सोमवार, 9 सितंबर 2024

जिंदगी के झरोखे से 1991 और 1992

#जिन्दगी_के_झरोखे_से 

1991 सरकार का गिराना और फिर चुनाव तथा 1992  का इटावा का चुनाव और कल्याण सिंह की सरकार का आतंक । 

1991 दिल्ली में चंद्रशेखर जी प्रधानमंत्री थे और सरकार के बनाने वाले चौ देवीलाल जी उप प्रधानमंत्री थे और उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव जी मुख्यमंत्री थे । तब पार्टी का नाम था समाजवादी जनता पार्टी ( सजपा) जिसके चंद्रशेखर जी राष्ट्रीय अध्यक्ष थे और मुलायम सिंह जी उत्तर में पार्टी के अध्यक्ष थे और मैं उत्तर प्रदेश पार्टी का महामंत्री था ।तब प्रदेश के महामंत्री में रमा शंकर कौशिक , बेनी प्रसाद वर्मा, भगवती सिंह , आजम खान और बलराम यादव इत्यादि थे और ये सभी कैबिनेट मंत्री थे । प्रदेश के उपाध्यक्ष राम सरन दास जी थे और वो भी मंत्री थी । जनता दल की टूट और सरकार गिरने के बाद ये दल बना था और दोनो सरकार राजीव गांधी जी यानी कांग्रेस के समर्थन से चल रही थी ।

राजीव गांधी के घर के बाहर कोई दो सादी वर्दी में लोग खड़े देखे गए जिन्हे पुलिस का आदमी बताया गया और कांग्रेस ने ये आरोप लगाया की सरकार राजीव गांधी की जासूसी कर रही है । विवाद बढ़ गया और चंद्रशेखर तो चंद्रशेखर थे उन्होंने भी विवाद को सुलझाने की कोशिश करने के बजाय संसद को संबोधित किया और सरकार का इस्तीफा देने राष्ट्रपति भवन चले गए और सरकार गिर गई । पर जब तक चुनाव न हो तब तक कार्यवाहक प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी बने रहे । 

मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव जी दिल्ली में थे और चंद्रशेखर जी तथा चौ देवीलाल से मिले और तमाम मुलाकाते किया । राजीव गांधी जी ने मुलायम सिंह यादव जी से कहा की आप चंद्रशेखर जी को छोड़िए और प्रदेश में अपनी सरकार चलाते रहिए हम आप को सार्थन जारी रखेंगे । तमाम मंथन सुबह से रात तक हुआ । फिर देर रात राजेंद्र प्रसाद रोड पर किसी तरह जनेश्वर मिश्र जी को जगाया गया और कुछ देर उनसे रायबात हुई । इसके बाद मुलायम सिंह जी स्टेट प्लेन से लखनऊ रवाना हो गए और लखनऊ जाने से पहले ही उन्होंने अपने ओ एस डी सिंह साहब को एक पत्र तैयार कर मौजूद रहने को कहा । लखनऊ आने के बाद सुबह ही राज्यपाल जी के पास जाकर अपना स्टीफा सौंप दिया और इस तरह उत्तर प्रदेश सरकार भी गिर गई और मुलायम सिंह जी कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहे । दोनो सरकारों की संस्तुति पर लोकसभा और उत्तर प्रदेश विधान सभा का चुनाव घोषित हो गया ।

दिल्ली में मुलायम सिंह यादव जी के एक ओ एस डी थे मिस्टर बागची और पता नही कैसे वो मुख्यमंत्री के नाक के बाद बन गए थे जिन्हे मुलायम सिंह जी का सुबह से रात तक अनगिनत बार फोन आता । दिल्ली आने पर वही साथ रहते और दिल्ली में मीडिया मैनेजमेंट सहित कई मैनेजमेंट करते थे बल्कि सरकार उन्होंने धीरे धीरे अपना स्टेटस चीफ सेक्रेटरी के बराबर करवा लिया था और उनको दिल्ली के गोल मार्केट में एक सरकारी घर एलाट हो जाता था तथा सरकारी गाड़ी और उत्तर प्रदेश निवास जहा मुख्यमंत्री और मंत्री रहते थे उसमे एक सुइट स्थाई तौर पर उनके पास था और कनॉट प्लेस क्षेत्र में उत्तर प्रदेश सरकार का सूचना विभाग का कार्यालय है उसमे एक बड़ा सा ऑफिस था ।

