मंगलवार, 9 अप्रैल 2013

आगरा में कल रात 12 बजे से आज इस वक्त तक कुल करीब 15 घंटे की बिजली कटौती हो चुकी है । इनवर्टर भी जवाब दे गए । मोमबत्ती और पेट्रोमेक्स घरो में रहे नहीं हाथ का पंखा भी नहीं कैसे सोयेंगे सभी । तीन साल पहले मायावती बिजली एक प्राइवेट कंपनी टोरेंट को दिया था । तब वादा किया गया था की एक साल बाद आगरा के लोग जेनरेटर ,इनवर्टर और स्तेब्लाइजर भूल जायेंगे । इस कंपनी को देने से पहले कभी दो घंटे से ज्यादा बिजली गयी नहीं और आगरा त्राहि त्राहि कर रहा है । उस सरकार के खिलाफ हमने भी कहा था की ये सरकार गयी तो टोरेंट गयी पर ---
हम उत्तर प्रदेश के लोगो को जो बिजली सामान्य हालत में करीब चार रुपये पड़ती है वाही बिजली हम टोरेंट को 1 रुपये और 80 पैसे में देते है । टोरेंट वही है 4 .450 रुपये में देता है । पीक टाइम में बिजली हमें 8 / 9 रुपये भी पड़ती है हम फिर भी टोरेंट को 1.80 में ही देते है । पर एक सीमा के बाद टोरेंट को बिजली 5.50 में मिलेगी । अतः वो बिजली काट कर अपना बिजली खर्च उस सीमा के नीचे ही रखता है ।
प्रदेश को इनसे केवल एक फायदा हुआ है की आगरा में नौकरी करने वाले सभी कर्मचारी और अधिकारी चले गए तो उनका खर्च बच गया ।बाकि हिसाब तो सरकार ही दे सकती है । पर जनता हमसे बहुत नाराज है ।
क्यों नाराज है ? क्योकि जब भी ये घंटो बिजली काटते है तो लोगो को बताने लगते है की बिजली लखनऊ से सरकार काट रही है ।
हम हजरों करोड़ की सब्सिडी देते है ,कर्ज माफ़ करते है ,और तमाम चीजे बाँटते है तो ये छोटी से रकम क्या मायने रखती है ?
आगरा बहुत परेशांन है ।सर्वॊच्च नयायालय के आदेश के विपरीत सभी जेनरेटर खरीदने लगे है ,मैं भी सोच रहा हूँ की जेनरेटर तो नहीं खरीद सकता तो ,हाथ का पंखा और पेट्रोमेक्स और मोमबत्ती के पैकेट तो खरीद ही लू । चलिए पुराने युग की तरफ क्योकि एक मल्टीनेशनल कंपनी का राज आ गया है ।

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