शनिवार, 7 सितंबर 2024

जिन्दगी_के_झरोखे_से जब मैंने 2014 चुनाव, घटनाएं ,पैसे लौटाना

#जिन्दगी_के_झरोखे_से 

जब मैंने 2014 चुनाव, घटनाएं , आजमगढ़ के हालात और मेरा योगदान तथा  बाद में बचे पैसे पार्टी ऑफिस में जमा करना तो कुछ लोग परेशान हो गए थे ।

2014 का लोकसभा चुनाव घोषित हो गया था और उस वक्त मैं समाजवादी पार्टी का प्रदेश महामंत्री भी था और मेरा मंत्री की दर्जा भी था , प्रवक्ता भी था जिसे मीडिया पूरे समय घेरे रखती थी और रोज 4/5 डिबेट भी करना पड जाता था ।अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी थे । मेरा नेता जी के बगल में कमरा था जो प्रशिक्षण कक्ष के रूपe में भी काम आता था ,क्योंकि ज्यो ही 10 नौजवान या पार्टी के लोग मेरे कमरे में एकत्र हो जाते मैं किसी विषय पर ऐसे बात शुरू कर देता की लोगो को लगे कि यूं ही बात कर रहा हूं पर उस विषय पर सबका पूरा ज्ञानवर्धन हो जाये , जिससे कही मुद्दा उठने पर लोग जवाब दे सके या मेरी ही तरह ये बाते जनता को बता सके । 
अखिलेश जी से  पार्टी कार्यालय में मेरी मुलाकात हुई तो मैंने पूछा मुझे चुनाव में क्या क्या करना है ? क्या मैं आगरा चला जाऊं और उधर के क्षेत्रों में काम करू नही तो आगरा के लोग बोलेंगे की चुनाव में मैं नहीं दिखा । अखिलेश यादव बोले की नही आप को लखनऊ ही रहना है और यहां का काम सम्हालना है । यदि कही भेजने की जरूरत होगी तो मैं बताऊंगा । मैंने कहा की मेरे पास कोई घर तो है नही लखनऊ में और मैं तो सरकारी गेस्ट हाउस में रह कर काम चला लेता हूं । तो अखिलेश जी बोले की अभी तो  सरकारी गाड़ी भी जमा हो जाएगी और 50 दिन से ज्यादा का चुनाव है तो मैं आप को पार्टी से पूरे चुनाव के लिए पैसे दिलवा दे रहा हूं । आप कोई अच्छा सा होटल बुक कर लीजिए और एक किराए की अच्छी गाड़ी ले लीजिए , जो जो काम पड़ता जाएगा वो मैं बताऊंगा । मैंने कहा की क्या मैं आगरा कभी नही जाऊंगा चुनाव में तो बोले वो भी बताऊंगा । 
मेरी एक बेटी नोएडा में नौकरी में थी और बेटा भी पर मेरी एक बेटी मेरे साथ आगरा में रहती थी जो मैनेजमेंट में असिस्टेंट प्रोफेसर थी , उसको इतने दिन के लिए अकेला छोड़कर और उससे बात कर कि बेटा आप को दिक्कत तो होगी पर मेरे ऊपर जिम्मेदारी है इसलिए किसी तरह मैनेज कर लीजिएगा और मैं रोज दिन में कई बार हाल पूछता रहूंगा और बेटी को अकेला छोड़कर मैं 50 दिन से अधिक के लिए रुक कर पार्टी का काम करने लगा । हजरतगंज के एक होटल में कमरा ले लिया और टैक्सी वाले से एक इनोवा गाड़ी भी ।
इस बीच एक बार अखिलेश जी ने कहा की आप आगरा जाना चाहते थे चलिए मेरी उधर ही कुछ सभाएं है जिसमे आगरा भी है । उस दिन मैं उनके साथ एयरपोर्ट गया साथ में अमर उजाला के एक रिपोर्टर श्रीवास्तव जी भी सभी सभाएं कवर करने के लिए चल रहे थे । हम लोग प्राइवेट जहाज में बैठ गए तो पायलट बोले की मौसम बहुत खराब है ,अभी जहाज उड़ान रिस्की है, काफी देर जहाज में हम लोग इंतजार करते रहे मौसम ठीक होने का तो पायलट बोला कहिए तो