डा बागची मुख्यमंत्री का सलाहकार होने के नाते दिल्ली में बहुत प्रभावशाली थे और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सारे अधिकारी नोएडा गाजियाबाद प्राधिकरण सहित सब उनके यहां हाजिरी लगाते थे । इस बीच उन्होंने सरकारी घर छोड़ दिया और ये कह कर दूसरी जगह चले गए की ये घर छोटा पड़ता है । बाद के दिनों एक दिन एक आकस्मिक जरूरी काम पड़ने पर उन्होंने अपना पता दे दिया और मुझे वही बुला लिया । तब मालूम पड़ा की उन्होंने दिल्ली के एक सबसे महंगी पॉश कॉलोनी कैलाश हिल्स में 4 मंजिल का जबरदस्त सुंदर और महंगा घर बना लिया है और पी ए सहित कई लोग घर का काम करने वाले साथ ही दरवाजे पर उत्तर पुलिस की गारद सब हो गया था । चलते वक्त उन्होंने बताया की कलकत्ता का घर बेच कर उन्होंने ये बनवा लिया है और काफी कर्ज ले लिया है और मुझसे आग्रह किया की इस घर के बारे में मैं मुलायम सिंह यादव जी से कोई बात न करूं क्योंकि उनको इस घर का पता है और वो आ भी चुके है । मुलायम सिंह जी का खास होने के कारण उनकी पहुंच प्रधानमंत्री से लेकर सभी मंत्रियों तक थी । उनकी पत्नी एक उच्च शिक्षित बहुत अच्छी महिला था और किताब इत्यादि लिख रही थी । वही मैने देखा की एक लड़की जिसको टेंपरेरी तौर पर बागची जी टाइप इत्यादि करने को घर बुलाते थे जो बाद में यू पी निवास के सूईट में भी काम के नाम काफी देर तर्क रहती थी उसको घर में एक फुली फर्निश्ड कमरा देकर घर में ही बसा लिया है ।  चूंकि वो मुलायम सिंह जी के खास थे तो मुझे भी मिलना पड़ता और जानकारियां लेना पड़ता था । 

ऊपर की इतनी सारी उनके बारे में बताने के पीछे कोई खास मकसद नहीं नही था पर उनके साथ की एक घटना का जिक्र करना था । बाकी पाठक इसका अर्थ तलाशे की मैने उनके बारे में इतना क्यों लिखा । जबकि मुलायम सिंह जी खास होने के कारण और मुलायम सिंह जी द्वारा स्तीफा देने के बाद मुझे भी कुछ खास महत्व दिया जा रहा था क्योंकि उनके चुनाव में 1989 में काम करने के बाद वो मुझे मिले ही नहीं थे ,कभी भीड़ में भले मिल गए हो जबकि उन्होंने पार्टी के संसदीय बोर्ड में ये कहा था की मैं सी पी राय को टिकट देने के खिलाफ नही हूं बल्कि चूंकि मैं चुनाव में दौरे पर रहूंगा इसलिए सी पी राय मेरा चुनाव देखे और मेरे मुख्यमंत्री बनने के बाद विधायक क्या होता उससे ज्यादा उन्हें बना दूंगा । जब सरकार गिर जाने की सभावना बन रही उसी बीच एक दिन मुख्यमंत्री मुझे यू पी निवास मिल गए और बात करने का मौका मिल गया तो मैने उनकी बात याद दिलाया और कहा वो तो मुझे भूल ही गए और कभी मिलने क्या समय भी नही दिया तथा उन्होंने चाय इत्यादि पिला कर मुझे कहा की मैं जाऊं नही मुझे उनके साथ लखनऊ जाना है । थोड़ा समय मांग कर मैं यूं पी भवन से अपने थोड़े कपड़े और जरूरी चीज एक बैग में रख लाया । रात को हम लोग लखनऊ मुख्यमंत्री निवास पहचे तो उन्होंने मुझे एक पत्र सौंपा जिसमे मुझे पार्टी का उत्तर प्रदेश का महामंत्री बनाया गया था ।उसके बाद वो मुझे महत्व देने लगे थे ,दिल्ली हो या लखनऊ मेरा बेरोकटोक प्रवेश होने लगा पर चंद दिनों में ही सरकार गिर गई ।  इसी कारण डा बागची भी मुझे महत्व देने लगे थे और सारी बाते मुझसे साझा करने लगे थे ।"

