुधवार, 24 अप्रैल 2013

चीन 1962 से हमारी हजारो वर्ग मील जमीन दबाये बैठा है । तिब्बत पर कब्ज़ा कर लिया ।डॉ लोहिया ने चीन के आक्रमण से काफी पहले ही देश और तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू जी को चेतावनी दिया था की चीन के झांसे में न आये वो आक्रमण करेगा ,फिर भी सरकर हिंदी चीनी भाई भाई के नारे में उलझी रही ।पिचले आठ साल से मुलायम सिंह यादव भी लगातार चीन से चौकन्ना रहने की बात कर रहे है पर वो जब चाहे जहा पहुच जाता है और सरकार सोती रहती है । चीन पाकिस्तान तक सड़क और हमारे सागर में अड्डे बना रहा है । अरुणाचल सहित हमारे कई हिस्सों को अपना बताता है । अब 10 किलोमीटर घुस आया और कह रहा है की वापस नहीं जायेगा । कैलाश मानसरोवर उसक कब्जे में है । क्या करना चाहिए । क्या वो शक्तियां जो देश के अन्दर धर्मस्थलो के लिए लड़ाई करवाती है ,क्या वे वैसा ही माहौल पाकिस्तान में मौजूद ननकाना साहब और चीन में मौजूद कैलाश मानसरोवर पर कब्ज़ा करने के लिए बनाने को तैयार है ।
अगर हाँ तो मैं विश्वास दिलाता हूँ की पूरा देश जिसमे हिन्दू, मुस्लिम , सिख, इसाई सभी होंगे इसमें साथ होंगे पर आप बहादुर लोग आगे तो बढ़ो एक बार हिम्मत कर के ।
ये तो अलग लोगो के लिए अलग शिक्षा और जनता के लिए चिंतन का विषय दिया था मैंने पर सचमुच देश के जागरूक लोग क्या बता सकते है की देश को क्या करना चाहिए ??? क्या देश की सरकारों ने इस विषय पर गंभीर रुख नहीं अपनाया बल्कि कम चलाऊ बयानों से और कागजी विरोध प्रदर्शन से ही काम चलाया है आज तक ? क्या अब की बार भी असफल रहने पर केंद्र सरकार और कोंग्रेस को देश को माफ़ करना चाहिए ?
विषय गंभीर है इसलिए देखता हूँ की कितने लोग और क्या कहते है ?

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