मंगलवार, 10 सितंबर 2024

जिंदगी के झरोखे से प्रकाश भैया

मैं जब अमरीका में था तो कुछ दिन मैने प्रकाश भैया यानी प्रोफेसर डा प्रकाश चंद्र शर्मा ( मेरी स्वर्गीय पत्नी के फुफेरे बड़े भाई ) जो सालो से अमरीका में है और फिजिक्स के प्रोफेसर होने के साथ एक वैज्ञानिक भी है जिनके अंदर एक रिसर्च उस वक्त चल रही थी की कैसे गाड़ी की बैटरी हल्की और छोटी हो पर वो ज्यादा मील तक जाए और एक रिसर्च ये भी चल रही थी की क्या सड़क से चलती गाड़ी बिजली बना सकती है अगर सड़क मैग्नेट से बन जाए तो , के साथ व्यतीत किया था । उनके साथ अबर्न विश्वविद्यालय देखने का मौका मिला जिसमे मेरा 1983 में पी एच डी के लिए स्कालरशिपं के एडमीशन हो गया पर मैं नहीं जा पाया था ,उसपर मैं लिख चुका हूं । उनके साथ की हिंदुस्तानी प्रोफेसर्स के साथ मिलने और लंच करने का मौका मिला जिसमें से अधिकांश उनके छात्र थे । उनके साथ अटलांटा जैसा शहर देखने को मिला जहां भारतीय रेस्त्रां में खाना खाया तो अंतर्राष्ट्रीय किसान बाजार भी देखना एक रोमांचक अनुभव था और ज्ञानवर्धक भी था ।उनके साथ एक हजार मील की यात्रा करते हुए रास्ते में अमरीका की खेती और सिंचाई का तरीका देखा और 
ये भी देखा की कैसे खेत में चाहे कपास हो या कुछ और उसके पैकेजिंग की व्यवस्था भी और कुछ फसलों  के अन्य उत्पाद बनाने की फैक्टरी भी खेती की जगह पर ही है । उनके कारण नासा में दिन बिताने का मौका मिला और वहा अंतरिक्ष के बारे में बहुत कुछ जानने का मौका मिला । उनसे बहुत ज्यादा जानने और सीखने को मिला बल्कि मैं कहूं को इस दौरे में जिस विश्वविद्यालय में एक कोर्स भी कर रहा था और उसी के अंदर हिलेरी क्लिंटन के लिए काम कर अमरीका को राष्ट्रपति चुनाव को बारीकियां सीख रहा था वहा कुछ नही सीखा और प्रकाश भैया खुद एक विश्वविद्यालय है उनसे कही बहुत ज्यादा सीखने को मिला । 
उन्होंने अमेरिका की तमाम व्यवस्थाओं के बारे में बताया ।उन्होंने बहुत मजेदार बात बताया की कैसे मैक्सिको और अमरीका के बीच एक नदी है जिसको पर अमरीका में घुसने  को मैक्सिकन लोग कोशिश करते है और पुलिस उन्हे रोकती है पर अगर आधी नदी पार कर लेते है तो वही पुलिस उन्हे नए कपड़े पहनने को देती है और अमेरिकी अदालत में पेश  करती है और वहा के कानून के कारण अधिकतर अमरीका में ही रह जाते है । मैने देखा अधिकतर सामान्य काम करने वाले लोग चाहे टैक्सी या बस चला रहे हो या होटल में रूम तैयार कर रहे हो वो अधिकतर मैक्सिकन है या अफ्रीकन , भारतीय और पाकिस्तानी भी मिल जाते है ।
लगता है विषय से भटक गया । 
इस सब पर अलग से लिखूंगा ।
अभी तो प्रकाश भैया की ये पोस्ट शेयर कर रहा हूं की 2016 में उन्होंने जो जो शोध हो रहे है बताया था वो सब कितना आगे निकल गए । 
हमे भी आत्मचिंतन करना चाहिए की अमोरीका , इंग्लैंड सहित सभी विकसित देश अपने विकास से संतुष्ट होकर बैठ नही गए है बल्कि भविष्य की और वर्तमान की चुनौतिया का आकलन कर उसके निदान की पूरी ताकत से खोज में लग गए है और हमारे यहां भी हर साल करोड़ों लोग कैंसर से मर जाते है ,दूसरी बीमारियों से मर जाते है तो हम गाय के पेशाब कर गोबर में इसका इलाज ढूंढ रहे है और मस्जिदों में शिवलिंग ढूंढ रहे है तो धर्म और जाति के आधार पर लड़ने को विवाद ढूढ़ रहे है ।
पढ़िए प्रकाश भैया की ये पोस्ट की अमेरिका कहा जा रहा है और हम कहा जा रहे है ::::;;;
Now coming back to your informative posting above.   May I add to it for the benefit of the group.
This is an era of enormous revolutions in almost all disciplines.
For example, Plastic Currency (Credit Cards), managing office, home, contents in referigerators, meetings, friendly discussions etc. from remote distances by electronic control, Star Wars (deploying war weapons in space and conducting war strategies from space) etcetera.  Please add to your list “the self monitored 24- wheeler-trucks”.  These trucks are self driven, (driverless) using advanced Artificial Intelligence.  The trucks have capability of loading packages from stores without involving any human body and driving directly to the location marked for delivery; unload it and secure the receipt of money without involving anybody.

Please also note (ATTENTION : Specially For DINESH BHAIYA) 
Produced in Lab:  now the roads would be heavily doped with magnetic particles.  Cars running on it would have a huge rotating Coils (with several rotations of coiled wires).  
From middle-school-Physics, we know that a rotating coil placed in a magnetic field produces electric current.  In other words, thus produced electric current with no additional cost would be used to run the electric car with literally zero expense.  Suppose you are on a long trip and hence produced excess current (more than what you can use in running the car) can be stored in space and reused in the residential and commercial areas.  To store the extra electric current is a simple process by converting in electromagnetic energy/Photonic energy and taking to storage area with speed of light ( 186,000 miles/ second).

     This would probably solve the energy crisis all over the world.

 Similarly at home, a hand held laser beam shining on your own nails (or hair) and using Laser Induced Breakdown Spectroscopy (LIBS), one can immediately determine the elemental-deficiencies in the body and even detect the cancerous cells. 

With discovery of materials exhibiting superconductivity at high temperatures has given a hope to mankind to definitely resolve the energy issues throughout the world.
  
Suppose one has a house consisting of several rooms with AC, fans and beautiful recess lights, referigerator and other electrical appliances etc. and wired with room temperature superconducting materials.  
So you switch on all the appliances for 1 second 
and then switch off.  In this process of switching on and off you probably spent 5 paise.  

But all the appliances would keep running for several decades just by spending 5 paise.  This already has been achieved in lab in low temperature superconductors , e.g. mercury.

After the full scale development, this would also overcome the energy crisis and the Middle East OPEC politics.
Sorry for very long posting.

जिन्दगी_के_झरोखे_से मुलायम सिंह यादव जी से वो आखिरी बातचीत और मेरा बोला वाक्य जिसका मुझे आज भी अफसोस है :;

#जिन्दगी_के_झरोखे_से 

मुलायम सिंह यादव जी से वो आखिरी बातचीत और मेरा बोला वाक्य जिसका मुझे आज भी अफसोस है :; 

2016/17 में सत्ता रहते हुए गैरकानूनी( क्योंकि पार्टी अध्यक्ष की अनुमति के बिना सम्मेलन नही बुलाया जा सकता था और अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव जी थे ) तरीके से पार्टी का एक सम्मेलन बुलाया गया और उसमे मुलायम सिंह यादव जी को अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था तथा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को अध्यक्ष बना दिया गया था । 

मुझे मुलायम सिंह यादव का ये अपमान तथा पार्टी विरोधी कार्य मंजूर नहीं था । भगवती सिंह जी ,अंबिका चौधरी , ओम प्रकाश सिंह , शादाब फातिमा , नारद राय के अलावा पूरी पार्टी और मुलायम सिंह यादव का शिवपाल सिंह यादव को छोड़कर पूरा खानदान सत्ता के साथ यानी अखिलेश यादव के साथ चला गया था । आजम खान साहब जरूर उस सम्मेलन में नही गए थे और लगातार मुलायम सिंह यादव तथा अखिलेश यादव के बीच में पुल बनने की असफल कोशिश किया था ।
 
उस सम्मेलन में अखिलेश यादव ने बोला था की आने वाले चुनाव में वो सरकार बना लेंगे तथा सरकार और पार्टी दोनो नेता जी को सौप देंगे पर क्या हुआ वो दुनिया ने देखा और सबको याद है ।

इसके बाद के चुनाव में भाजपा ने इस घटना का अपने लिए इस्तेमाल कर लिया तथा इतिहास के एक व्यक्ति से अखिलेश यादव को जोड़ते हुए नारा दे दिया की " जो न हुआ अपने बाप का वो क्या होगा आप का " और भाजपा ने माहौल अपने पक्ष में कर लिया तथा चुनाव जीत लिया ।

यद्यपि मैने तो मुलायम सिंह यादव जी  के निष्कासन के दिन ही मुलायम सिंह यादव जी के निर्देश पर उनके दरवाजे पर खड़े देश भर की मीडिया से बात करते हुए कह दिया था कि अखिलेश जी अभी भी भूल सुधार लीजिए वरना इस चुनाव में 50 सीट भी नही मिलेगी तथा आप के माथे पर जो कलंक लगेगा वो लंबे समय तथा पीछा नहीं छोड़ेगा और उस वक्त पार्टी की टूट पर बोलते हुए मैं रो पड़ा था । बाद में काफी लोगो ने बताया कि उस वक्त के मेरे बयान को सुन कर काफी लोग रो पड़े थे ।

उस वक्त पूरे देश का मीडिया केवल इस घटना पर केंद्रित था और लखनऊ का माहौल बहुत ही गर्म था और यहां तक तनाव बढ़ गया था की अखिलेश समर्थक नौजवानो ने मुलायम सिंह यादव की तस्वीर को पैरो से रौंदा था ।बाकी सब इतिहास में दर्ज है और ये भी दर्ज है की अखिलेश यादव के एक समर्थक ने एक चिट्ठी जारी किया जिसमें मुलायम सिंह यादव जी की पत्नी को कैकेई शब्द से विभूषित किया था।

बाकी सब इतिहास में दर्ज है । इस सारे घटना क्रम के लिए मुलायम सिंह यादव जी ने राम गोपाल यादव जी को जिम्मेदार ठहराया था और कहा था की अखिलेश राम गोपाल के बहकावे में आ गया ,रामगोपाल इसे कही का नही छोड़ेगा । 

जैसा मैने प्रारंभ में लिखा की मुझे ये अनैतिक काम मंजूर नहीं था इसलिए मैं पूरी ताकत से मुलायम सिंह यादव जी के साथ खड़ा हो गया था और मुलायम सिंह यादव जी का प्रवक्ता बन वो जो कहते रहे वो मैं बोलता रहा । पार्टी के महामंत्री पद और मंत्री दर्जा से मैने स्तीफा दे दिया था । इसके बाद के बाकी घटना क्रम पर अलग एपिसोड लिखूंगा । 
अभी उस दिन तक सीमित करता हूं । 

मुलायम सिंह यादव जी अकेले पड़ गए थे और उनके यहां पार्टी का क्या परिवार का भी कोई नही आता था । बस शिवपाल यादव और नेता जी के  कुछ गिने चुने पुराने साथी कभी कभी लखनऊ आने पर मिल लिया करते थे । मैने एक नियम बना लिया की लगातार उनसे मिलने जाना है और कुछ समय उनके साथ बिताना है ताकि उन्हें ये नही लगे की कोई उनके साथ नही है । 

मुलायम सिंह यादव जी के निधन के कुछ समय पहले मैं इसी तरह उनसे मिलने गया । जैसा कि हमेशा होता था वो घर के अंदर बुला लेते थे । उस दिन भी उन्होंने अंदर बुला लिया तथा वही पर उनकी पत्नी साधना यादव जी भी बैठी थी । हाल चाल और इधर उधर की कुछ बाते हुई की अचानक उन्होंने मुझसे पूछा की ये रामगोपाल आप के इतने खिलाफ क्यों है ? उसकी खिलाफत के कारण आप का बहुत नुकसान हुआ और साथ ही एस पी सिंह बघेल तथा रामशकल गुजर भी आप के खिलाफ बहुत शिकायते करते और आरोप लगाते जो जो जांच कराने पर सब गलत निकला । मैं आप को राज्य सभा मे रखना चाहता था पर रामगोपाल विरोध कर देता था । 

इसपर मैने पूछा कौन है रामगोपाल तो बोले पार्टी का महासचिव है आप नही जानते है । मैने कहा कि पार्टी के महासचिव तो रामजी लाल सुमन भी है जो मेरे पड़ोसी है,और भी कई है क्या उनकी भी आप ऐसे ही सुनते है । पार्टी के उपाध्यक्ष और बहुत बड़े नेता थे जनेश्वर मिश्र क्या उनकी आप ने कभी सुना इन मामलों में ? जहां तक राम गोपाल जी का सवाल है न मैने उनकी भैंस खोला और उनका खेत काट लिया तथा कभी उनके मेरे बीच कोई कहा सुनीं भी नहीं हुई । हा वैचारिक और पसंद न पसंद का अंतर उनके मेरे बीच रहा है ।वो आप के परिवार से जुड़े नही होते तो सिर्फ मास्टर होते । उनकी योग्यता इतनी है की तीस साल से संसद में होने के बावजूद कोई उनका महत्वपूर्ण भाषण किसी को याद नही है , कोई प्राइवेट मेंबर बिल याद नही है और पिछड़ों या  अल्पसंख्यको के सवाल पर या देश के सवाल पर कभी उन्होंने ऐसा कुछ नही किया की कुछ देर तक सदन डिस्टर्ब हो गया हो । आप को ऐसे ही सब पसंद आए राज्य सभा में भेजने को जो गए और कमा धमा कर वापस आ गए कोई नाम भी नही जान पाया पर मेरा देश में नाम होता और संसद में मेरी भूमिका होती जो आप को शायद इसलिए पसंद नहीं है की सत्ता नाराज न हो जाए । 

जाने दीजिए भाईसाहब अब आप का समय अपनी गलतियों पर अफसोस प्रकट करने का तथा किसी के साथ बुरा किया हो तो उसपर खेद व्यक्त करने का है ऐसी बाते करने का नही और वो भी मुझसे जो जब आप के साथ कोई नही तब भी लगातार आप के साथ बैठा है । जाने दीजिए । 