चुनाव घोषित हो गया था मुलायम सिंह जी किसी काम से दिल्ली आए थे तो डा बागची का फोन मुझे पहुंचा की कल मुख्यमंत्री आ रहे है आप की आ जाइए और यू पी भवन में आप का कमरा बुक है । मैं भी पहुंच गया दिल्ली और पूरे दिन मुलायम सिंह यादव जी के साथ रहा । शाम को जब वो लखनऊ के लिए निकले तो मैने उनसे पूछा की में भी कल यहां से आगरा जाकर परसों लखनऊ पहुंच जाऊंगा । इस बात पर मुख्यमंत्री जी बोले की नही आप दो चार यही रुकिए और कुछ काम है वो बागची आप को बता देंगे उसके बाद आप लखनऊ आ जाइएगा। 

मैं और डा बागची एक गाड़ी में एयरपोर्ट से वापस आ रहे थे तो पता नही कैसे मेरे दिमाग में एक बात आई। मैंने बागची जी से कहा की कुछ दिन पहले ही अयोध्या में गोली चली थी और एक वर्ग मुख्यमंत्री जी से बहुत नाराज है । यदि चुनाव के बाद सरकार नही बनी और मुझे ऐसा लगता है की हम लोग हर जायेंगे तो मुलायम सिंह जी कि सुरक्षा को खतरा रहेगा और सरकार ज्यादा सुरक्षा देगी नही । तब तक के पूर्व मुख्यमंत्रियों को इतना तामझाम नही मिलता था और न सरकारी गाड़ी ही मिलती थी । मैंने कहा की प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए जो एन एस जी बनी है क्या प्रधानमंत्री जी वही सुरक्षा अयोध्या के नाम पर मुलायम सिंह यादव जी को दे सकते है । डा बागची खुश हो गए की उनको एक नया आइडिया मिल गया जो उन्होंने मुलायम सिंह जी को अपना आइडिया ही बताया भी । खैर अगले दिन बागची जी के कार्यालय में इस संबंध में एक पत्र टाइप हुआ और वो लेकर हम दोनो प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी से मिलने गए । चंद्रशेखर जी बोले ये खास उद्देश्य के लिए सुरक्षा बनी है पर अधिकारियों से बात कर में कुछ करता हूं और फिर इस सुरक्षा का ऑर्डर हो गया और आगे चल कर परंपरा बन गई उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों को एन एस जी मिलने की । इस बीच मुलायम सिंह जी ने भी एक आदेश कर दिया की पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकार से समुचित सुरक्षा मिलेगी । इस बीच कुछ काम मुलायम सिंह जी ने बताए वो पूरा किया गया ।