जहाज उड़ाने का प्रयास करे तो अखिलेश जी बोले की जब मौसम इतना खराब है तो मरना थोड़े है । काफी देर तक वही हालत रही  तो अखिलेश जी बोले की ठीक है हम लोग (  वी आई पी कक्ष ) बैठते है । लखनऊ एयरपोर्ट पर उत्तर प्रदेश सरकार का अपना कक्ष बना हुआ है जो एयरपोर्ट से अलग है और प्रदेश के वी आई पी उसी में इंतजार करते है और उससे अलग रास्ते से जहाज तक जाते है । हम लोग आकर वहा बैठ गए । पत्रकार साथी इंटरव्यू लेने लगे । चाय कॉफी का दौर चलने लगा और करीब तीन घंटे हम लोग वहा बैठे रहे । देर हो चुकी थी और सभाओं में पहुंचना मुश्किल था इसलिए हम लोग वापस लौट लिए । 
इसके बाद फिर एक दिन मुझे बताया गया की मुझे आगरा जाना राजा भैया को लेकर ,पर पहले जहाज लेकर इलाहाबाद जाना है और वहा राजा भैया मिलेंगे और फिर वहा से उन्हें लेकर जाना है । राजा भैया की आगरा में सभा मांगी गई थी पर वो स्टार प्रचारक नहीं थे इसलिए अगर अकेले जाते तो सारा खर्च प्रत्याशी के खाते में लग जाता ।  मैं स्टार प्रचारक था इसलिए मुझे प्राइवेट जहाज लेकर जाना था । लखनऊ एयरपोर्ट से मैं  जहाज में चला तो इधर से राजा भैया की पत्नी भी इलाहाबाद तक गई और वहा से राजा भैया को लेकर हम सैफई पहुंचे और वहा जहाज छोड़कर हेलीकॉप्टर से आगरा के खेरागढ़ पहुंचे । प्रत्याशी अरिदमन सिंह को पता नही क्या सूझा की उन्होंने राजा भैया को बाई रोड पूरा क्षेत्र घुमाने का प्रोग्राम बना लिया । हेलीकॉप्टर अंधेरे में नहीं उड़ सकता था तथा जहाज के उड़ाने का समय भी निर्धारित था । बार बार उन लोगो का मुझे फोन आ रहा था । खैर फिर स्पीड तेज कर किसी तरह हेलीकॉप्टर के पास पहुंचे और फिर सैफई से लखनऊ पहुंचे । एक चीज देखा मैने की जहाज या हेलीकॉप्टर उड़ाने से उतरने तक राजा भैया कोई धार्मिक गुटका लिए हुए थे और लगातार वो पढ़ते रहते और उतर जाने पर उसे माथे से लगाकर रख देते पर मैने उसके बारे में कुछ पूछा नही ।

नेता जी आजमगढ़ से चुनाव लड़ रहे थे । मैं अपने कामों के साथ साथ प्रदेश भर में चुनाव का पता भी लगाता रहता थे । मुझे आजमगढ़ के कुछ लोगो ने बताया कि आजमगढ़ में नेता जी की स्थिति अच्छी नहीं है तब मैने अखिलेश जी से कहा की मुझे आजमगढ़ जाने की इजाजत दे दीजिए । अखिलेश जी ने आजमगढ़ जाने को तो कह दिया पर बोले कि तीन चार दिन में वापस आ जाइएगा वरना यहां काम खराब होगा । 

मैने आजमगढ़ में किसी को कह कर एक होटल का कमरा बुक करा लिया और वहा पहुंच गया। कमरा तो मिल गया पर अगले दिन से धर्मेंद्र का खास आदमी जो वहा काम कर रहा था होटल वाले पर दबाव बनाने लगा की उससे पूछे बिन कमरा क्यों दिया ? जिसे वो बोलेगा उसी को कमरा देना होगा।  होटल वाला इन लोगो से डरा हुआ था और मुझसे विनती करता । खैर दो दिन बाद धर्मेंद्र भी उसी होटल में आ गए तो मैने उनको ये बात बताई तब जाकर उनकी आदमी शांत हुआ ।