1989 में मैने आगरा के खेरागढ़ से टिकट मांगा था और मेरा संसदीय बोर्ड में बहुमत था तथा चौ देवीलाल और जॉर्ज फर्नांडीज सहित कई लोग मेरे पक्ष में थे । वो विश्वनाथ प्रताप सिंह की लहर का चुनाव था इसलिए खेरागढ़ में मैं क्या कोई भी चुनाव लड़ता तो जीत जाता वहा के जातिगत समीकरण के कारण पर आप एक अपराधी प्रवृति के व्यक्ति को टिकट देना चाहते थे इसलिए तब आप ने बोर्ड में ये कह दिया था की आप तो देश मे प्रचार के लिए निकलेंगे तो आप का चुनाव सी पी राय देखेंगे  और आप के मुख्यमंत्री हो जाने पर एम एल ए क्या होता है सी पी राय उससे ज्यादा बन जाएंगे । सबसे पहले जॉर्ज साहब बाहर आए थे और उन्होंने मुझसे कहा था कि होने वाला सी एम आपको अपना चुनाव इंचार्ज बनाना चाहता है और बोल रहा है की सी एम बनने के बाद सी पी राय एम एल ए से ज्यादा होंगे तो आप उसकी बात मानो। क्या पता वो आप को राज्य सभा में भेज दे या एम एल सी बना कर मंत्री बना दे । फिर यही सब देवी लाल जी , चंद्रशेखर जी इत्यादि ने भी कहा । फिर भी काफी कोशिश किया था मैंने की आप मान जाए और चुनाव जीत कर मेरा सदन का कैरियर शुरू हो जाए पर आप नही माने थे। मैं आप के चुनाव में इटावा आ गया और प्रचार में लगा रहा पर आप सत्ता आने के बाद आप मुझे मिले ही नही । तब मिले जब सरकार जा रही थी । 

भाई साहब आप मेरे साथ लगातार यही तो करते रहे है तो बोले दर्जा तो दिया । मैने कहा की वो तो मैं कभी नही चाहता था आपने  दबाव देकर दो बार ज्वाइन करवाया ये कह कर की अभी ये होने दो चुनाव आते ही राज्य सभा में भेज देंगे । यहां तक कि एक बार तो आप ने अपने घर जहा आप का और मेरा परिवार साथ लंच कर रहा था सबके सामने कहा था की इस बार फला फला कारण से आप को अनिल अंबानी तथा जया बच्चन को टिकट देना पड रहा है पर अभी मुझे कोपरेटिव फेडरेशन का अध्यक्ष बनायेंगे जो आप ने नहीं बनाया तथा अगली बार चाहे एक टिकट हो मुझे ही देंगे । 

आप ने तो आगरा में मेरी किताब के विमोचन करते वक्त भी सैकड़ों लोगों के सामने कहा था की आप लोग नही जानते होंगे पर मैं जानता हूं की सी पी राय देश में बहुत बड़े लोगो को जानते है वो किसी को भी बुला सकते थे पर उन्होंने मुझे बुला कर मेरा सम्मान बढ़ाया है । यहां समाज के सभी प्रमुख लोग और साहित्यकार तथा कवि बैठे है आज मैं सबके सामने बताना  चाहता हूं की सी पी राय ने क्या क्या किया मेरे लिए और आप ने बहुत कुछ बताने के बाद यह भी कहा था की मैने सी पी राय के साथ न्याय नहीं किया । अब सी  पी राय का जो सम्मान समाज तथा साहित्य में है वो मैं उन्हें राजनीति में दूंगा, अब उनको उनका हक मिलेगा ।

ऐसी ही कुछ बाते कहते कहते अचानक मुझे पता नही क्या सूझा कि मैंने बोल दिया की भाई साहब आप के और मेरे बीच 35/36 साल से एक लड़ाई चल रही है । 
वो बोले की मेरे आप के बीच लड़ाई चल रही है । तब बोले मेरे आप के बीच क्या लड़ाई है ? 
मेरे मुंह से निकल गया कि मेरी सच्चाई,ईमानदारी और वफादारी तथा आप का झूठ ,धोखा और दगाबाजी के बीच लड़ाई है ।
आप लगातार जीत रहे हो और मैं हार रहा हूं।
आप कभी रामगोपाल के कंधे पर रख कर बंदूक चला देते हो तो कभी अमर सिंह का इस्तेमाल कर लेते हो । बेनी प्रसाद वर्मा ने संसद में आप को गाली दिया तो उनको राज्य सभा दे दिया ,अमर सिंह ने आप के खिलाफ कोई कसर नहीं छोड़ा तो उसे दे दिया पर मेरा गुण आप की निगाह में अवगुण ही रहे इसलिए मैने ये लड़ाई बोला ।

इस बात पर वो बहुत अपसेट हो गए तथा बोलने लगे  : क्या मैं दगाबाज हूं ,क्या में दगाबाज हूं ? 
और फिर यही वाक्य जल्दी जल्दी बोलने लगे ।तब साधना जी उठी और दौड़ कर एक प्याली में दो रसगुल्ला रख लाई तथा जबरन उनके मुंह में डालने लगी कि जल्दी खा लीजिए वरना बीमार हो जाएंगे और अभी अस्पताल ले जाना पड़ेगा ।  
मैं इस बात से आवाक रह गया तथा अंदर से बहुत दुखी हो गया । मेरा मन मुझे कचोटने लगा की मैने ये क्या कर दिया ।अभी कुछ हो जाएगा तो मैं खुद से निगाह नही मिला पाऊंगा। 
वहा सन्नाटा पसर गया । सब चुप । कोई कुछ नही बोला काफी देर तक । फिर करीब 20/25 मिनट बाद साधना जी ने सन्नाटा तोड़ा और बोली की रायसाहब से क्यों नाराज हो रहे हो । आप ने क्या कर दिया इनके लिए ? राय साहब ने क्या क्या किया है वो आप भी बताते रहे और मैं भी जानती हूं । इनकी पत्नी को आप ने बहन माना और राखी बंधवाया पर वो कैंसर से मर गई आप ने क्या किया ? वैसे तो आप लोगो को भी जहाज से भेज कर मेदांता में इलाज करवाते रहे ।

तब मैने कहा भाभी जी जाने दीजिए मुझे ऐसा नहीं कहना चाहिए था । मैं अपने शब्दो के लिए माफी चाहता हूं ।

इसपर साधना जी फिर नेता जी से बोली की मैने कई बार आपको कहा की राय साहब को अपना सलाहकार बना लो । ये भी कहा था की प्रोफेसर साहब को दिल्ली में अकेले मत रखो राय साहब को भी रखो पर आप ने बात नही माना। साधना जी बोली की ये जी बुरा वक्त हम लोग देख रहे है वो नही होता ।  मैं ये सब सुनकर हतप्रभ था क्योंकि साधना जी से मेरी कोई बात नही होती थी । 

मुलायम सिंह जी तब बोले सी पी राय अखिलेश को मुख्यमंत्री बना कर गलती हो गई । वो मुख्यमंत्री नही बनता तो लीडर बन जाता । अब वो  लीडर नही बन पाएगा । मैने कहा ये तो आप मुझसे कई बार कह चुके पर बन गया तो बन गया और आपने ही बनाया  । बोले  देखो क्या कर बैठा ।अपने मन का हो गया है हमारी बात ही नही मानता । मैने एम एल सी के लिए आप के लिए बोला था की आप लखनऊ में ही रहोगे और मंत्री बनवा दूंगा पर हरियाणा का वो क्या नाम है जो यूथ का नेता था , लाठर ! उसका नाम गवर्नर हाउस भेज कर कलकत्ता  चला गया था । 
मैने कहा की अब तो आप साथ है न । तो नेता जी बोले सी पी राय पेट और मुंह में अंतर होता है ।  बेटा है तो उसे कैसे छोड़ देता , माफ़ कर दिया और मेरी बनाई पार्टी भी तो खत्म नही होने देना था । 

मैने कहा की क्या आप को याद है की समाजवादी पार्टी कैसे बनीं। तो बोले सब याद है । आप ने ही पहली बार कहा था बनाने को और फिर जनेश्वर तथा कपिल देव बाबू को लेकर मिले था और मेरे पीछे पड़े रहे तब मैने पार्टी बनाया । आप ने भी बहुत साथ दिया और बहुत मेहनत किया पार्टी के लिए । 
फिर बोले की आप की अखिलेश से मुलाकात हुई । मैने कहा नही , वो आपके साथ गद्दारी नहीं करने वालो को अपना दुश्मन मानते है तो मुझसे क्यों मिलेंगे । भाई साहब अब जो हो गया वो हो गया पर ये नही पता की किसका जीवन ज्यादा है लेकिन जब तक मेरा जीवन है तब तक आप का साथ नही छोडूंगा । इसपर साधना जी बोली की देख लो एक ये रायसाहब है जो जिंदगी भर साथ निभाने की बात कर रहे है दूसरी तरफ वो लोग है जो हमारे घर का रास्ता ही भूल गए । 

मुलायम सिंह यादव जी पता नही उम्र के कारण या यू ही भावुक हो गए और तब बोले की इस बार राज्य सभा चुनाव आने दो मैं अखिलेश के पास चल कर बैठ जाऊंगा जब तक आप को टिकट नहीं देता । साधना जी बोली की मैं भी साथ चलूंगी । मैने कहा भाईसाहब जाने दीजिए । अब आप के हाथ में कुछ नही है और मेरे लिए ऐसा करेंगे तो आप को फिर बेइज्जत होना पड़ेगा और वो मैं नही चाहूंगा । इसपर बोले की मैने आप के साथ बहुत गलत किया अब दुनिया से जाने के पहले भूल सुधारूंगा । मैने कहा जाने दीजिए फिर से एक असत्य मत बोलिए तो नेता जी बोले की असत्य क्यों आप देख लेना इस बार । 

साधना जी ने नौकर को आवाज दी की फला वाली मिठाई ले आओ और चाय ले आओ , पानी भी लेते आना । मिठाई खाकर जो मुलायम सिंह यादव जी ने जोर देकर तीन मिठाई खिला दिया और चाय पीकर एक बार फिर उनसे माफी मांग कर मैं विदा हो । 

अफसोस कि फिर मुलायम सिंह यादव जी नही बल्कि उनकी अंत्येष्ठि में उनकी मिट्टी से ही मुलाकात हुई । 
उन्होंने क्या किया वो उनके साथ गया पर उस दिन अपने बोले गए शब्दो पर जिससे वो आहत हो गए थे मुझे आज तक अफसोस है ।

जिन्दगी_के_झरोखे_से जब जब मुझे बड़े नेता के लिए भीड़ को रोक रखने को डेढ़ घंटे या उससे ज्यादा लंबा भाषण देना पड़ा ;

#जिन्दगी_के_झरोखे_से 

जब जब मुझे बड़े नेता के लिए भीड़ को रोक रखने को डेढ़ घंटे या उससे ज्यादा लंबा भाषण देना पड़ा ;

1: 1977 की बात है । आपतकात लंबी कैद से भारत मुक्त होने को छटपटा रहा था । जेल बंद नेता और एक हो चुके थे ।जनता पार्टी घोषित हो चुकी थी । वरिष्ठम होने के कारण मोरारजी देसाई पार्टी के अध्यक्ष बने थे और देश में इंदिरा जी के बाद सबसे बड़ा जनाधार होने के कारण चौ चरण सिंह उपाध्यक्ष बन गए थे । अपने छोटे से मुख्यमंत्री के कार्यकाल में चौधरी चरण सिंह जी ने अपनी ईमानदारी और सख्त प्रशासन से कठोर प्रशासक होने की छाप छोड़ी थी ।चौधरी चरण सिंह पंडित गोविंद बल्लभ पंत की उत्तर प्रदेश में पहली सरकार में भी मंत्री और संपूणानंद जी की सरकार में भी मंत्री रहे थे । चौधरी साहब ने भूमि सुधार और लगान इत्यादि पर व्यवहारिक और अच्छे कानून बनाए थे वो देश के लिए नजीर बनी थी ।उन्होंने ने भूमिहीन लोगो के लिए कानून बनवाया और खेती पर सीमा लागू किया था जो पहले 18 एकड़ थी और बाद में 12,5 एकड़ हो गई की कोई उससे ज्यादा जमीन नही रख सकता और उसके ऊपर नही खरीद सकता । उन्होंने ही वो बिल पास करवाया था की यदि गन्ना मिल किसान का पेमेंट नहीं करती है तो सरकार मिल का अधिग्रहण कर खुद चलाए और उसकी मिल से जुड़ी अन्य संपत्तियां कुर्क कर ले । पर बात उस घटना की जिसने चौधरी साहब को किसानों के मसीहा बना दिया । वैसे चौधरी साहब आर्य समाजी थे और उन्होंने जाति की राजनीति नही किया बल्कि जिन्दगी भर किसानों की लड़ाई लड़ते रहे इसलिए उनकें समर्थन में जाती की दीवार तोड़ कर लोग उसके पीछे खड़े हो गए थे । वैसे वो जमाना भी जाती की राजनीति के नही बल्कि विचारो की राजनीति का था और साम्यवादी हो या समाजवादी सबका कितना वैचारिक बढ़ पाया उतना ही विस्तार हुआ । आर एस एस की राजनीतिक शाखा तक केवल शहर के चंद व्यापारियों की पार्टी कहलाती थी और उसका आधार उतना ही था । मेरा गांव भी किसान नेता के नाम पर चौधरी साहब का समर्थक था । उनके बारे में तमाम सही गलत किदवंतिया है की कैसे वो वेश बदल कर थाने में पहुंच गए और कैसे साधारण आदमी के रूप में चीनी और सीमेंट खरीदने पहुंच गए और जमाखोरो को पकड़वाया । इन कहानियों से पूरे प्रशासन में उनका भय व्याप्त हो गया था और सभी समय से ऑफिस आकर पूरे समय रहते तथा क्या मजाल की कोई घूस ले ले ।
 