मुलायम सिंह जी ने मुझे लखनऊ में रहकर चुनाव की व्यवस्थित देखने , अखबारों को बयान देने इत्यादि की जिम्मेदारी दिया और तब सरकारी गेस्ट हाउस में चुनाव में रुकना मना नहीं था इसलिए मैं जहा रहता था मीरा बाई मार्ग के गेस्ट हाउस में रहकर काम सम्हालने लगा ।स्टेट गेस्ट हाउस में अटल बिहारी वाजपेई मेरे पड़ोसी थे और अक्सर उनसे नमस्कार हाल चाल हो जाता । अटल जी लखनऊ से चुनाव लड़ रहे थे । उनके पड़ोस में रहने का अनुभव अलग से लिखूंगा । खैर सुबह से रात तक राजभवन कालोनी में पार्टी  कार्यालय में बैठता और बीच बीच में कही सभा भी संबोधित कर आता । 
इस बीच एक दिन मैं दिल्ली चला जाता कुछ काम से तो पता चला की सुब्रमण्यम स्वामी जी जो चंद्रशेखर जी की सरकार में वाणिज्यंत्री थे उसके राजनीतिक कार्यालय पर काफी चुनाव सामग्री आई है तो मैने शाम को मुलायम सिंह जी को ये बताया । मुलायम सिंह जी बोले की जाकर देख लीजिए की क्या वो हम लोगो के लिए भी देंगे । मैं सुब्रमण्यम स्वामी से मिला और बात किया तो उन्होंने इजाजत दे दिया आप ले जाओ । मैंने गाजियाबाद के एस एस पी को फोन कर उनसे दो ट्रक और दोनो में एक एक सिपाही का इंतजाम करने को कहा । वो दोनो ट्रक आ गए तो मैने पूरा सामान ही भरवा दिया जबकि स्वामी जी ने सिर्फ एक ट्रक ले जाने को बोला था । मैंने मुलायम सिंह जी से बात किया की में ट्रक लखनऊ के कार्यालय में भेज दे रहा हूं तो वो बोले की एक ट्रक इटावा भेज दीजिए और एक लखनऊ । मैंने वैसा ही किया और ट्रक रवाना कर दिया । इसके बाद यू पी निवास जाकर मुलायक सिंह जी से बात किया की मैने सारा सामान उठा लिया है स्वामी जी नाराज होंगे तो आप देख लीजिएगा । मुलायम सिंह जी ने पूछा की इटावा का ट्रक कहा भेजा है तो मैने कहा की इटावा में घुसते ही रामगोपाल जी का जिला पंचायत अक्ष्यक्ष वाला घर है तो मैने सोचा वहा आसानी से पहुंच जाएगा । इसपर मुलायम सिंह जी नाराज हो गए की वहा क्यों भेज दिया ? कोई कार्यक्रता उसके घर नहीं जाएगा और किसी को कुछ नही मिलेगा ।किसी तरह मैनेज करिए की शिवपाल के घर ट्रक पहुंचे । तब मैने कहा की वो तो जा चुका । ट्रक का नंबर में बता दे रहा हूं । इटावा में शिवपाल जी या किसी से बोल दीजिए की अंदाज से ट्रक फला समय तक पहुंचेगा को शहर के बाहर ही रोक ले और फिर शिवपाल जी के घर ले जाए ।सुब्रमण्यम स्वामी जी ने किसी कपड़ा मिल से बहुत अच्छा सफेद कपड़ा पूरा बड़ा बड़ा रोल मंगाया था । बाद में इटावा में काफी लोग उसी कपड़े का कुर्ता पजामा पहने हुए मिले । 
इसके बाद में लखनऊ आ गया । लखनऊ के लिए निकला तो एक मैं हुआ की थोड़ी देर आगरा में रुक कर परिवार से मिल लूं और खाना खाकर निकल जाऊंगा पर फिर विचार आया की आगरा जाकर कही बच्चो के मोह में में रुक न जाऊं तो आगरा से आगे बढ़ गया और शिवपाल जी के घर खाना खाने रुक गया । शिवपाल जी के घर उसी समय मुलायम सिंह जी भी आ गए और हम लोग साथ बैठ गए । मुलायम सिंह जी ने मुझसे पूछा की आप प्रदेश भर लोगो से बात करते है क्या रिपोर्ट हैं । मैंने कहा भाईसाहब 40 सीट पार करना मुश्किल लग रहा है तो वो बोले की अधिकारी और इंटेलिजेंस वाले तो डेढ़ सौ बता रहे है । मैंने कहा ईश्वर करे ढाई सौ हो जाये पर मेरी रिपोर्ट यही है । अयोध्या को लेकर भाजपा ने पूरा हमारे खिलाफ माहौल बना दिया है और जनता में बड़े पैमाने पर आप से नफरत भर दिया है । मुलायम सिंह जी थोड़ा मायूस हुए तो मैने कहा की ताकत लगाया जाए हो सकता है पिछड़े और मुसलमान एकजुट हो जाये और चमत्कार हो जाए । बाद में पता लगा की मुस्लिम ने उस चुनाव में बहुत ही काम मतदान दिया था और कई पीछड़ी जातियां हिंदू बन कर वोट डाल आती थी ।इसी चुनाव में राजीव गांधी जी पेरंबतूर में शहीद हो गए थे । सचमुच उस दिन बहुत बेचैन रहा मैं और खाना ही नहीं खाया । परिणाम  निकला तो हम लोगो को केवल 29 विधानसभा सीट मिली और चंद्रशेखर जी सहित केवल चार लोकसभा सीट मिली थी । परिणाम के दिन सुबह ही मैं मुलायम सिंह जी के निवास गया और जो हुआ वो अलग किस्से में । इस चुनाव में इटावा का चुनाव रद्द हो गया था । प्रदेश के कल्याण सिंह की भाजपा की सरकार बहुमत से बन गई । 