मैने पहले अपने सब जानने वालों को बुलाया और पूरी जानकारी लिया तो मेरे पैरो के नीचे से जमीन खिसक गई क्यों सबके अनुसार नेता जी तीसरे नंबर पर थे और लड़ाई भाजपा के रमाकांत यादव और बसपा के गुड्डू जमाली के बीच थी । तब मैने नेता जी को फोन किया की यहां तो ये हालत है ,बलराम वगैरह ने आप को यहां फंसा दिया है और उन लोगो के कारण आजमगढ का माहौल पार्टी के खिलाफ हैं , गुड्डू जमाली मुसलमान वोट ले रहा है तो स्थानीय होने के कारण यादव वोट रमाकांत को भी मिल रहे है । तब नेता जी बोले फिर करना क्या है तो मैने कहां की प्रदेश के अधिक से अधिक लोगो को भेजिए बाकी मैं पूरी कोशिश करता हूं की अपनी बिरादरी का अधिक से अधिक वोट  भाजपा में जाने से रोकूं और आप को दिलवाऊं और मुस्लिम वोट पर भी रणनीति बना कर काम शुरू करता हूं   क्योंकि आजम खां के ऊपर चुनाव आयोग ने रोक लगा दिया था तो वो नही आ सकते थे । नेता जी ने कहा की पूरी ताकत लगा दीजिए । मैने कहा की आप नही जीतेंगे तो सब जीत बेकार हो जाएगी इसलिए ये प्रतिष्ठा का सवाल है ।
फिर अखिलेश जी फोन कर उनको भी स्थिति बताया और कहा की मुझे यहां ज्यादा रुकना होगा तो अखिलेश जी ने कहा की कोशिश करिए की वहा जो करना है करके जल्दी वापस आ जाइए । 

मैने अपने लोगो के साथ अपना कार्यक्रम तय किया और मेरी सुबह से रात तक 14/15 सभाएं तय कर दी गई । जिसमे भूमिहार गांव में और मुस्लिम इलाके में । मेरा काम शुरू हो गया । सरस्वती की कृपा है मुझपर तो वो काम करने लगीं  । सबसे पहले एक प्रेस कांफ्रेंस किया जिलाध्यक्ष इत्यादि को साथ बैठाकर , जिले के बुद्धिजीवियों ,कवियों इत्यादि से मुलाकात किया और उसको इस जीत हार का मतलब समझाया। फिर सुबह निकलता और रात को 12 बजे तक लौटता । भूमिहार बिरादरी को समझाने में कामयाब रहा की मुलायम सिंह यादव जीतेंगे तो आजमगढ़ का क्या भला होगा और बाकी लोग तो कुछ नही कर पाएंगे । कई गांव में भाजपा के झंडे लगे थे पर मेरे भाषण के बाद वो झंडे उतर गए । मुस्लिम लोगो को भी बताता की गुड्डू स्थानीय है पर विधायक लायक ही ठीक है और नेता जी के होने से आजमगढ़ चमक जाएगा । 
एक दिन गुड्डू जमाली के कस्बे में ही सभा संबोधित करने चला गया । भीड़ थी और धर्मेंद्र सहित कई मंत्री मंच पर थे पर मैने कहा की मेरी आगे कई सभाएं है इसलिए मैं पहले बोलकर चला जाऊंगा । मेरा भाषण हुआ और जनता मेरे प्रभाव में आ चुकी थी । मैं जब सभा से जाने लगा तो बड़ी संख्या में लोग मेरे पीछे चल दिए तो मुझे वापस जाकर माइक से अपील करना पड़ा की कई वरिष्ठ नेता और मंत्री है इसलिए सब को सुनकर जाइए ,फिर भी काफी लोग मेरे साथ मेरी गाड़ी तक आ गए जिन्हे हाथ जोड़कर मैने वापस भेजा । मैं समझ गया था की गुड्डू जमाली के घर में सेंध लगाने में में कामयाब हो चुका हूं। आखिरी दिन की आखिरी सभा मैने शिबली कालेज के पास किया क्योंकि मैं जानता था की यही से संदेश जाता है ।एक बात ये हुई की आजमगढ़ में कोई होटल या ढाबा रात को नही खुलता था और रोज मुझे 12 से 1 तक बज जाता था । शुरू में तो होटल ने काउंटर पर ऊंघ रहे कर्मचारी से मैने कहा की कुछ नही अगर ब्रेड हो तो वो दे दी ,वो भी नही हो तो दूध ही दे दो । अगले दिन किसी से मैने लाई चना और गुड मगा लिया फिर काम चलने लगा । किसी गांव में कोई कुछ भी खिलाता तो खा लेता था वरना लाई चना काम देने लगा ।  