खैर बात पंडित जवाहरलाल नेहरू जी के साथ बहस की है । पंडित जवाहरलाल नेहरू देश के सिर्फ प्रधानमंत्री ही नहीं थे बल्कि सर्वमान्य नेता थे । हुआ ये की पंडित जवाहरलाल नेहरु जी रूस के दौरे पर गए और वहा की कोप्रेटिव खेती यानी सहकारी खेती से बहुत प्रभावित हुए थे । वहा से आने के बाद संभवतः 1959 में नागपुर में कांग्रेस का खुला अधिवेशन हुआ और उसमे पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने सहकारी का मसवदा पेश की ताकि पार्टी का समर्थन मिल जाने के बाद वो उस संबंध में बिल ला सके । समझने की बात है की देश के बंडे सर्वमान्य नेता जो प्रधानमंत्री थे भी तब कोई बड़ा फैसला लेने से पहले पार्टी में उसपर बहस होने देते थे यानी वो सत्ता से पार्टी को बड़ा मानते थे ।आज की नेताओ जैसा नहीं था । पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने अधिवेशन में सहकारी खेती का मसौदा पेश किया तो चौधरी चरण ने उस विषय पर अपना विचार रखने इस आग्रह किया और सवा या डेढ़ घंटे तक चौधरी साहब सहकारी खेती के खिलाफ अपने ट्रक देते रहे । पंडित जवाहरलाल नेहरू जी भी इन तर्को से सहमत हो गए और सहकारी खेती का विचार लागू नहीं हुआ । ऐसे थे चौधरी चरण सिंह जी ।

इंदिरा जी के बाद चौधरी चरण सिंह जी देश के सबसे बड़े जनाधार वाले नेता थे । 1974 में 7 पार्टियों के विलय से बने लोक दल में देश के बड़े बड़े नेता शामिल हो गए थे भारतीय क्रांति दल , संयुक्त सोशलिष्ट पार्टी , स्वतंत्र पार्टी और उत्कल कांग्रेस इत्यादि प्रमुख पार्टियां थी । राज नारायण जी ,महारानी गायत्री देवी , पीलू मोदी , मीनू मसानी , बीजू पटनायक , देवीलाल ,कर्पूरी ठाकुर जैसे तमाम बड़े नेता थे कुछ का नाम मैं विस्मृत कर रहा हूं ।आजादी की लड़ाई में भी चौधरी चरण सिंह को देखते ही गोली मारने का आदेश था । उन्होंने राजस्व की वकालत भी किया था और गांव गरीबी तथा खेती का दर्द उन्होंने खुद झेला था इसलिए उन संदर्भों में वो अच्छा काम कर पाए । 

बात आपातकाल की हो रही थी। चढ़ाई साहब भी देश के सभी नेताओं के साथ गिरफ्तार हो गए थे और जेल में थे । इंदिरा जी ने बड़ी कोशिश किया की पुराने कांगेसी पर बड़ा जनाधार रखने वाले चौधरी चरण सिंह कांग्रेस में आ जाए । इंदिरा जी ने चौधरी चरण सिंह के प्रति सौहार्द दिखाने के लिए उनकी जेल से छोड़ दिया । मुझे याद है की वो आगरा से निकले थे तो उनके साथ प्रधानमंत्री जैसी सुरक्षा और प्रोटोकॉल था और सड़क पर हर थोड़ी दूर पर सिपाही खड़े थे जो उनको सलाम कर रहे थे । पर चौधरी चरण सिंह जी ने अलीगढ़ पहुंचते ही जानता को संबोधित करते हुए आपातकाल और इंदिरा जी पर खूब हमला किया और वो फिर गिरफ्तार कर जेल भेज दिए गए। 

आपातकाल के बाद चुनाव घोषित हो गया था । आगरा में रामलीला मैदान में जनता पार्टी की सभाएं होती थी और लाखों लोग सुनने आते थे । मंच के समाने , दाएं बाएं और पीछे हुजूम होता था । जन समुद्र हिलोरे लेता था । कई बड़े नेता आगरा आए पर जितनी भीड़ राज नारायण जी के लिए हुई थी और जो दीवानगी जनता ने उनके प्रति थी वो सब पर भारी थी , क्योंकि राज नारायण जी ने ही अदालत में इंदिरा गांधी जी के खिलाफ रायबरेली से लोकसभा चुनाव में धाघली सिद्ध कर मुकदमा जीता था और फिर बाद में तो उन्होंने चुनाव में इंदिरा जी को हरा भी दिया था । उस चुनाव में उत्तर भारत में कांग्रेस बिलकुल साफ़ हो गई थी पर दक्षिण भारत ने उसका साथ दिया था क्योंकि दक्षिण भारत में वो ज्यादती नही हुई थी ।आपातकाल की कैद से जनता स्वतंत्र होकर सड़क पर आ रही थी । उस दिन रामलीला मैदान में चौधरी चरण सिंह की सभा था । पहले नेता लोग हेलीकोटर से नही चलते थे बल्कि अपनी गाड़ियों से एक तरफ से शुरू करते और सभाएं करते आगे बढ़ते जाते थे । चौधरी साहब के पास एक सफेद फिएट कार थी ,उसी से चलते थे । पूर्व मुख्यमंत्री थे पर कोई एस्कॉर्ट या सुरक्षा नही होती थी । नेता लोग दूर के लिए ट्रेन का प्रयोग करते थे । उस दिन रामलीला मैदान में सभा चल रही थी और धीरे धीरे सभी वक्त बोल चुके पर चौधरी साहब का पता नही थी । तभी जनसंघ के नेता योगेंद्र सिंह चौहान ने मेंरी तरफ देखा और संचालन कर रहे भगवान शकर रावत जो बाद में भाजपा से तीन बार सांसद हुए से कहा की चंद्र प्रकाश राय को माइक पर बुला लो वो तब तक कविताएं सुना कर जनता को रोकेंगे । तब तक मेरी कुछ कविताएं फेमस हो गई थी और मैं कवि गोष्ठियों तथा कवि सम्मेलनो में हिस्सा लेने लगा था । योगेंद्र सिंह चौहान ने ऐसे ही एक कवि सम्मेलन में मुझे सुना था और छात्र नेता के रूप में , विश्वविद्यालय के बेस्ट डिबेटर के रूम में मेरे भाषणों की चर्चा होने लगी थी । भगवान शकर रावत ने माइक से पुकारा की बहुत ही क्रांतकारी छात्र नेता जी कविताएं भी क्रांतिकारी ही करते है उनको बुला रहा हूं की जब तक चौधरी साहब आते है तब तक वो अपनी कविताएं सुनाए । 

मैं माइक पर पहुंचा और बोलना शुरू किया। मैने कहा की आज देश के जो हालत है और पिछले 19  महीने देश ने जो दर्द भोगा है वो इतना भयानक है की आज कविता और गाने का समय नहीं है बल्कि कुछ बात करने का समय है को आजादी या तानाशाही चाहिए ।तब तक जनता से आवाज आई कविता सुनाइए । मैने कहा कविता भी सुनाऊंगा पर पहले कुछ मिनट मेरी बात सुन ले । अचानक पता नही कहा से मेरे मन में विचार और और मैं बोलने लगा की दोस्तो भारत में दो माताएं हुई है ।एक माता थी पन्ना दाई राजा के बेटे को बचा रही थी क्योंकि तब राजा ही राज का प्रतीक होता था । पन्ना दाई का अपना भी बेटा उतना ही बड़ा था जितना राजा का बेटा । दुश्मनों ने पन्ना दाई से पूछा की राजा का बेटा कौन सा है तो पन्ना दाई ने अपने बेटे की तरफ इशारा कर दिया की ये है राजा का बेटा और उसके सामने उसके बेटे का सर काट दिया गया । पर पन्ना दाई ने देशभक्ति और वफादारी की मिसाल कायम कर दिया और राजा के बेटे को बचा लिया या राज को बचा लिया । भारत में एक मां इस वक्त भी है जिसने अपने बेटे की खातिर देश को कटवा दिया ( नसबंदी के संदर्भ में ) । मेरे इस वाक्य का बाद पूरा जन समुद्र पागल हो गया और अगले 10 मिनट तक बस नारे लगते रहे जनता पार्टी जिंदाबाद , जयप्रकाश नारायण जिंदबाद ,इंदिरा गांधी मुर्दाबाद के ।( आज उस समय के थ्रिल और आतंक को महसूस नहीं किया जा सकता है जो उस समय था की शरीर के बाल खड़े हो जाते थे ऐसी बातो पर । जनता पर मेरी वाणी का नशा चढ़ चुका था और मैं बोलता चला गया । मेरा भाषण करीब एक घंटे से भी ज्यादा के बाद तभी रुका जब आवाज आई की चौधरी साहब मंच के पीछे आ गए है । बस एक लाइन समापन की बोल कर और एक बार चौधरी साहब का नारा लगा कर मैने माइक भगवान शकर रावत जी को सौप दिया तथा वो लोगो से नारे लगवा सके और चौधरी साहब का स्वागत कर सके । मैं भी चौधरी साहब को रिसीव करने मंच से नीचे उतर गया । 

मंच के पीछे भी एक किस्सा हुआ जो बताता है कि भारत में आई ए एस कितना ताकतवर है । हुआ ये की पूर्व मुख्यमंत्री और  वो भी चौधरी चरण सिंह थे तो आगरा के तत्कालिक डी एम और एस एस पी प्रोटोकॉल में मंच के पीछे खड़े थे । चौधरी साहब कार से उतरे तो उनकी निगाह डी एम माता प्रसाद पर पद गई जो नमस्ते करने को हाथ जोड़े खड़े थे । माता प्रसाद पर आरोप था की दूसरे जिले में डी एम रहने के दौरान उन्होंने लोगो के नाखून उखड़वा दिए थे और भी कई अधिकारियों पर आरोप थे कानून को ताक पर रख कर ज्यादती करने के और उसी सब का जनता में गुस्सा व्याप्त हो गया था। चौधरी साहब बोले अरे ये तो माता प्रसाद है जिसने नाखून उखड़े थे । भगाओ इसे । इसे तो नौकरी से तुरंत बर्खास्त होना चाहिए। माता प्रसाद को मैने कांपते और फिर पेंट सम्हालते हुए जोर से अपनी कार की तरफ भागते देखा । बाद में चौधरी चरण सिंह देश के गृह मंत्री बने , उप प्रधानमंत्री और प्रधानमंत्री बने पर माता प्रसाद का कुछ नही बिगड़ा । उन्होंने अपनी नौकरी पूरा किया और संभवतः  देश के सबसे बड़े पद कैबिनेट सेक्रेटरी के पद से रिटायर हुए । ये है नेता और आई ए एस की ताकत और एकता का फर्क । नेता ट्रांसफर पोस्टिंग कर देता है और अधिक से अधिक सस्पेंड कर देता है पर पूरी आई ए एस लाबी अपने आदमी को हर हाल में बचा लेती है ।
ये मेरा पहला किस्सा था बड़े नेता के लिए भीड़ को रोकने का । 

दूसरा किस्सा 1978 का है । आजमगढ़ से राम नरेश यादव जी संसद थे और बाद में प्रदेश में सरकार बनने पर राज नारायण जी ने उन्हे उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनवा दिया था तो उन्होंने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया था और उसी सीट का चुनाव हो रहा था । भारत सरकार के मंत्री राज नारायण जी जॉर्ज फर्नांडीज , पुरषोत्तम कौशिक ,जनेश्वर मिश्रा सहित कई मंत्री और मुख्यमंत्री रामनरेश यादव सहित पूरा उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल आजमगढ़ में आ डटा था । आजमगढ़ कस्बे जैसा छोटा सा शहर था , कोई खास होटल नही था और पी डब्लू डी का छोटा सा गेस्ट हाउस था जिसमे राज नारायण जी , मुख्यमंत्री राम नरेश जी रुके थे , जॉर्ज फर्नांडीज किसी के घर के एक ऐसे कमरे में रुके थे जिसका दरवाजा बाहर खुलता था ।उन्होंने आते ही कह दिया था की उनको एक खुली जीप दे दिया जाए माइक सहित और ऐसा कमरा किसी के घर में जो अलग खुलता हो ताकि इस परिवार को कोई दिक्कत न हो । जॉर्ज सहबके प्रति नौजवानों में जबरदात दीवानगी थी की ये पता चलने पर की वो आजमगढ़ में है बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के तमाम लड़के लड़कियां उनसे मिलने आते रहे और साथ दौरा करते रहे । जॉर्ज फर्नांडीज साहब आपातकाल के डाईमाइनाइट कांड के हीरो जो थे ।मुझे भी उनके साथ एक पूरे दिन रहने का मैया मिला । ऐसे ही पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर जी और राजा दिनेश सिंह के साथ भी एक दिन रहना पड़ा ।  चूंकि और कोई जगह नही थी तो इंदिरा गांधी जी को शहर में रुकने की जगह नही मिली । वो गांव गांव गई और कहा कही ठीक जगह मिली वही रुक गई ।मेरे गांव और मेरे घर भी आई थी । ये किस्सा आगे ।  ऐसे ही सभी मंत्री कही न कही रुके थे ।पूरब के गांधी कहलाने वाले बाबू विश्राम राय चुनाव के संचालक बनाए गए । जनता पार्टी ने राम बचन यादव को अपना उम्मीदवार बनाया और इंदिरा जी ने मोहसिना किदवई जी को मुकाबले में उतार दिया ।

मैं भी आजमगढ़ पहुंच गया और एक मुंशी जी मौर्य थे और सब्जी तथा बीज का कारोबार करते थे । उनसे मेरा दादा जी जब शहर मुकदमे इत्यादि के लिए आते थे तो किसी तरह रिश्ता बन गया था और शहर आने पर मेरे परिवार के लोग उन्हीं घर रुकते और खाते थे , यहां तक कि शहर में पढ़ने वाले घर के लोग उन्हीं के घर रहते थे और न भी रहना हो तो भी शहर आने पर उनके घर सब लोग जाते ही था  । वो परिवार बन गए थे और बाद में उनके पास  जमीन ज्यादा थी तो उन्होंने एक तरफ कई कमरे और बाथरूम बनवा कर होस्टल चालू कर दिया था ।मैने उन्हीं के घर डेरा जमाया । उनके घर के सामने ही धोबी था तो कपड़े धोने की चिंता भी नही थी। मैने उनसे कहा की मुझे रात में देर भी हो सकती है इसलिए बाहर ही एक चारपाई और कुछ बिछाने ओढ़ने को रख दिया करिए , रात का खाना मैं कही खा लूंगा , हा सुबह की चाय और कुछ भारी नाश्ता दे दीजिएगा । वो बोले आप हमारे घर के बच्चे है और बड़े काम के लिए यहां आए है इसलिए कोई चिंता मत करिए कुछ रोटी और सब्जी हम दे दिया करेंगे शाम को खा लीजिएगा वरना इस शहर में रात को खाना नही मिलेगा , तो मैने कहा कोई बात नही मुझे लाई चना या भूजा और भेली यानी गुड़ दे दीजिए वो में साथ रखूंगा और कही मिलेगा तो केला खा लूंगा । 