इसके बाद क्या क्या हुआ और कैसे दुबारा हम आए ये विस्तार से अलग एपिसोड में । पर इतना बता दूं कि मुलायम सिंह जी इसके बाद जब दिल्ली आते तो मैं एक दिन पहले यू पी भवन पहुंच जाता । तब सुरेश के लिए सरकारी गाड़ी नहीं मिलती थी तो मैने आर के पुरम के एक परिचित सरदार जी के टैक्सी स्टैंड से tay कर लिया था की जब भी मुलायम सिंह जी आयेंगे उनके लिए एक बहुत अच्छी गाड़ी और दो गाड़ी एन एस जी के लिए देना होगा । मुलायम सिंह जी वाली गाड़ी हमारे पास आयेगी और बाकी दो गाड़ी एन एस जी सेंटर जाएगी । फिर ये क्रम चलता रहा । 

1992 में इटावा का लोकसभा और विधान सभा चुनाव घोषित हो गया । एक दिन हम और नेता जी दिल्ली में थे तो तय हुआ की इटवा में मुझे भाषण और प्रचार करने अलावा चुनाव आयोग से तथा प्रशासन से संपर्क और मीडिया का काम देखना होगा और उसके लिए मुझे इटावा में ही होटल में रहना होगा क्योंकि वहा मुलायम सिंह जी ने अपने कमरे में एक फोन लगवा लिया था । वापस लौटते वक्त मुलायम सिंह जी ने कहा की एक काम है आप और बागची जी मिलकर कर दीजिए और फिर आप इटावा पहुंच जाइए । अगले दिन डा बागची ने कहा की कल्याण सिंह मुलायम सिंह जी को हरवाने लिए पूरी ताकत लगा देंगे इसलिए हम लोगो को भी पूरी ताकत झोंकनी होगी और ऐसा किया जाए की गांव गांव हर पर  पार्टी का झंडा लग जाए और उन्होंने कुछ लाख की संख्या बताया और बोले की में नहीं जानता की झंडा इत्यादि कहा थोक में बनता है तो आप दो चार बनाने वालो का नंबर ले आइए या ये बता कर की इतना ज्यादा चाहिए बुला हो लाइए । मैंने पता लगाया कारखानों का और उनके मालिकों का नंबर ले आया तथा डा बागची का नंबर उन लोगो को दे आया और वापस इटावा चला गया । मेटाडोर में लद कर वो झंडे इत्यादि इटावा पहुंचे तो रामगोपाल यादव ने उनकी गिनती करवा लिया और उन्होंने बताया की 100 के है बंडल में केवल 90 झंडे ही है । बाद में पता चला की डा बागची दिल्ली का घर बेचकर कही बाहर चले गए । किसी ने बताया न्यूजीलैंड शिफ्ट हो गए । बस इनकी कथा यही तक । 