दूसरा इस बीच नेता जी का , अखिलेश जी का और शिवपाल जी के कार्यक्रम भी लगे पर मेरे पास किसी को शक्ल दिखाने के लिए वक्त ही नहीं था ,शक्ल दिखाने वाले वहा मडराते रहे और फर्जी रिपोर्ट देते रहे । कुछ लोगो ने ऐसा भी किया की शहर में बस अपनी शक्ल दिखाया और कही कुछ लोगो को बैठा कर नेता जी तथा अखिलेश जी को फोन कर दिया की फला समाज के मुअज्जिज लोग बैठे है इन लोगो से बात हो गई है और सब लोग काम कर रहे है । जब गाड़ी में होता तो ये सब बाते बहुत से बताते रहते थे ।
खैर सैकड़ी बाहर के नेताओ की भीड़ और बहुत कुछ करके नेता जी 60  हजार से अधिक से चुनाव जीत गए । काउंटिंग के किसी को लगाकर मैने भूमिहार गांवों के वोटो का रिकॉर्ड मंगवा लिया और नेता जी को निशान लगाकर से दिया की भूमिहार गांवो में 35 हजार से अधिक वोट पड़ा था जो मैं नहीं लगा होता तो भाजपा में चला जाता । मुस्लिम में मैने क्या किया ये में क्यों बताता ? ये तो नेता जी के परिवार वालों को बताना चाहिए था पर वो क्यों बताते वो लोग तो खुद श्रेय लेने में लगे रहे जबकी उन लोगो का एम पी बनना तो पैदाइशी अधिकार था क्योंकि वो लोग नेता जी के घर में पैदा हुए है । 
हा एक दिन नेता जी से मिलने उनका एक खास यादव दीवान आया जो फिरोजाबाद में पोस्टेड था पर उसकी ड्यूटी वहा लग गई थी । उसने नेता जी से कहा की साहब एक कोई  सी पी राय है जो आगरा से आया था उसने आकार आजमगढ का माहौल बदल दिया नही तो चुनाव मुश्किल था । उसी दिन जब मैं नेता जी से मिला तो उन्होंने ये बात बताया । 
आजमगढ़ पर लिखने को बहुत है पर आखिरी मुद्दे पर आता हूं । 
चुनाव खत्म हो गया ,रिजल्ट निकल गया । रिजल्ट वाले दिन मैं 13 घंटे तक टीवी चैनलो पर था । रात को 9 से 10 वाल एन डी टी वी के रवीश के कार्यक्रम ने उन्होंने कहा की राय साहब आप से सवाल पूछे उसके पहले होने वाले प्रधानमंत्री का भाषण सुन ले । मोदी जी का बड़ोदरा का भाषण था जिसमे वो कह रहे थे की ये जनता की जीत है ,  अभी हमारी जिम्मेदारी है की सब वादे पूरे करें। मुझसे सवाल पूछा की क्या कहेंगे तो मैं। सुबह से ही भाषपा को जीत की बधाई दे रहा था इस टीवी पर भी दिया और फिर बोला की रवीश जी मोदी जी का ऐसा विनम्र स्वभाव है नही क्योंकि मैं लंबे समय से इनपर निगाह रखे हूं पर फिर भी कई बार होता है की फलदार वृक्ष झुक जाता है और यदि ऐसा होता है तो भारत के हित में होगा ,  हम सबका भला होगा पर उनका ये स्वभाव नहीं है , आगे देखते है ।