खैर उनके घर समान रख कर में चुनाव कार्यालय पहुंचा और बाबू विश्राम राय से मिला । उनसे पूछा की मुझे क्या क्या करना है तो मेरे पिता और परिवार का हाल पूछने के बाद बोले और आगरा शहर के छात्र नेता है तो आप ऐसा करिए की रोज जो भी कार्यक्रम बनेगा उसे स्थानीय समाचार पत्रों को बताना , शहर में होने वाली बड़े नेताओ की सभा का संचालन करना तथा जो बड़े नेता दौरे पर आए उनके साथ उनका कार्यक्रम करवाना ये सब कर लीजिए पर एक बात ध्यान रखिए की इसी से सब नही होगा बल्कि साथ साथ अपने गांव और ब्लॉक पर जिताने की जिम्मेदारी भी आप की है । अब ये सब कैसे करेंगे ये आप तय करिए तो मैने पूछा ये दौरे इत्यादि में कैसे करूंगा ?  किसकी गाड़ी में जाऊंगा ? तो बोले की आप को एक अलग से गाड़ी देंगे ,उसके पेट्रोल की पर्ची यही से मिलेगी और आप को दिन भर अपने खर्च के लिए 10 रुपया रोज मिलेगा । 

आगे की बात करूं उसके पहले एक बात बता दूं ताकि पाठक कुछ निष्कर्ष निकाल सके । हुआ ये की लोकसभा चुनाव में अभी कौमों में राम नरेश यादव जी को भरपूर वोट दिया था और वो भरी वोट से जीते थे पर विधान सभा चुनाव में यादव बिरादरी ने एक गड़बड़ कर दिया । आजमगढ़ सदर सीट से कपीलदेव सिंह जी बहुत जुझारू नेता था और वो भी 19 महीने जेल काट कर आए थे वो टिकट पाकर चुनाव लड़ रहे थे । उस चुनाव में यादव बिरादरी इस सीट पर जनता पार्टी और राम नरेश यादव जी के साथ रहने के बजाय एक यादव के साथ चली गई और पार्टी के नेता कपिल देव सिंह चुनाव हार गए । इस बात को यही छोड़ देता हूं । 

मैं अपने लिये निर्धारित सब काम करने लगा । अपने ब्लॉक के गावो में भी जाता समय निकाल कर और शाम को शहर में सभाओं का संचालन करता तथा भाषण देता । गांव गांव में घूमती इंदिरा गांधी जी गांव में घरों में चली जाती और महिलाओं से विशेषकर मिल लेती थी।एक दिन वो मेरे गांव भी आ गई और उनके प्रभाव में मुझे गांव और इलाका बदलता दिखा तो मैं अगले दिन राज नारायण जी के पास गया और उनको ये बात बताया । तो उन्होंने पूछा की क्या चाहते हो तो मैने कहा की समय निकाल कर आप मेरे ब्लॉक पर आ जाइए , शाम को सभा कर दीजिए और रात में मेरे घर मेरे गांव पर खाना खा लीजिए ,वहा में आसपास के सभी गांवों से मुख्य मुअज्जीज लोगो को भी बुला लूंगा । दो दिन बाद का कार्यक्रम तय हो गया । वही यहा भी हुआ कि राज नारायण जी लेट होने लगे और बाकी सारे प्रदेश के मंत्री , मुख्यमंत्री तथा केंद्रीय मंत्री भी उन्ही के साथ थे  । उनमें से कोई आ जाता तो काम चल जाता । मेरे साथ उस दिन एक बनारस के छात्र नेता जी बलिया के रहने वाले थे दुबे जी वोट और बी एच यू के छात्र नेता लाल बहादुर सिंह थे । मैने कुछ स्थानीय लोगो के बाद इन लोगो को भी बुलवा दिया और किसी नेता का दूर दूर तक कोई पता नहीं था । तब मैने माइक सम्हाला और ढाई घंटे बोलता रहा तब राज नारायण जी का पूरा लैब लश्कर आया । सबने तय किया की केवल राज नारायण जी बोले तो जनेश्वर जी जिनका भाषणों क्या क्रेज पूर्वांचल में ज्यादा ही था और पुरषोत्तम कौशिक जी सहित कोई प्रदेश का मंत्री कुछ नही बोला । सभा समाप्त हुई तो सब लोग बिलकुल बगल में मेरे गांव मेरे घर के चल दिए । मेरे गांव में रहने वाले चाचा जी ने सबके खाने की व्यस्था कर रखा था और पूरे गांव से चारपाई तथा तख्त एकत्र करवा कर मेरे घर के बाहर बड़ा द्वार था वहा बिछवा दिया था । तहबरपुर ब्लॉक का सभा वाला माइक मैने यहां मगवा लिया था । मुझे याद है की राज नारायण जी ने अपनी बात भोजपुरी में एक वाक्य से शुरू किया की का हो दिया तले अंधेरा रही का ? सब लोग मतलब नहीं समझ पाए तो उन्होंने कहा की आप लोगन के घर का बेटवा चंद्र प्रकाश इहा काम देखते हउये और यनहू के इज्जत का सवाल बा और हमरो इज्जत का सवाल बा तो का आप लोग हमें हरा देबा ? चारो तरफ से सब लोग एक स्वर में बोले की नही आपय जीतब । सब आप के साथ रही । काम हो गया था । सब लोग खाना खाकर शहर के लिए रवाना हो गए । जब परिणाम निकला तो रामनरेश यादव सहित सभी नेताओं के क्षेत्र में पार्टी हार गई थी पर मेरे ब्लॉक से जीती थी और मोहसिना किदवई जी जीत गई और वही से इंदिरा गांधी जी को ताकत मिली ,फिर वो देश भर में निकल पड़ी और 1980 में 353 जीत कर इंदिरा गांधी जी सत्ता में वापस आ गई और जनता ने आपातकाल को भुला कर उनके काम को याद कर उनकी झोली एक बार फिर वोट से भर दिया था । जनता पार्टी टूट चुकी थी जनता पार्टी में चंद्रशेखर जी अटल बिहारी वाजपेई और जगजीवन राम इत्यादि नेता थे और दूसरी पार्टी जनता पार्टी( एस) बन गई थी जिसके राष्ट्रीय अध्यक्ष राज नारायण जी थे और उन्होंने चौधरी चरण सिंह को प्रधानमंत्री बना दिया था । इस पर अलग एपिसोड में लिखूंगा । जनता पार्टी को केवल 31 सीट तथा राज नारायण जी की जनता एस को केवल 41 सीट मिली थी । कैसे बहुगुणा जी ने अंदर से इंदिरा जी से साठगांठ कर लिया था और चौधरी चरण सिंह की सरकार के मंत्री होकर चौधरी साहब को इस्तीफा देकर समझाया था और कलकत्ता से लौटने पर पहली बार राज नारायण जी ने चरण सिंह से मिल कर नाराजगी व्यक्त किया था ये सब एक अलग एपिसोड में होगा ।
मुझे जीवन में दो बार अपने से अलग दो नेताओ से मिलने का अवसर मिला और मैं चाहता तो उसका फायदा उठा कर उनके संघर्ष के वक्त में उनके साथ हो जाता तो शायद हो सकता है की मेरा राजनीतिक पड़ाव भी कुछ और रहा होता । 1978 में इंदिरा गांधी जी से और 1991 में अटल बिहारी बाजपेई जी से जिनके स्टेट गेस्ट हाउस के कमरे के बगल वाला कमरा पूरे चुनाव भर मेरा था और कई बार मुलाकात तथा बात हुई थी और उन्होंने दिल्ली आने पर मिलने को कहा था पर में कभी नही मिला ।जो होना था हो गया ,मेरी किस्मत में बस राजनीतिक छल लिखा था और वो मैने जीवन भर भोगा ।

तीसरा किस्सा इटावा का है । अपने 1989 के एक एपीसोड में लिख चुका हूं की कैसे मुझे पार्टी का संसदीय बोर्ड आगरा के खेरागढ़ से विधान सभा का टिकेट दे रहा था पर मुलायम सिंह यादव जी एक अपराधी टाइप व्यक्ति को टिकट देना चाह रहे थे और उन्होंने देखा की संसदीय बोर्ड में उस वक्त के सबसे बेड़ा नेता और इस एकता की धुरी चौधरी देवीलाल जी , चंद्रशेखर जी , वी पी सिंह तथा जॉर्ज फर्नांडीज और प्रदेश के तीन में से दो लोग कुंवर रेवती रमण सिंह और डा संजय सिंह मेरे पक्ष में थे तो उन्होंने कहा की में देश में दौरा करूंगा तो मेरा चुनाव कौन देखेगा । में सी पी राय के टिकट के खिलाफ नही हूं बल्कि मैं चाहता हूं की वो मेरा चुनाव देखे और मेरे मुख्यमंत्री बन जाने के बाद एम एल ए क्या होता है सी पी राय उसे भी ज्यादा बड़े होंगे।  वो सारी बात आप लोग उस एपिसोड में पढ़ सकते है ।।में इटावा में मुलायम सिंह जी के चुनाव में काम कर रहा था । एक दिन वी पी सिंह जी की सभा शहर में लगी तो मुलायम सिंह जी बोले की आप शाम तक खाली हो जाए तो वी पी सिंह की सभा में भी चले जाइएगा । मैने अपने बाकी कामों से फ्री होकर सोचा की देख लूं वी पी सिंह होंगे तो मिल लूंगा वैसे दिए समय से ज्यादा हो गया था इसलिए कोई उम्मीद नहीं थी । पर वहा भी वही किस्सा हो गया था की वी पी सिंह लेट होते चले गए और कोई वक्ता बचा ही नहीं था ।सुखदा मिश्रा और  राम सिंह शाक्य परेशान थे की अब क्या होगा । वी पी सिंह के आने पर तो लोग ही कम बचेंगे । ये बात उन लोगो ने मुझे मंच पर बताया । मुझे जनता लौटती दिल्ली ।कुछ लोगो ने मुझे देख लिया तो बोले अरे सी पी राय है ये चलो सुनते है । मेरी गाडी सभा के ठीक सामने वाली सड़क पर पहुंची तो मंच से सुखदा मिश्रा और राम सिंह शाक्य ने देख लिया । सुखदा जी तुरंत माइक पर गई और बोली सी पी राय आ गए है आप लोग उन्हें सुन कर जाइए और माइक से ही बोली राय साहब जल्दी मंच पर आइए । मैं मंच पर पहुंचा और बोला शुरू किया और उसके भी करीब डेढ़ घाटे बाद वी पी सिंह आए ।  पर में इस बात में सफल रहा की जाते हुए लोग तो रुक ही गए , मेरे भाषण की आवाज जहा तक पहुंच रही थी तमाम लोग घरों में से निकल कर पुरबिया टोला के उस मैदान में आ गए । वी पी सिंह जी जब आए तो मैदान खचाखच भर चुका था पर मेरा अंदर से बाहर तक सब पहने हुए कपड़े पसीने में भीग गए थे और सर से पसीना चू रहा था । वी पी सिंह जी ज्यों ही मंच पर आए सुखदा मिश्रा ने उन्हे बताया की क्या हुआ था यहां और इस वक्त मैदान खाली होता पर सी पी राय ने सबको रोका भी और मैदान भी फिर से भर दिया । वी पी सिंह ने अपनी इलाहाबादी भाषा पूछा  क्या चंद्र प्रकाश आप चुनाव में यही हो क्या । हमारे यहां फतेहपुर में भी फला दिन आय जा और मुलायम सिंह जी से इजाजत लेकर  में गया और अरुण नेहरू के क्षेत्र में फिर  अमेठी में राज मोहन गांधी जी की सभा में भाषण दिया । फिर इलाहाबाद में कुंवर रेवती रमण सिंह जी के क्षेत्र के गांव में गया और शाम को शहर में जनेश्वर मिश्र जी की सभा में रहा और अगले दिन फतेहपुर में वी पी सिंह की सभा के भाषण कर देर रात वापस इटावा आ गया था ।  वी पी सिंह का भी किस्सा है की सभा के बाद उनको बाहर शायद बिहार जाना था सभा के लिए और उन्हें हम छोड़ने स्टेशन गए । वहा प्लेटफार्म पर खड़े थे की किसी ने आकर फुसफुसा कर कहा की वी पी सिंह कोई मारने के लिए आया है । वी पी सिंह घबरा गए बोले चलिए स्टेशन मास्टर के कमरे में चले और तेज चलते हुए स्टेशन मास्टर के कमरे में घुस गए । हम लोग वहा बैठ गए तो स्टेशन मास्टर के फोन से पुलिस को सूचित किया गया। 10 मिनट में पुलिस की गाड़ी आ गईं तब वी पी सिंह की जान में जान आई । विश्वनाथ प्रताप सिंह पर भी कुछ बाते उस दौर की याद आ गई वो सब किसी अलग दिन लिखूंगा ।  इति कथा संपन्नम ।

सोमवार, 9 सितंबर 2024

जिंदगी के झरोखे से 1991 और 1992

#जिन्दगी_के_झरोखे_से 

1991 सरकार का गिराना और फिर चुनाव तथा 1992  का इटावा का चुनाव और कल्याण सिंह की सरकार का आतंक । 

1991 दिल्ली में चंद्रशेखर जी प्रधानमंत्री थे और सरकार के बनाने वाले चौ देवीलाल जी उप प्रधानमंत्री थे और उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव जी मुख्यमंत्री थे । तब पार्टी का नाम था समाजवादी जनता पार्टी ( सजपा) जिसके चंद्रशेखर जी राष्ट्रीय अध्यक्ष थे और मुलायम सिंह जी उत्तर में पार्टी के अध्यक्ष थे और मैं उत्तर प्रदेश पार्टी का महामंत्री था ।तब प्रदेश के महामंत्री में रमा शंकर कौशिक , बेनी प्रसाद वर्मा, भगवती सिंह , आजम खान और बलराम यादव इत्यादि थे और ये सभी कैबिनेट मंत्री थे । प्रदेश के उपाध्यक्ष राम सरन दास जी थे और वो भी मंत्री थी । जनता दल की टूट और सरकार गिरने के बाद ये दल बना था और दोनो सरकार राजीव गांधी जी यानी कांग्रेस के समर्थन से चल रही थी ।