इटावा में ज्यादा होटल तो है नही केवल एक सुधाशु होटल ही ठीक था तो वो पूरा होटल मुलायम सिंह जी ने बुक कर लिया । क्योंकि सुरक्षा के लिए भी कमरे चाहिए थे और एकाध कमरा इसलिए रखा गया की कोई महत्त्वपूर्ण नेता आ जाए तो रुकवा दिया जाए । ये मुलायम सिंह जी का खुद का चुनाव था इसलिए प्रदेश भर के लोग आ गए तो तय हुआ की सब लोगो को अलग अलग गांव में किसी के घर पर रुकवाया जाए । मुझे सुधांशु होटल में कमरा मिल गया और मुलायम सिंह प्रचार के लिए भी जाते तो उनका एक आदमी रहता और कमरा खुला रहता की पता नही कब फोन की जरूरत पड़ जाते । यही ये भी बता दूं कि टी एन शेषन ने अपना व्यक्तिगत नंबर दे दिया था की कभी कोई दिक्कत हो तो मैं तुरंत बताऊं और जब भी मैने फोन किया उन्होंने तुरंत ही उठा लिया तथा मेरी शिकायत सुनने के बाद वो कहते की आप ये सब लिख कर एक टेलीग्राम भी कर दीजिए ताकि सब ऑन रिकॉर्ड हो जाए और मेरा आए दिन ये काम रहता । कितनी फर्क है टी एन शेसन और आज के चुनाव आयुक्तों में । 
इसी बीच मुलायम सिंह जी के पैर में मोच आ गईं  और चलना मुश्किल हो गया तो ब्लैक कैट कामडो उन्हे उठा कर लेकर गाड़ी में बैठते और वापस कमरे में लाते । बड़ी मुश्किल से वो गावो में संपर्क और सभा कर पा रहे थे । तो तय हुआ की में उनसे पहले सभा में विस्तार के बाते रख दूंगा और वो काम बोल कर गांव वालो से बातचीत में समय लगाएंगे । 
कल्याण सिंह ने इस चुनाव में अति कर दिया और पुलिस गांव गांव जाकर गांव वालो को धमकाती और प्रताड़ित करती तो एक नया काम मेरे जिम्मे आ गया उन गावो में जाने और गांव को साहस देने का । मैंने एक अखबार में बात कर लिया तो मेरे साथ ऐसी जगहों पर उनका एक रिपोर्टर और एक फोटोग्राफर भी जाने लगे और ऐसा मैने पेशबंदी के कारण किया । कितना जुल्म हो रहा था बताने के लिए केवल एक गांव का किस्सा बता दे रहा हूं । एक गांव से खबर आई की वहा पुलिस ने आतंक मचाया है । शाम का वक्त था अपनी गाड़ी लेकर और उस समय रिपोर्टर नहीं जा सकते थे तो इटवा के स्थानीय व्यक्ति को राष्ट्र बताने के लिए लेकर शायद रणवीर को उस दिन ले गया था मैं ।जब गांव में पहुंचे तो गांव में कोई इंसान नही था । लोगो के घरों के चूल्हे टूटे हुए थे ।बर्तन और खाना कूए में फेंक दिया था या इधर उधर फैला दिया था । हमने जोर से सवाल लगाना शुरू किया  । मैंने अपना नाप पुकार कर बताना शुरू किया की जहा भी हो सब लोग आ जाए । हम आ गए है , अब कुछ नही होगा । तब खेतो में से पहले एक दो नौजवान आए और उनके आवाज लगाने पर बाकी लोग निकल आए । सारे हालत का फिरी खीच गया । गांव वालो को आश्वस्त कर के हम वापस होटल आ गए । मैंने पहले शेसन साहब को सब बताया और फिर समाचार बनाया । अखबार को समाचार दिया और फोटो उनके पास थी परंतु अगले दिन ये समाचार नदारद दिखा । क्योंकि सत्ता का बहुत दबाव था । तब मैने अखबार वालो से बात किया की आप समाचार नही छाप पा रहे हैं तो कल मैं प्रेस कांफ्रेंस कर देता हूं । वो तो मेरा वक्तव्य  होगा वो तो छाप देंगे न । अगले दिन सुबह पहले टेलीग्राम किया रात की घटना का और फिर प्रेस किया उसके बाद प्रचार के लिए निकला ।इसी बीच एक दिन चौ देवीलाल जी की सभा और दिन शरद यादव जी की सभा कराने की जिम्मेदारी नेता जी ने मुझे दे दिया । देवीलाल जी की सभा के बाद उनको रामगोपाल जी के जिला पंचायत अध्यक्ष वाले घर में खाना भी खिलाना था । 