रात 10 से 11 बजे तक मैं आई बी एन 7 पर था । वहा भी यही हुआ की संदीप चौधरी ने कहा की आप से तीन सवाल है पर पहले प्राइम मिनिस्टर इन वेटिंग का भाषण सुन ले । तब अहमदाबाद का भाषण आ रहा था जिसमे मोदी जी का "   " अहम ब्रह्मास्मी " जाग चुका था और मैं मैं की रट लगाए हुए थे । संदीप ने तीन सवाल एक साथ पूछा की : इस सरकार से आर्थिक नीति में क्या फर्क आएगा ? विदेश नीति में क्या फर्क आएगा और क्या 100 दिन में महंगाई कम हो जाएगी । तब मैने कहा संदीप जी आप के सवालों का जवाब देने से पहले मैं 30 सेकंड कुछ और कहना चाहता हूं और जो बार कहूंगा वो नेता या प्रवक्ता के रूप में नहीं कहूंगा बल्कि राजनीति शास्त्र के एक विद्यार्थी के रूप में कहूंगा । संदीप के हा कहने पर मैने कहा था की आप से पहले मैं रवीश के कार्यक्रम में था और ये कहा था पर अभी जो भाषण सुना की अहम ब्रह्मास्मि जाग गया है तो पूरे हिंदुस्तान में जितने करोड़ लोग इस वक्त टीवी सुन रहे है ये लिखकर रख ले की अगर अहंकार अहमदाबाद से चलकर दिल्ली आ रहा है तो भारत अपने इतिहास के सबसे अयोग्य और असफल प्रधानमंत्री को देखने जा रहा है   इसपर एंकर सब मेरे ऊपर टूट पड़े की जनता ने इतनी बड़ी जीत दिया है आप कैसी बात कर रहे है तो मैने कहा की में अपनी बात पर कायम हूं आप लोग लिखकर रख लीजिए यदि 5 साल बाद मैं गलत साबित हुआ तो देश से माफी मांग लूंगा।
फिर तीन सवालों पर मेरा जवाब था जिसमे पहला सवाल विदेश नीति पर था तो मैं बोला की विदेश नीति तो वो लोग तय करते है जो आज से 50 / 100 वर्ष आगे देखते है और आर एस एस तथा भाजपा हर वक्त 5000 साल पीछे देखती है इसलिए विदेश नीति तय करना इनके बस की बात नही । यदि ये पुरानी विदेश नीति कायम भी रख पाए तो इनका भारत देश पर एहसान होगा ।
दूसरा सवाल था आर्थिक नीति का था मैने कहा था की विदेश नीति क्या होगी ये आने वाले 6 महीने बाद पता लगेगा तब बोलूंगा क्योंकि तब तय होगा की ये लिंग जनता के साथ है जिसने जिताया है या अड़ानी और अंबानी के साथ है जिन्होंने सरकार बनाने और मोदीजी को बनाने पर 50/ 60 हजार करोड़ रुपया खर्च किया है ।
तीसरा सवाल था 100 दिन में महंगाई कम होने का तो मैने बोला ये महंगाई 10 साल में भी कम नहीं कर सकते है क्योंकि देश में जितने मुनाफाखोर , मिलावटखोर और जमाखोर है उनमें से 90% उनके लोग है और ये उनका पेट नही काट सकते । 
ये तो समय ने सिद्ध किया की मेरा बोला सच निकला या नही पर उस दिन जब मोदी जी भारी जीत हासिल कर चुके थे ऐसा बोल पाना शायद राज नारायण जी के इस शिष्य के बस की ही बात थी क्यों रिजल्ट निकलते ही बाकी दलो के प्रवक्ता मैदान छोड़ गए थे पर मैं रात 11 बजे तक मैदान में डटा रहा था ।
चुनाव समाप्त हो चुका था तो मैने देखा कि मुझे जो पैसे दिए गए थे इस काम के लिए उसमे से 65 हजार रुपए बच गए थे तो मैं सपा ऑफिस में जगजीवन के पास गया और बोला की ये पैसे जमा कर लो और रजिस्टर में दर्ज कर लो की मैने वापस किया । जगजीवन बोला की क्या कर रहे है ,कोई नही लौटता है तो आप क्यों लौटा रहे है । लोग बुरा मानेंगे आप वापस ले जाइए । पर मैं नही माना और वापस कर दिया । वैसे ऐसी बातो की नेताओ की निगाह में कोई वैल्यू नही होती और न उनकी निगाह में आप का सम्मान ही बढ़ता है क्योंकि मेरा अनुभव तो यही है ।।
इति कथा संपन्नम।

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