राजीव गांधी के घर के बाहर कोई दो सादी वर्दी में लोग खड़े देखे गए जिन्हे पुलिस का आदमी बताया गया और कांग्रेस ने ये आरोप लगाया की सरकार राजीव गांधी की जासूसी कर रही है । विवाद बढ़ गया और चंद्रशेखर तो चंद्रशेखर थे उन्होंने भी विवाद को सुलझाने की कोशिश करने के बजाय संसद को संबोधित किया और सरकार का इस्तीफा देने राष्ट्रपति भवन चले गए और सरकार गिर गई । पर जब तक चुनाव न हो तब तक कार्यवाहक प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी बने रहे । 

मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव जी दिल्ली में थे और चंद्रशेखर जी तथा चौ देवीलाल से मिले और तमाम मुलाकाते किया । राजीव गांधी जी ने मुलायम सिंह यादव जी से कहा की आप चंद्रशेखर जी को छोड़िए और प्रदेश में अपनी सरकार चलाते रहिए हम आप को सार्थन जारी रखेंगे । तमाम मंथन सुबह से रात तक हुआ । फिर देर रात राजेंद्र प्रसाद रोड पर किसी तरह जनेश्वर मिश्र जी को जगाया गया और कुछ देर उनसे रायबात हुई । इसके बाद मुलायम सिंह जी स्टेट प्लेन से लखनऊ रवाना हो गए और लखनऊ जाने से पहले ही उन्होंने अपने ओ एस डी सिंह साहब को एक पत्र तैयार कर मौजूद रहने को कहा । लखनऊ आने के बाद सुबह ही राज्यपाल जी के पास जाकर अपना स्टीफा सौंप दिया और इस तरह उत्तर प्रदेश सरकार भी गिर गई और मुलायम सिंह जी कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहे । दोनो सरकारों की संस्तुति पर लोकसभा और उत्तर प्रदेश विधान सभा का चुनाव घोषित हो गया ।

दिल्ली में मुलायम सिंह यादव जी के एक ओ एस डी थे मिस्टर बागची और पता नही कैसे वो मुख्यमंत्री के नाक के बाद बन गए थे जिन्हे मुलायम सिंह जी का सुबह से रात तक अनगिनत बार फोन आता । दिल्ली आने पर वही साथ रहते और दिल्ली में मीडिया मैनेजमेंट सहित कई मैनेजमेंट करते थे बल्कि सरकार उन्होंने धीरे धीरे अपना स्टेटस चीफ सेक्रेटरी के बराबर करवा लिया था और उनको दिल्ली के गोल मार्केट में एक सरकारी घर एलाट हो जाता था तथा सरकारी गाड़ी और उत्तर प्रदेश निवास जहा मुख्यमंत्री और मंत्री रहते थे उसमे एक सुइट स्थाई तौर पर उनके पास था और कनॉट प्लेस क्षेत्र में उत्तर प्रदेश सरकार का सूचना विभाग का कार्यालय है उसमे एक बड़ा सा ऑफिस था ।

डा बागची मुख्यमंत्री का सलाहकार होने के नाते दिल्ली में बहुत प्रभावशाली थे और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सारे अधिकारी नोएडा गाजियाबाद प्राधिकरण सहित सब उनके यहां हाजिरी लगाते थे । इस बीच उन्होंने सरकारी घर छोड़ दिया और ये कह कर दूसरी जगह चले गए की ये घर छोटा पड़ता है । बाद के दिनों एक दिन एक आकस्मिक जरूरी काम पड़ने पर उन्होंने अपना पता दे दिया और मुझे वही बुला लिया । तब मालूम पड़ा की उन्होंने दिल्ली के एक सबसे महंगी पॉश कॉलोनी कैलाश हिल्स में 4 मंजिल का जबरदस्त सुंदर और महंगा घर बना लिया है और पी ए सहित कई लोग घर का काम करने वाले साथ ही दरवाजे पर उत्तर पुलिस की गारद सब हो गया था । चलते वक्त उन्होंने बताया की कलकत्ता का घर बेच कर उन्होंने ये बनवा लिया है और काफी कर्ज ले लिया है और मुझसे आग्रह किया की इस घर के बारे में मैं मुलायम सिंह यादव जी से कोई बात न करूं क्योंकि उनको इस घर का पता है और वो आ भी चुके है । मुलायम सिंह जी का खास होने के कारण उनकी पहुंच प्रधानमंत्री से लेकर सभी मंत्रियों तक थी । उनकी पत्नी एक उच्च शिक्षित बहुत अच्छी महिला था और किताब इत्यादि लिख रही थी । वही मैने देखा की एक लड़की जिसको टेंपरेरी तौर पर बागची जी टाइप इत्यादि करने को घर बुलाते थे जो बाद में यू पी निवास के सूईट में भी काम के नाम काफी देर तर्क रहती थी उसको घर में एक फुली फर्निश्ड कमरा देकर घर में ही बसा लिया है ।  चूंकि वो मुलायम सिंह जी के खास थे तो मुझे भी मिलना पड़ता और जानकारियां लेना पड़ता था । 

ऊपर की इतनी सारी उनके बारे में बताने के पीछे कोई खास मकसद नहीं नही था पर उनके साथ की एक घटना का जिक्र करना था । बाकी पाठक इसका अर्थ तलाशे की मैने उनके बारे में इतना क्यों लिखा । जबकि मुलायम सिंह जी खास होने के कारण और मुलायम सिंह जी द्वारा स्तीफा देने के बाद मुझे भी कुछ खास महत्व दिया जा रहा था क्योंकि उनके चुनाव में 1989 में काम करने के बाद वो मुझे मिले ही नहीं थे ,कभी भीड़ में भले मिल गए हो जबकि उन्होंने पार्टी के संसदीय बोर्ड में ये कहा था की मैं सी पी राय को टिकट देने के खिलाफ नही हूं बल्कि चूंकि मैं चुनाव में दौरे पर रहूंगा इसलिए सी पी राय मेरा चुनाव देखे और मेरे मुख्यमंत्री बनने के बाद विधायक क्या होता उससे ज्यादा उन्हें बना दूंगा । जब सरकार गिर जाने की सभावना बन रही उसी बीच एक दिन मुख्यमंत्री मुझे यू पी निवास मिल गए और बात करने का मौका मिल गया तो मैने उनकी बात याद दिलाया और कहा वो तो मुझे भूल ही गए और कभी मिलने क्या समय भी नही दिया तथा उन्होंने चाय इत्यादि पिला कर मुझे कहा की मैं जाऊं नही मुझे उनके साथ लखनऊ जाना है । थोड़ा समय मांग कर मैं यूं पी भवन से अपने थोड़े कपड़े और जरूरी चीज एक बैग में रख लाया । रात को हम लोग लखनऊ मुख्यमंत्री निवास पहचे तो उन्होंने मुझे एक पत्र सौंपा जिसमे मुझे पार्टी का उत्तर प्रदेश का महामंत्री बनाया गया था ।उसके बाद वो मुझे महत्व देने लगे थे ,दिल्ली हो या लखनऊ मेरा बेरोकटोक प्रवेश होने लगा पर चंद दिनों में ही सरकार गिर गई ।  इसी कारण डा बागची भी मुझे महत्व देने लगे थे और सारी बाते मुझसे साझा करने लगे थे ।"

चुनाव घोषित हो गया था मुलायम सिंह जी किसी काम से दिल्ली आए थे तो डा बागची का फोन मुझे पहुंचा की कल मुख्यमंत्री आ रहे है आप की आ जाइए और यू पी भवन में आप का कमरा बुक है । मैं भी पहुंच गया दिल्ली और पूरे दिन मुलायम सिंह यादव जी के साथ रहा । शाम को जब वो लखनऊ के लिए निकले तो मैने उनसे पूछा की में भी कल यहां से आगरा जाकर परसों लखनऊ पहुंच जाऊंगा । इस बात पर मुख्यमंत्री जी बोले की नही आप दो चार यही रुकिए और कुछ काम है वो बागची आप को बता देंगे उसके बाद आप लखनऊ आ जाइएगा। 

मैं और डा बागची एक गाड़ी में एयरपोर्ट से वापस आ रहे थे तो पता नही कैसे मेरे दिमाग में एक बात आई। मैंने बागची जी से कहा की कुछ दिन पहले ही अयोध्या में गोली चली थी और एक वर्ग मुख्यमंत्री जी से बहुत नाराज है । यदि चुनाव के बाद सरकार नही बनी और मुझे ऐसा लगता है की हम लोग हर जायेंगे तो मुलायम सिंह जी कि सुरक्षा को खतरा रहेगा और सरकार ज्यादा सुरक्षा देगी नही । तब तक के पूर्व मुख्यमंत्रियों को इतना तामझाम नही मिलता था और न सरकारी गाड़ी ही मिलती थी । मैंने कहा की प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए जो एन एस जी बनी है क्या प्रधानमंत्री जी वही सुरक्षा अयोध्या के नाम पर मुलायम सिंह यादव जी को दे सकते है । डा बागची खुश हो गए की उनको एक नया आइडिया मिल गया जो उन्होंने मुलायम सिंह जी को अपना आइडिया ही बताया भी । खैर अगले दिन बागची जी के कार्यालय में इस संबंध में एक पत्र टाइप हुआ और वो लेकर हम दोनो प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी से मिलने गए । चंद्रशेखर जी बोले ये खास उद्देश्य के लिए सुरक्षा बनी है पर अधिकारियों से बात कर में कुछ करता हूं और फिर इस सुरक्षा का ऑर्डर हो गया और आगे चल कर परंपरा बन गई उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों को एन एस जी मिलने की । इस बीच मुलायम सिंह जी ने भी एक आदेश कर दिया की पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकार से समुचित सुरक्षा मिलेगी । इस बीच कुछ काम मुलायम सिंह जी ने बताए वो पूरा किया गया ।

मुलायम सिंह जी ने मुझे लखनऊ में रहकर चुनाव की व्यवस्थित देखने , अखबारों को बयान देने इत्यादि की जिम्मेदारी दिया और तब सरकारी गेस्ट हाउस में चुनाव में रुकना मना नहीं था इसलिए मैं जहा रहता था मीरा बाई मार्ग के गेस्ट हाउस में रहकर काम सम्हालने लगा ।स्टेट गेस्ट हाउस में अटल बिहारी वाजपेई मेरे पड़ोसी थे और अक्सर उनसे नमस्कार हाल चाल हो जाता । अटल जी लखनऊ से चुनाव लड़ रहे थे । उनके पड़ोस में रहने का अनुभव अलग से लिखूंगा । खैर सुबह से रात तक राजभवन कालोनी में पार्टी  कार्यालय में बैठता और बीच बीच में कही सभा भी संबोधित कर आता । 
इस बीच एक दिन मैं दिल्ली चला जाता कुछ काम से तो पता चला की सुब्रमण्यम स्वामी जी जो चंद्रशेखर जी की सरकार में वाणिज्यंत्री थे उसके राजनीतिक कार्यालय पर काफी चुनाव सामग्री आई है तो मैने शाम को मुलायम सिंह जी को ये बताया । मुलायम सिंह जी बोले की जाकर देख लीजिए की क्या वो हम लोगो के लिए भी देंगे । मैं सुब्रमण्यम स्वामी से मिला और बात किया तो उन्होंने इजाजत दे दिया आप ले जाओ । मैंने गाजियाबाद के एस एस पी को फोन कर उनसे दो ट्रक और दोनो में एक एक सिपाही का इंतजाम करने को कहा । वो दोनो ट्रक आ गए तो मैने पूरा सामान ही भरवा दिया जबकि स्वामी जी ने सिर्फ एक ट्रक ले जाने को बोला था । मैंने मुलायम सिंह जी से बात किया की में ट्रक लखनऊ के कार्यालय में भेज दे रहा हूं तो वो बोले की एक ट्रक इटावा भेज दीजिए और एक लखनऊ । मैंने वैसा ही किया और ट्रक रवाना कर दिया । इसके बाद यू पी निवास जाकर मुलायक सिंह जी से बात किया की मैने सारा सामान उठा लिया है स्वामी जी नाराज होंगे तो आप देख लीजिएगा । मुलायम सिंह जी ने पूछा की इटावा का ट्रक कहा भेजा है तो मैने कहा की इटावा में घुसते ही रामगोपाल जी का जिला पंचायत अक्ष्यक्ष वाला घर है तो मैने सोचा वहा आसानी से पहुंच जाएगा । इसपर मुलायम सिंह जी नाराज हो गए की वहा क्यों भेज दिया ? कोई कार्यक्रता उसके घर नहीं जाएगा और किसी को कुछ नही मिलेगा ।किसी तरह मैनेज करिए की शिवपाल के घर ट्रक पहुंचे । तब मैने कहा की वो तो जा चुका । ट्रक का नंबर में बता दे रहा हूं । इटावा में शिवपाल जी या किसी से बोल दीजिए की अंदाज से ट्रक फला समय तक पहुंचेगा को शहर के बाहर ही रोक ले और फिर शिवपाल जी के घर ले जाए ।सुब्रमण्यम स्वामी जी ने किसी कपड़ा मिल से बहुत अच्छा सफेद कपड़ा पूरा बड़ा बड़ा रोल मंगाया था । बाद में इटावा में काफी लोग उसी कपड़े का कुर्ता पजामा पहने हुए मिले । 
इसके बाद में लखनऊ आ गया । लखनऊ के लिए निकला तो एक मैं हुआ की थोड़ी देर आगरा में रुक कर परिवार से मिल लूं और खाना खाकर निकल जाऊंगा पर फिर विचार आया की आगरा जाकर कही बच्चो के मोह में में रुक न जाऊं तो आगरा से आगे बढ़ गया और शिवपाल जी के घर खाना खाने रुक गया । शिवपाल जी के घर उसी समय मुलायम सिंह जी भी आ गए और हम लोग साथ बैठ गए । मुलायम सिंह जी ने मुझसे पूछा की आप प्रदेश भर लोगो से बात करते है क्या रिपोर्ट हैं । मैंने कहा भाईसाहब 40 सीट पार करना मुश्किल लग रहा है तो वो बोले की अधिकारी और इंटेलिजेंस वाले तो डेढ़ सौ बता रहे है । मैंने कहा ईश्वर करे ढाई सौ हो जाये पर मेरी रिपोर्ट यही है । अयोध्या को लेकर भाजपा ने पूरा हमारे खिलाफ माहौल बना दिया है और जनता में बड़े पैमाने पर आप से नफरत भर दिया है । मुलायम सिंह जी थोड़ा मायूस हुए तो मैने कहा की ताकत लगाया जाए हो सकता है पिछड़े और मुसलमान एकजुट हो जाये और चमत्कार हो जाए । बाद में पता लगा की मुस्लिम ने उस चुनाव में बहुत ही काम मतदान दिया था और कई पीछड़ी जातियां हिंदू बन कर वोट डाल आती थी ।इसी चुनाव में राजीव गांधी जी पेरंबतूर में शहीद हो गए थे । सचमुच उस दिन बहुत बेचैन रहा मैं और खाना ही नहीं खाया । परिणाम  निकला तो हम लोगो को केवल 29 विधानसभा सीट मिली और चंद्रशेखर जी सहित केवल चार लोकसभा सीट मिली थी । परिणाम के दिन सुबह ही मैं मुलायम सिंह जी के निवास गया और जो हुआ वो अलग किस्से में । इस चुनाव में इटावा का चुनाव रद्द हो गया था । प्रदेश के कल्याण सिंह की भाजपा की सरकार बहुमत से बन गई । 