इस पुलिस आतंक से थोड़ी मुक्ति दो घटनाओं के बाद मिली जब बसरेहर इलाके में बालेश्वर यादव का टकराव हो गया और जनेश्वर जी भी पहुंच गए तथा 2/3 हजार लोगो ने थाना घेर लिया । दूसरी घटना मेरे साथ हुई और जसवंतनगर के इंस्पेक्टर ने मुझे जवंतनगर वाली पुलिया पर रोक लिया तो मैने गाड़ी थोड़ी तिरछी खड़ी कर दिया जिससे ट्रैफिक रुक जाए ।उसने ये हिमाकत तब किया था जब मैं रोज अखबारों में बड़े बड़े समाचारो में दिखता था । मैं अपनी गाड़ी के बोनट पर चढ़ गया ।क्षेत्र के लोग मुझे जानते थे और हर गांव में 1989 में मेरा भाषण सुन चले थे तथा उसके बाद तमाम राजनीतिक कार्यक्रमों में सुन चुके थे तो वैसे ही जाम लग रहा था और भीड़ लग । मैंने भाषण शुरू कर दिया की देख लीजिए अंग्रेजी राज भी फेल कर दिया जितना जुल्म कल्याण सिंह की पुलिस कर रही है । भीड़ बढ़ती जा रही है तो इंस्पेक्टर धीरे से गाड़ी पर बैठा और निकल गया तो लोगो ने उसे हूट करना शुरू कर दिया और नेता जी के तथा मेरे नारे लगाने लगे और इस तरह जसवंतनगर में भी आतंक टूट गया । लौट कर मैने टी एन शेसन से बात किया और फिर तार किया । रात को नेता जी के आने पर मैने बताया तो वो बोले की आप ने खूब दिमाग लगाया । अच्छा किया ।पर आतंक यही खत्म नहीं हुआ । वोट का दिन आ गया । जसवंतनगर क्षेत्र के  बूथ की सारी रिपोर्ट की कहा कितना वोट पड़ा रामगोपाल जी ने लाकर मुझे दे दिया जो मैने काउंटिंग के दिन काउंटिंग के पंडाल के प्रभारी को दिया । 
काउंटिंग के दिन तीन विधान सभा क्षेत्र के पंडाल में पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया और भाजपा प्रत्याशियों को जीत का प्रमाण पत्र दे दिया गया । उन तीनो क्षेत्र की काउंटिंग के टीम वरिष्ठ नेता जो पूर्व मंत्री थीं इंचार्ज थे । वो लोग सीधे सुधांशु होटल मुलायम सिंह जी के कमरे पर आ गए । होटल और काउंटिंग स्थल बिल्कुल आसपास था । में पिछली रात को देर रात तक जगा था और उठने के बाद व्यस्त हो गया था तो फ्री होते ही ब्रश कर रहा था और नहाने की तैयारी कर रहा था । होटल के बाहर हजारों लोगो की भीड़ थी  । मेरा कमरा मुलायम सिंह जी के बिलकुल सामने था । मुझे कुछ शोर सा लगा तो जल्दी से मुंह धोकर मैं मुलायम सिंह जी के कमरे में पहुंचा तो देखा की वो अपनी बालकनी जो बाहर की तरफ खुलती रही में खड़े बाहें झटक झटक कर कुछ बोल रहे है । मैने जब इन नेताओ को देखा तो पूछा की आप लोग कैसे आ गए काउंटिंग हो गई क्या तो पता लगा की काठीचाज कर हमे तीन सीट पर हरा दिया गया फिर मुझे बात समझते देर नहीं हुई और मैं बालकनी में चला गया तो मुलायम सिंह जी गुस्से में बोल रहे थे की आज निपट लो चाहे दो चार मर जाए पर इस आतंक से लड़ना ही होगा । मैंने बोला की भाई साहब आप क्या कर रहे है । आप पूर्व मुख्यमंत्री है और बवाल होगा तो सब आप पर डाल दिया जाएगा । चलिए हम लोग काउंटिंग स्थल पर चले नही तो आप को भी हरा देंगे । मुलायम सिंह जी को बात समझ मे आ गई और हम दोनो  मतगणना स्थल पहुंच गए और सीधे प्रधानाचार्य के कमरे में पहुंचे जहा डी एम बैठे थे । थोड़ी गरमा गर्म हुई तो उन्होंने जसवंतमगर का जीत का प्रमाणपत्र मगवा कर दिला दिया फिर पूछा गया की औरैया में भी जीत रहे है उसका क्या होगा तो उसका प्रमाणपत्र भी हमारे प्रत्याशी को दे दिया ।