इसके बाद क्या क्या हुआ और कैसे दुबारा हम आए ये विस्तार से अलग एपिसोड में । पर इतना बता दूं कि मुलायम सिंह जी इसके बाद जब दिल्ली आते तो मैं एक दिन पहले यू पी भवन पहुंच जाता । तब सुरेश के लिए सरकारी गाड़ी नहीं मिलती थी तो मैने आर के पुरम के एक परिचित सरदार जी के टैक्सी स्टैंड से tay कर लिया था की जब भी मुलायम सिंह जी आयेंगे उनके लिए एक बहुत अच्छी गाड़ी और दो गाड़ी एन एस जी के लिए देना होगा । मुलायम सिंह जी वाली गाड़ी हमारे पास आयेगी और बाकी दो गाड़ी एन एस जी सेंटर जाएगी । फिर ये क्रम चलता रहा । 

1992 में इटावा का लोकसभा और विधान सभा चुनाव घोषित हो गया । एक दिन हम और नेता जी दिल्ली में थे तो तय हुआ की इटवा में मुझे भाषण और प्रचार करने अलावा चुनाव आयोग से तथा प्रशासन से संपर्क और मीडिया का काम देखना होगा और उसके लिए मुझे इटावा में ही होटल में रहना होगा क्योंकि वहा मुलायम सिंह जी ने अपने कमरे में एक फोन लगवा लिया था । वापस लौटते वक्त मुलायम सिंह जी ने कहा की एक काम है आप और बागची जी मिलकर कर दीजिए और फिर आप इटावा पहुंच जाइए । अगले दिन डा बागची ने कहा की कल्याण सिंह मुलायम सिंह जी को हरवाने लिए पूरी ताकत लगा देंगे इसलिए हम लोगो को भी पूरी ताकत झोंकनी होगी और ऐसा किया जाए की गांव गांव हर पर  पार्टी का झंडा लग जाए और उन्होंने कुछ लाख की संख्या बताया और बोले की में नहीं जानता की झंडा इत्यादि कहा थोक में बनता है तो आप दो चार बनाने वालो का नंबर ले आइए या ये बता कर की इतना ज्यादा चाहिए बुला हो लाइए । मैंने पता लगाया कारखानों का और उनके मालिकों का नंबर ले आया तथा डा बागची का नंबर उन लोगो को दे आया और वापस इटावा चला गया । मेटाडोर में लद कर वो झंडे इत्यादि इटावा पहुंचे तो रामगोपाल यादव ने उनकी गिनती करवा लिया और उन्होंने बताया की 100 के है बंडल में केवल 90 झंडे ही है । बाद में पता चला की डा बागची दिल्ली का घर बेचकर कही बाहर चले गए । किसी ने बताया न्यूजीलैंड शिफ्ट हो गए । बस इनकी कथा यही तक । 

इटावा में ज्यादा होटल तो है नही केवल एक सुधाशु होटल ही ठीक था तो वो पूरा होटल मुलायम सिंह जी ने बुक कर लिया । क्योंकि सुरक्षा के लिए भी कमरे चाहिए थे और एकाध कमरा इसलिए रखा गया की कोई महत्त्वपूर्ण नेता आ जाए तो रुकवा दिया जाए । ये मुलायम सिंह जी का खुद का चुनाव था इसलिए प्रदेश भर के लोग आ गए तो तय हुआ की सब लोगो को अलग अलग गांव में किसी के घर पर रुकवाया जाए । मुझे सुधांशु होटल में कमरा मिल गया और मुलायम सिंह प्रचार के लिए भी जाते तो उनका एक आदमी रहता और कमरा खुला रहता की पता नही कब फोन की जरूरत पड़ जाते । यही ये भी बता दूं कि टी एन शेषन ने अपना व्यक्तिगत नंबर दे दिया था की कभी कोई दिक्कत हो तो मैं तुरंत बताऊं और जब भी मैने फोन किया उन्होंने तुरंत ही उठा लिया तथा मेरी शिकायत सुनने के बाद वो कहते की आप ये सब लिख कर एक टेलीग्राम भी कर दीजिए ताकि सब ऑन रिकॉर्ड हो जाए और मेरा आए दिन ये काम रहता । कितनी फर्क है टी एन शेसन और आज के चुनाव आयुक्तों में । 
इसी बीच मुलायम सिंह जी के पैर में मोच आ गईं  और चलना मुश्किल हो गया तो ब्लैक कैट कामडो उन्हे उठा कर लेकर गाड़ी में बैठते और वापस कमरे में लाते । बड़ी मुश्किल से वो गावो में संपर्क और सभा कर पा रहे थे । तो तय हुआ की में उनसे पहले सभा में विस्तार के बाते रख दूंगा और वो काम बोल कर गांव वालो से बातचीत में समय लगाएंगे । 
कल्याण सिंह ने इस चुनाव में अति कर दिया और पुलिस गांव गांव जाकर गांव वालो को धमकाती और प्रताड़ित करती तो एक नया काम मेरे जिम्मे आ गया उन गावो में जाने और गांव को साहस देने का । मैंने एक अखबार में बात कर लिया तो मेरे साथ ऐसी जगहों पर उनका एक रिपोर्टर और एक फोटोग्राफर भी जाने लगे और ऐसा मैने पेशबंदी के कारण किया । कितना जुल्म हो रहा था बताने के लिए केवल एक गांव का किस्सा बता दे रहा हूं । एक गांव से खबर आई की वहा पुलिस ने आतंक मचाया है । शाम का वक्त था अपनी गाड़ी लेकर और उस समय रिपोर्टर नहीं जा सकते थे तो इटवा के स्थानीय व्यक्ति को राष्ट्र बताने के लिए लेकर शायद रणवीर को उस दिन ले गया था मैं ।जब गांव में पहुंचे तो गांव में कोई इंसान नही था । लोगो के घरों के चूल्हे टूटे हुए थे ।बर्तन और खाना कूए में फेंक दिया था या इधर उधर फैला दिया था । हमने जोर से सवाल लगाना शुरू किया  । मैंने अपना नाप पुकार कर बताना शुरू किया की जहा भी हो सब लोग आ जाए । हम आ गए है , अब कुछ नही होगा । तब खेतो में से पहले एक दो नौजवान आए और उनके आवाज लगाने पर बाकी लोग निकल आए । सारे हालत का फिरी खीच गया । गांव वालो को आश्वस्त कर के हम वापस होटल आ गए । मैंने पहले शेसन साहब को सब बताया और फिर समाचार बनाया । अखबार को समाचार दिया और फोटो उनके पास थी परंतु अगले दिन ये समाचार नदारद दिखा । क्योंकि सत्ता का बहुत दबाव था । तब मैने अखबार वालो से बात किया की आप समाचार नही छाप पा रहे हैं तो कल मैं प्रेस कांफ्रेंस कर देता हूं । वो तो मेरा वक्तव्य  होगा वो तो छाप देंगे न । अगले दिन सुबह पहले टेलीग्राम किया रात की घटना का और फिर प्रेस किया उसके बाद प्रचार के लिए निकला ।इसी बीच एक दिन चौ देवीलाल जी की सभा और दिन शरद यादव जी की सभा कराने की जिम्मेदारी नेता जी ने मुझे दे दिया । देवीलाल जी की सभा के बाद उनको रामगोपाल जी के जिला पंचायत अध्यक्ष वाले घर में खाना भी खिलाना था । 
इस पुलिस आतंक से थोड़ी मुक्ति दो घटनाओं के बाद मिली जब बसरेहर इलाके में बालेश्वर यादव का टकराव हो गया और जनेश्वर जी भी पहुंच गए तथा 2/3 हजार लोगो ने थाना घेर लिया । दूसरी घटना मेरे साथ हुई और जसवंतनगर के इंस्पेक्टर ने मुझे जवंतनगर वाली पुलिया पर रोक लिया तो मैने गाड़ी थोड़ी तिरछी खड़ी कर दिया जिससे ट्रैफिक रुक जाए ।उसने ये हिमाकत तब किया था जब मैं रोज अखबारों में बड़े बड़े समाचारो में दिखता था । मैं अपनी गाड़ी के बोनट पर चढ़ गया ।क्षेत्र के लोग मुझे जानते थे और हर गांव में 1989 में मेरा भाषण सुन चले थे तथा उसके बाद तमाम राजनीतिक कार्यक्रमों में सुन चुके थे तो वैसे ही जाम लग रहा था और भीड़ लग । मैंने भाषण शुरू कर दिया की देख लीजिए अंग्रेजी राज भी फेल कर दिया जितना जुल्म कल्याण सिंह की पुलिस कर रही है । भीड़ बढ़ती जा रही है तो इंस्पेक्टर धीरे से गाड़ी पर बैठा और निकल गया तो लोगो ने उसे हूट करना शुरू कर दिया और नेता जी के तथा मेरे नारे लगाने लगे और इस तरह जसवंतनगर में भी आतंक टूट गया । लौट कर मैने टी एन शेसन से बात किया और फिर तार किया । रात को नेता जी के आने पर मैने बताया तो वो बोले की आप ने खूब दिमाग लगाया । अच्छा किया ।पर आतंक यही खत्म नहीं हुआ । वोट का दिन आ गया । जसवंतनगर क्षेत्र के  बूथ की सारी रिपोर्ट की कहा कितना वोट पड़ा रामगोपाल जी ने लाकर मुझे दे दिया जो मैने काउंटिंग के दिन काउंटिंग के पंडाल के प्रभारी को दिया । 
काउंटिंग के दिन तीन विधान सभा क्षेत्र के पंडाल में पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया और भाजपा प्रत्याशियों को जीत का प्रमाण पत्र दे दिया गया । उन तीनो क्षेत्र की काउंटिंग के टीम वरिष्ठ नेता जो पूर्व मंत्री थीं इंचार्ज थे । वो लोग सीधे सुधांशु होटल मुलायम सिंह जी के कमरे पर आ गए । होटल और काउंटिंग स्थल बिल्कुल आसपास था । में पिछली रात को देर रात तक जगा था और उठने के बाद व्यस्त हो गया था तो फ्री होते ही ब्रश कर रहा था और नहाने की तैयारी कर रहा था । होटल के बाहर हजारों लोगो की भीड़ थी  । मेरा कमरा मुलायम सिंह जी के बिलकुल सामने था । मुझे कुछ शोर सा लगा तो जल्दी से मुंह धोकर मैं मुलायम सिंह जी के कमरे में पहुंचा तो देखा की वो अपनी बालकनी जो बाहर की तरफ खुलती रही में खड़े बाहें झटक झटक कर कुछ बोल रहे है । मैने जब इन नेताओ को देखा तो पूछा की आप लोग कैसे आ गए काउंटिंग हो गई क्या तो पता लगा की काठीचाज कर हमे तीन सीट पर हरा दिया गया फिर मुझे बात समझते देर नहीं हुई और मैं बालकनी में चला गया तो मुलायम सिंह जी गुस्से में बोल रहे थे की आज निपट लो चाहे दो चार मर जाए पर इस आतंक से लड़ना ही होगा । मैंने बोला की भाई साहब आप क्या कर रहे है । आप पूर्व मुख्यमंत्री है और बवाल होगा तो सब आप पर डाल दिया जाएगा । चलिए हम लोग काउंटिंग स्थल पर चले नही तो आप को भी हरा देंगे । मुलायम सिंह जी को बात समझ मे आ गई और हम दोनो  मतगणना स्थल पहुंच गए और सीधे प्रधानाचार्य के कमरे में पहुंचे जहा डी एम बैठे थे । थोड़ी गरमा गर्म हुई तो उन्होंने जसवंतमगर का जीत का प्रमाणपत्र मगवा कर दिला दिया फिर पूछा गया की औरैया में भी जीत रहे है उसका क्या होगा तो उसका प्रमाणपत्र भी हमारे प्रत्याशी को दे दिया ।हम लोग बाहर निकले गाड़ी में बैठने को तब तक किसी अधिकारी ने जोर से बोला लाठीचार्ज तो मैने देखा की सभी सिपाही मुंह फेर कर खड़े हो गए क्योंकि उन सबको मुलायम सिंह जी ने ही नौकरी दिया था ।
हम लोग गाड़ी की तरफ बढ़े तो सुनील वाजपेई नामक एक सी वो मेरे पास आए , वो पहले आगरा रह चुके थे और मेरे अच्छे संबंध थे।  उन्होंने मुंह दूसरी तरफ किया हुए मुझे बताया कि शिवपाल सिंह यहां मौजूद है और उनका वारंट है ,उन्हे नही आना चाहिए था और पुलिस की निगाह उन पर है ।तब मैने निगाह दौड़ाया तो थोड़ी दूर शिवपाल जी दिख गए ।मैने आवाज देकर उन्हें बुलावा और हाथ पकड़ कर गाड़ी में जल्दी बैठने को कहा । मुलायम सिंह जी बैठ चुके थे । मैने शिवपाल जी से कहा की होटल तो चलो और वहा से भीड़ में गायब हो जाना । जब तक पुलिस कुछ समझ पाती तब तक हमारी गाड़ी चल पड़ी और कमाडो की सुरक्षा के गाड़ी रोकने की हिम्मत किसी की नही हुई और होटल पहुंच कर शिवपाल जी निकल गए । 
इस चुनाव में एक और बुरी बात हो गई थी । राम सिंह शाक्य हमारे उम्मीदवार थे और काशी राम भी लड़ गए फिर भी राम सिंह शाक्य जीत जाते लेकिन पता नही किसने ये माहौल बना दिया की राम सिंह शाक्य के लोग ये कह रहे है की ऊपर का वोट उनको दो और नीचे का किसी को भी दो । ये बाद फैल गई और परिणाम स्वरूप राम सिंह हार गए और काशीराम जिंदगी में पहला चुनाव जीत लोकसभा मेंबर हो गए । मुझे पता लगा की राम सिंह शाक्य बहुत नाराज है और कोई और फैसला ले सकते है । शाक्य हमारी पार्टी के वोटर थे तो मैने नेता जी से कहा की में राम सिंह शाक्य से मिलने जा रहा हूं और कोशिश करूंगा की माना कर ले आऊं तो आप खुद उन्हे माला पहना देना की हमारे एम पी तो वही है। मैं राम सिंह शाक्य के घर पहुंचा । वहा काफी भीड़ थी और सब गुस्से में थे क्योंकि उनका मानना था की मुलायम सिंह जी के लोगो ने उनके खिलाफ काशीराम की मदद किया । मैं काफी देर रहा और अंत में उन्हें तैयार करने में कामयाब रहा की वो नेता जी से एक बार मिल ले और बात सुन भी ले और कह भी दे फिर चाहे जो फैसला करे । राम सिंह शाक्य मेरे साथ सुधांशु होटल आ गए ।आते ही बिना कोई बात कहे सुने नेता जी ने उनको माला पहना कर गले लगा लिया की आप तो अपने ही और हमारे लिए तो आप ही इटावा के एम पी हो और बर्फ पिघल गई । 
मैं बहुत साधारण व्यक्ति हूं और मेरी कभी जातिगत राजनीति नही रही बस वैचारिक राजनीति करता रहा ।जब जो जिम्मेदारी मिली पूरी लगन और निष्ठा से सफलता पूर्वक निभाया पर मेरे नाम के आगे लगा रात शब्द शायद मेरी अयोग्य बना रहा हमेशा और मेरे साथ न्याय हुआ अन्याय ये सब जानने वाले पाठको पर छोड़ देता हूं ।

शनिवार, 7 सितंबर 2024

जिन्दगी_के_झरोखे_से जब मैंने 2014 चुनाव, घटनाएं ,पैसे लौटाना

#जिन्दगी_के_झरोखे_से 

जब मैंने 2014 चुनाव, घटनाएं , आजमगढ़ के हालात और मेरा योगदान तथा  बाद में बचे पैसे पार्टी ऑफिस में जमा करना तो कुछ लोग परेशान हो गए थे ।

2014 का लोकसभा चुनाव घोषित हो गया था और उस वक्त मैं समाजवादी पार्टी का प्रदेश महामंत्री भी था और मेरा मंत्री की दर्जा भी था , प्रवक्ता भी था जिसे मीडिया पूरे समय घेरे रखती थी और रोज 4/5 डिबेट भी करना पड जाता था ।अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी थे । मेरा नेता जी के बगल में कमरा था जो प्रशिक्षण कक्ष के रूपe में भी काम आता था ,क्योंकि ज्यो ही 10 नौजवान या पार्टी के लोग मेरे कमरे में एकत्र हो जाते मैं किसी विषय पर ऐसे बात शुरू कर देता की लोगो को लगे कि यूं ही बात कर रहा हूं पर उस विषय पर सबका पूरा ज्ञानवर्धन हो जाये , जिससे कही मुद्दा उठने पर लोग जवाब दे सके या मेरी ही तरह ये बाते जनता को बता सके । 
अखिलेश जी से  पार्टी कार्यालय में मेरी मुलाकात हुई तो मैंने पूछा मुझे चुनाव में क्या क्या करना है ? क्या मैं आगरा चला जाऊं और उधर के क्षेत्रों में काम करू नही तो आगरा के लोग बोलेंगे की चुनाव में मैं नहीं दिखा । अखिलेश यादव बोले की नही आप को लखनऊ ही रहना है और यहां का काम सम्हालना है । यदि कही भेजने की जरूरत होगी तो मैं बताऊंगा । मैंने कहा की मेरे पास कोई घर तो है नही लखनऊ में और मैं तो सरकारी गेस्ट हाउस में रह कर काम चला लेता हूं । तो अखिलेश जी बोले की अभी तो  सरकारी गाड़ी भी जमा हो जाएगी और 50 दिन से ज्यादा का चुनाव है तो मैं आप को पार्टी से पूरे चुनाव के लिए पैसे दिलवा दे रहा हूं । आप कोई अच्छा सा होटल बुक कर लीजिए और एक किराए की अच्छी गाड़ी ले लीजिए , जो जो काम पड़ता जाएगा वो मैं बताऊंगा । मैंने कहा की क्या मैं आगरा कभी नही जाऊंगा चुनाव में तो बोले वो भी बताऊंगा । 
मेरी एक बेटी नोएडा में नौकरी में थी और बेटा भी पर मेरी एक बेटी मेरे साथ आगरा में रहती थी जो मैनेजमेंट में असिस्टेंट प्रोफेसर थी , उसको इतने दिन के लिए अकेला छोड़कर और उससे बात कर कि बेटा आप को दिक्कत तो होगी पर मेरे ऊपर जिम्मेदारी है इसलिए किसी तरह मैनेज कर लीजिएगा और मैं रोज दिन में कई बार हाल पूछता रहूंगा और बेटी को अकेला छोड़कर मैं 50 दिन से अधिक के लिए रुक कर पार्टी का काम करने लगा । हजरतगंज के एक होटल में कमरा ले लिया और टैक्सी वाले से एक इनोवा गाड़ी भी ।
इस बीच एक बार अखिलेश जी ने कहा की आप आगरा जाना चाहते थे चलिए मेरी उधर ही कुछ सभाएं है जिसमे आगरा भी है । उस दिन मैं उनके साथ एयरपोर्ट गया साथ में अमर उजाला के एक रिपोर्टर श्रीवास्तव जी भी सभी सभाएं कवर करने के लिए चल रहे थे । हम लोग प्राइवेट जहाज में बैठ गए तो पायलट बोले की मौसम बहुत खराब है ,अभी जहाज उड़ान रिस्की है, काफी देर जहाज में हम लोग इंतजार करते रहे मौसम ठीक होने का तो पायलट बोला कहिए तो जहाज उड़ाने का प्रयास करे तो अखिलेश जी बोले की जब मौसम इतना खराब है तो मरना थोड़े है । काफी देर तक वही हालत रही  तो अखिलेश जी बोले की ठीक है हम लोग (  वी आई पी कक्ष ) बैठते है । लखनऊ एयरपोर्ट पर उत्तर प्रदेश सरकार का अपना कक्ष बना हुआ है जो एयरपोर्ट से अलग है और प्रदेश के वी आई पी उसी में इंतजार करते है और उससे अलग रास्ते से जहाज तक जाते है । हम लोग आकर वहा बैठ गए । पत्रकार साथी इंटरव्यू लेने लगे । चाय कॉफी का दौर चलने लगा और करीब तीन घंटे हम लोग वहा बैठे रहे । देर हो चुकी थी और सभाओं में पहुंचना मुश्किल था इसलिए हम लोग वापस लौट लिए । 
इसके बाद फिर एक दिन मुझे बताया गया की मुझे आगरा जाना राजा भैया को लेकर ,पर पहले जहाज लेकर इलाहाबाद जाना है और वहा राजा भैया मिलेंगे और फिर वहा से उन्हें लेकर जाना है । राजा भैया की आगरा में सभा मांगी गई थी पर वो स्टार प्रचारक नहीं थे इसलिए अगर अकेले जाते तो सारा खर्च प्रत्याशी के खाते में लग जाता ।  मैं स्टार प्रचारक था इसलिए मुझे प्राइवेट जहाज लेकर जाना था । लखनऊ एयरपोर्ट से मैं  जहाज में चला तो इधर से राजा भैया की पत्नी भी इलाहाबाद तक गई और वहा से राजा भैया को लेकर हम सैफई पहुंचे और वहा जहाज छोड़कर हेलीकॉप्टर से आगरा के खेरागढ़ पहुंचे । प्रत्याशी अरिदमन सिंह को पता नही क्या सूझा की उन्होंने राजा भैया को बाई रोड पूरा क्षेत्र घुमाने का प्रोग्राम बना लिया । हेलीकॉप्टर अंधेरे में नहीं उड़ सकता था तथा जहाज के उड़ाने का समय भी निर्धारित था । बार बार उन लोगो का मुझे फोन आ रहा था । खैर फिर स्पीड तेज कर किसी तरह हेलीकॉप्टर के पास पहुंचे और फिर सैफई से लखनऊ पहुंचे । एक चीज देखा मैने की जहाज या हेलीकॉप्टर उड़ाने से उतरने तक राजा भैया कोई धार्मिक गुटका लिए हुए थे और लगातार वो पढ़ते रहते और उतर जाने पर उसे माथे से लगाकर रख देते पर मैने उसके बारे में कुछ पूछा नही ।

नेता जी आजमगढ़ से चुनाव लड़ रहे थे । मैं अपने कामों के साथ साथ प्रदेश भर में चुनाव का पता भी लगाता रहता थे । मुझे आजमगढ़ के कुछ लोगो ने बताया कि आजमगढ़ में नेता जी की स्थिति अच्छी नहीं है तब मैने अखिलेश जी से कहा की मुझे आजमगढ़ जाने की इजाजत दे दीजिए । अखिलेश जी ने आजमगढ़ जाने को तो कह दिया पर बोले कि तीन चार दिन में वापस आ जाइएगा वरना यहां काम खराब होगा । 

मैने आजमगढ़ में किसी को कह कर एक होटल का कमरा बुक करा लिया और वहा पहुंच गया। कमरा तो मिल गया पर अगले दिन से धर्मेंद्र का खास आदमी जो वहा काम कर रहा था होटल वाले पर दबाव बनाने लगा की उससे पूछे बिन कमरा क्यों दिया ? जिसे वो बोलेगा उसी को कमरा देना होगा।  होटल वाला इन लोगो से डरा हुआ था और मुझसे विनती करता । खैर दो दिन बाद धर्मेंद्र भी उसी होटल में आ गए तो मैने उनको ये बात बताई तब जाकर उनकी आदमी शांत हुआ ।
मैने पहले अपने सब जानने वालों को बुलाया और पूरी जानकारी लिया तो मेरे पैरो के नीचे से जमीन खिसक गई क्यों सबके अनुसार नेता जी तीसरे नंबर पर थे और लड़ाई भाजपा के रमाकांत यादव और बसपा के गुड्डू जमाली के बीच थी । तब मैने नेता जी को फोन किया की यहां तो ये हालत है ,बलराम वगैरह ने आप को यहां फंसा दिया है और उन लोगो के कारण आजमगढ का माहौल पार्टी के खिलाफ हैं , गुड्डू जमाली मुसलमान वोट ले रहा है तो स्थानीय होने के कारण यादव वोट रमाकांत को भी मिल रहे है । तब नेता जी बोले फिर करना क्या है तो मैने कहां की प्रदेश के अधिक से अधिक लोगो को भेजिए बाकी मैं पूरी कोशिश करता हूं की अपनी बिरादरी का अधिक से अधिक वोट  भाजपा में जाने से रोकूं और आप को दिलवाऊं और मुस्लिम वोट पर भी रणनीति बना कर काम शुरू करता हूं   क्योंकि आजम खां के ऊपर चुनाव आयोग ने रोक लगा दिया था तो वो नही आ सकते थे । नेता जी ने कहा की पूरी ताकत लगा दीजिए । मैने कहा की आप नही जीतेंगे तो सब जीत बेकार हो जाएगी इसलिए ये प्रतिष्ठा का सवाल है ।
फिर अखिलेश जी फोन कर उनको भी स्थिति बताया और कहा की मुझे यहां ज्यादा रुकना होगा तो अखिलेश जी ने कहा की कोशिश करिए की वहा जो करना है करके जल्दी वापस आ जाइए । 