हम लोग बाहर निकले गाड़ी में बैठने को तब तक किसी अधिकारी ने जोर से बोला लाठीचार्ज तो मैने देखा की सभी सिपाही मुंह फेर कर खड़े हो गए क्योंकि उन सबको मुलायम सिंह जी ने ही नौकरी दिया था ।
हम लोग गाड़ी की तरफ बढ़े तो सुनील वाजपेई नामक एक सी वो मेरे पास आए , वो पहले आगरा रह चुके थे और मेरे अच्छे संबंध थे।  उन्होंने मुंह दूसरी तरफ किया हुए मुझे बताया कि शिवपाल सिंह यहां मौजूद है और उनका वारंट है ,उन्हे नही आना चाहिए था और पुलिस की निगाह उन पर है ।तब मैने निगाह दौड़ाया तो थोड़ी दूर शिवपाल जी दिख गए ।मैने आवाज देकर उन्हें बुलावा और हाथ पकड़ कर गाड़ी में जल्दी बैठने को कहा । मुलायम सिंह जी बैठ चुके थे । मैने शिवपाल जी से कहा की होटल तो चलो और वहा से भीड़ में गायब हो जाना । जब तक पुलिस कुछ समझ पाती तब तक हमारी गाड़ी चल पड़ी और कमाडो की सुरक्षा के गाड़ी रोकने की हिम्मत किसी की नही हुई और होटल पहुंच कर शिवपाल जी निकल गए । 
इस चुनाव में एक और बुरी बात हो गई थी । राम सिंह शाक्य हमारे उम्मीदवार थे और काशी राम भी लड़ गए फिर भी राम सिंह शाक्य जीत जाते लेकिन पता नही किसने ये माहौल बना दिया की राम सिंह शाक्य के लोग ये कह रहे है की ऊपर का वोट उनको दो और नीचे का किसी को भी दो । ये बाद फैल गई और परिणाम स्वरूप राम सिंह हार गए और काशीराम जिंदगी में पहला चुनाव जीत लोकसभा मेंबर हो गए । मुझे पता लगा की राम सिंह शाक्य बहुत नाराज है और कोई और फैसला ले सकते है । शाक्य हमारी पार्टी के वोटर थे तो मैने नेता जी से कहा की में राम सिंह शाक्य से मिलने जा रहा हूं और कोशिश करूंगा की माना कर ले आऊं तो आप खुद उन्हे माला पहना देना की हमारे एम पी तो वही है। मैं राम सिंह शाक्य के घर पहुंचा । वहा काफी भीड़ थी और सब गुस्से में थे क्योंकि उनका मानना था की मुलायम सिंह जी के लोगो ने उनके खिलाफ काशीराम की मदद किया । मैं काफी देर रहा और अंत में उन्हें तैयार करने में कामयाब रहा की वो नेता जी से एक बार मिल ले और बात सुन भी ले और कह भी दे फिर चाहे जो फैसला करे । राम सिंह शाक्य मेरे साथ सुधांशु होटल आ गए ।आते ही बिना कोई बात कहे सुने नेता जी ने उनको माला पहना कर गले लगा लिया की आप तो अपने ही और हमारे लिए तो आप ही इटावा के एम पी हो और बर्फ पिघल गई । 
मैं बहुत साधारण व्यक्ति हूं और मेरी कभी जातिगत राजनीति नही रही बस वैचारिक राजनीति करता रहा ।जब जो जिम्मेदारी मिली पूरी लगन और निष्ठा से सफलता पूर्वक निभाया पर मेरे नाम के आगे लगा रात शब्द शायद मेरी अयोग्य बना रहा हमेशा और मेरे साथ न्याय हुआ अन्याय ये सब जानने वाले पाठको पर छोड़ देता हूं ।

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