मैने अपने लोगो के साथ अपना कार्यक्रम तय किया और मेरी सुबह से रात तक 14/15 सभाएं तय कर दी गई । जिसमे भूमिहार गांव में और मुस्लिम इलाके में । मेरा काम शुरू हो गया । सरस्वती की कृपा है मुझपर तो वो काम करने लगीं  । सबसे पहले एक प्रेस कांफ्रेंस किया जिलाध्यक्ष इत्यादि को साथ बैठाकर , जिले के बुद्धिजीवियों ,कवियों इत्यादि से मुलाकात किया और उसको इस जीत हार का मतलब समझाया। फिर सुबह निकलता और रात को 12 बजे तक लौटता । भूमिहार बिरादरी को समझाने में कामयाब रहा की मुलायम सिंह यादव जीतेंगे तो आजमगढ़ का क्या भला होगा और बाकी लोग तो कुछ नही कर पाएंगे । कई गांव में भाजपा के झंडे लगे थे पर मेरे भाषण के बाद वो झंडे उतर गए । मुस्लिम लोगो को भी बताता की गुड्डू स्थानीय है पर विधायक लायक ही ठीक है और नेता जी के होने से आजमगढ़ चमक जाएगा । 
एक दिन गुड्डू जमाली के कस्बे में ही सभा संबोधित करने चला गया । भीड़ थी और धर्मेंद्र सहित कई मंत्री मंच पर थे पर मैने कहा की मेरी आगे कई सभाएं है इसलिए मैं पहले बोलकर चला जाऊंगा । मेरा भाषण हुआ और जनता मेरे प्रभाव में आ चुकी थी । मैं जब सभा से जाने लगा तो बड़ी संख्या में लोग मेरे पीछे चल दिए तो मुझे वापस जाकर माइक से अपील करना पड़ा की कई वरिष्ठ नेता और मंत्री है इसलिए सब को सुनकर जाइए ,फिर भी काफी लोग मेरे साथ मेरी गाड़ी तक आ गए जिन्हे हाथ जोड़कर मैने वापस भेजा । मैं समझ गया था की गुड्डू जमाली के घर में सेंध लगाने में में कामयाब हो चुका हूं। आखिरी दिन की आखिरी सभा मैने शिबली कालेज के पास किया क्योंकि मैं जानता था की यही से संदेश जाता है ।एक बात ये हुई की आजमगढ़ में कोई होटल या ढाबा रात को नही खुलता था और रोज मुझे 12 से 1 तक बज जाता था । शुरू में तो होटल ने काउंटर पर ऊंघ रहे कर्मचारी से मैने कहा की कुछ नही अगर ब्रेड हो तो वो दे दी ,वो भी नही हो तो दूध ही दे दो । अगले दिन किसी से मैने लाई चना और गुड मगा लिया फिर काम चलने लगा । किसी गांव में कोई कुछ भी खिलाता तो खा लेता था वरना लाई चना काम देने लगा ।  दूसरा इस बीच नेता जी का , अखिलेश जी का और शिवपाल जी के कार्यक्रम भी लगे पर मेरे पास किसी को शक्ल दिखाने के लिए वक्त ही नहीं था ,शक्ल दिखाने वाले वहा मडराते रहे और फर्जी रिपोर्ट देते रहे । कुछ लोगो ने ऐसा भी किया की शहर में बस अपनी शक्ल दिखाया और कही कुछ लोगो को बैठा कर नेता जी तथा अखिलेश जी को फोन कर दिया की फला समाज के मुअज्जिज लोग बैठे है इन लोगो से बात हो गई है और सब लोग काम कर रहे है । जब गाड़ी में होता तो ये सब बाते बहुत से बताते रहते थे ।
खैर सैकड़ी बाहर के नेताओ की भीड़ और बहुत कुछ करके नेता जी 60  हजार से अधिक से चुनाव जीत गए । काउंटिंग के किसी को लगाकर मैने भूमिहार गांवों के वोटो का रिकॉर्ड मंगवा लिया और नेता जी को निशान लगाकर से दिया की भूमिहार गांवो में 35 हजार से अधिक वोट पड़ा था जो मैं नहीं लगा होता तो भाजपा में चला जाता । मुस्लिम में मैने क्या किया ये में क्यों बताता ? ये तो नेता जी के परिवार वालों को बताना चाहिए था पर वो क्यों बताते वो लोग तो खुद श्रेय लेने में लगे रहे जबकी उन लोगो का एम पी बनना तो पैदाइशी अधिकार था क्योंकि वो लोग नेता जी के घर में पैदा हुए है । 
हा एक दिन नेता जी से मिलने उनका एक खास यादव दीवान आया जो फिरोजाबाद में पोस्टेड था पर उसकी ड्यूटी वहा लग गई थी । उसने नेता जी से कहा की साहब एक कोई  सी पी राय है जो आगरा से आया था उसने आकार आजमगढ का माहौल बदल दिया नही तो चुनाव मुश्किल था । उसी दिन जब मैं नेता जी से मिला तो उन्होंने ये बात बताया । 
आजमगढ़ पर लिखने को बहुत है पर आखिरी मुद्दे पर आता हूं । 
चुनाव खत्म हो गया ,रिजल्ट निकल गया । रिजल्ट वाले दिन मैं 13 घंटे तक टीवी चैनलो पर था । रात को 9 से 10 वाल एन डी टी वी के रवीश के कार्यक्रम ने उन्होंने कहा की राय साहब आप से सवाल पूछे उसके पहले होने वाले प्रधानमंत्री का भाषण सुन ले । मोदी जी का बड़ोदरा का भाषण था जिसमे वो कह रहे थे की ये जनता की जीत है ,  अभी हमारी जिम्मेदारी है की सब वादे पूरे करें। मुझसे सवाल पूछा की क्या कहेंगे तो मैं। सुबह से ही भाषपा को जीत की बधाई दे रहा था इस टीवी पर भी दिया और फिर बोला की रवीश जी मोदी जी का ऐसा विनम्र स्वभाव है नही क्योंकि मैं लंबे समय से इनपर निगाह रखे हूं पर फिर भी कई बार होता है की फलदार वृक्ष झुक जाता है और यदि ऐसा होता है तो भारत के हित में होगा ,  हम सबका भला होगा पर उनका ये स्वभाव नहीं है , आगे देखते है ।
रात 10 से 11 बजे तक मैं आई बी एन 7 पर था । वहा भी यही हुआ की संदीप चौधरी ने कहा की आप से तीन सवाल है पर पहले प्राइम मिनिस्टर इन वेटिंग का भाषण सुन ले । तब अहमदाबाद का भाषण आ रहा था जिसमे मोदी जी का "   " अहम ब्रह्मास्मी " जाग चुका था और मैं मैं की रट लगाए हुए थे । संदीप ने तीन सवाल एक साथ पूछा की : इस सरकार से आर्थिक नीति में क्या फर्क आएगा ? विदेश नीति में क्या फर्क आएगा और क्या 100 दिन में महंगाई कम हो जाएगी । तब मैने कहा संदीप जी आप के सवालों का जवाब देने से पहले मैं 30 सेकंड कुछ और कहना चाहता हूं और जो बार कहूंगा वो नेता या प्रवक्ता के रूप में नहीं कहूंगा बल्कि राजनीति शास्त्र के एक विद्यार्थी के रूप में कहूंगा । संदीप के हा कहने पर मैने कहा था की आप से पहले मैं रवीश के कार्यक्रम में था और ये कहा था पर अभी जो भाषण सुना की अहम ब्रह्मास्मि जाग गया है तो पूरे हिंदुस्तान में जितने करोड़ लोग इस वक्त टीवी सुन रहे है ये लिखकर रख ले की अगर अहंकार अहमदाबाद से चलकर दिल्ली आ रहा है तो भारत अपने इतिहास के सबसे अयोग्य और असफल प्रधानमंत्री को देखने जा रहा है   इसपर एंकर सब मेरे ऊपर टूट पड़े की जनता ने इतनी बड़ी जीत दिया है आप कैसी बात कर रहे है तो मैने कहा की में अपनी बात पर कायम हूं आप लोग लिखकर रख लीजिए यदि 5 साल बाद मैं गलत साबित हुआ तो देश से माफी मांग लूंगा।
फिर तीन सवालों पर मेरा जवाब था जिसमे पहला सवाल विदेश नीति पर था तो मैं बोला की विदेश नीति तो वो लोग तय करते है जो आज से 50 / 100 वर्ष आगे देखते है और आर एस एस तथा भाजपा हर वक्त 5000 साल पीछे देखती है इसलिए विदेश नीति तय करना इनके बस की बात नही । यदि ये पुरानी विदेश नीति कायम भी रख पाए तो इनका भारत देश पर एहसान होगा ।
दूसरा सवाल था आर्थिक नीति का था मैने कहा था की विदेश नीति क्या होगी ये आने वाले 6 महीने बाद पता लगेगा तब बोलूंगा क्योंकि तब तय होगा की ये लिंग जनता के साथ है जिसने जिताया है या अड़ानी और अंबानी के साथ है जिन्होंने सरकार बनाने और मोदीजी को बनाने पर 50/ 60 हजार करोड़ रुपया खर्च किया है ।
तीसरा सवाल था 100 दिन में महंगाई कम होने का तो मैने बोला ये महंगाई 10 साल में भी कम नहीं कर सकते है क्योंकि देश में जितने मुनाफाखोर , मिलावटखोर और जमाखोर है उनमें से 90% उनके लोग है और ये उनका पेट नही काट सकते । 
ये तो समय ने सिद्ध किया की मेरा बोला सच निकला या नही पर उस दिन जब मोदी जी भारी जीत हासिल कर चुके थे ऐसा बोल पाना शायद राज नारायण जी के इस शिष्य के बस की ही बात थी क्यों रिजल्ट निकलते ही बाकी दलो के प्रवक्ता मैदान छोड़ गए थे पर मैं रात 11 बजे तक मैदान में डटा रहा था ।
चुनाव समाप्त हो चुका था तो मैने देखा कि मुझे जो पैसे दिए गए थे इस काम के लिए उसमे से 65 हजार रुपए बच गए थे तो मैं सपा ऑफिस में जगजीवन के पास गया और बोला की ये पैसे जमा कर लो और रजिस्टर में दर्ज कर लो की मैने वापस किया । जगजीवन बोला की क्या कर रहे है ,कोई नही लौटता है तो आप क्यों लौटा रहे है । लोग बुरा मानेंगे आप वापस ले जाइए । पर मैं नही माना और वापस कर दिया । वैसे ऐसी बातो की नेताओ की निगाह में कोई वैल्यू नही होती और न उनकी निगाह में आप का सम्मान ही बढ़ता है क्योंकि मेरा अनुभव तो यही है ।।
इति कथा संपन्नम।

शुक्रवार, 6 सितंबर 2024

#जिन्दगी_के_झरोखे_से मुलायम सिंह यादव जी से आखिरी बातचीत

#जिन्दगी_के_झरोखे_से 

मुलायम सिंह यादव जी से वो आखिरी बातचीत और मेरा बोला वाक्य जिसका मुझे आज भी अफसोस है :; 

2016/17 में सत्ता रहते हुए गैरकानूनी( क्योंकि पार्टी अध्यक्ष की अनुमति के बिना सम्मेलन नही बुलाया जा सकता था और अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव जी थे ) तरीके से पार्टी का एक सम्मेलन बुलाया गया और उसमे मुलायम सिंह यादव जी को अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था तथा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को अध्यक्ष बना दिया गया था । 

मुझे मुलायम सिंह यादव का ये अपमान तथा पार्टी विरोधी कार्य मंजूर नहीं था । भगवती सिंह जी ,अंबिका चौधरी , ओम प्रकाश सिंह , शादाब फातिमा , नारद राय के अलावा पूरी पार्टी और मुलायम सिंह यादव का शिवपाल सिंह यादव को छोड़कर पूरा खानदान सत्ता के साथ यानी अखिलेश यादव के साथ चला गया था । आजम खान साहब जरूर उस सम्मेलन में नही गए थे और लगातार मुलायम सिंह यादव तथा अखिलेश यादव के बीच में पुल बनने की असफल कोशिश किया था ।
 
उस सम्मेलन में अखिलेश यादव ने बोला था की आने वाले चुनाव में वो सरकार बना लेंगे तथा सरकार और पार्टी दोनो नेता जी को सौप देंगे पर क्या हुआ वो दुनिया ने देखा और सबको याद है ।

इसके बाद के चुनाव में भाजपा ने इस घटना का अपने लिए इस्तेमाल कर लिया तथा इतिहास के एक व्यक्ति से अखिलेश यादव को जोड़ते हुए नारा दे दिया की " जो न हुआ अपने बाप का वो क्या होगा आप का " और भाजपा ने माहौल अपने पक्ष में कर लिया तथा चुनाव जीत लिया ।

यद्यपि मैने तो मुलायम सिंह यादव जी  के निष्कासन के दिन ही मुलायम सिंह यादव जी के निर्देश पर उनके दरवाजे पर खड़े देश भर की मीडिया से बात करते हुए कह दिया था कि अखिलेश जी अभी भी भूल सुधार लीजिए वरना इस चुनाव में 50 सीट भी नही मिलेगी तथा आप के माथे पर जो कलंक लगेगा वो लंबे समय तथा पीछा नहीं छोड़ेगा और उस वक्त पार्टी की टूट पर बोलते हुए मैं रो पड़ा था । बाद में काफी लोगो ने बताया कि उस वक्त के मेरे बयान को सुन कर काफी लोग रो पड़े थे ।

उस वक्त पूरे देश का मीडिया केवल इस घटना पर केंद्रित था और लखनऊ का माहौल बहुत ही गर्म था और यहां तक तनाव बढ़ गया था की अखिलेश समर्थक नौजवानो ने मुलायम सिंह यादव की तस्वीर को पैरो से रौंदा था ।बाकी सब इतिहास में दर्ज है और ये भी दर्ज है की अखिलेश यादव के एक समर्थक ने एक चिट्ठी जारी किया जिसमें मुलायम सिंह यादव जी की पत्नी को कैकेई शब्द से विभूषित किया था।

बाकी सब इतिहास में दर्ज है । इस सारे घटना क्रम के लिए मुलायम सिंह यादव जी ने राम गोपाल यादव जी को जिम्मेदार ठहराया था और कहा था की अखिलेश राम गोपाल के बहकावे में आ गया ,रामगोपाल इसे कही का नही छोड़ेगा । 

जैसा मैने प्रारंभ में लिखा की मुझे ये अनैतिक काम मंजूर नहीं था इसलिए मैं पूरी ताकत से मुलायम सिंह यादव जी के साथ खड़ा हो गया था और मुलायम सिंह यादव जी का प्रवक्ता बन वो जो कहते रहे वो मैं बोलता रहा । पार्टी के महामंत्री पद और मंत्री दर्जा से मैने स्तीफा दे दिया था । इसके बाद के बाकी घटना क्रम पर अलग एपिसोड लिखूंगा । 
अभी उस दिन तक सीमित करता हूं । 

मुलायम सिंह यादव जी अकेले पड़ गए थे और उनके यहां पार्टी का क्या परिवार का भी कोई नही आता था । बस शिवपाल यादव और नेता जी के  कुछ गिने चुने पुराने साथी कभी कभी लखनऊ आने पर मिल लिया करते थे । मैने एक नियम बना लिया की लगातार उनसे मिलने जाना है और कुछ समय उनके साथ बिताना है ताकि उन्हें ये नही लगे की कोई उनके साथ नही है । 

मुलायम सिंह यादव जी के निधन के कुछ समय पहले मैं इसी तरह उनसे मिलने गया । जैसा कि हमेशा होता था वो घर के अंदर बुला लेते थे । उस दिन भी उन्होंने अंदर बुला लिया तथा वही पर उनकी पत्नी साधना यादव जी भी बैठी थी । हाल चाल और इधर उधर की कुछ बाते हुई की अचानक उन्होंने मुझसे पूछा की ये रामगोपाल आप के इतने खिलाफ क्यों है ? उसकी खिलाफत के कारण आप का बहुत नुकसान हुआ और साथ ही एस पी सिंह बघेल तथा रामशकल गुजर भी आप के खिलाफ बहुत शिकायते करते और आरोप लगाते जो जो जांच कराने पर सब गलत निकला । मैं आप को राज्य सभा मे रखना चाहता था पर रामगोपाल विरोध कर देता था । 

इसपर मैने पूछा कौन है रामगोपाल तो बोले पार्टी का महासचिव है आप नही जानते है । मैने कहा कि पार्टी के महासचिव तो रामजी लाल सुमन भी है जो मेरे पड़ोसी है,और भी कई है क्या उनकी भी आप ऐसे ही सुनते है । पार्टी के उपाध्यक्ष और बहुत बड़े नेता थे जनेश्वर मिश्र क्या उनकी आप ने कभी सुना इन मामलों में ? जहां तक राम गोपाल जी का सवाल है न मैने उनकी भैंस खोला और उनका खेत काट लिया तथा कभी उनके मेरे बीच कोई कहा सुनीं भी नहीं हुई । हा वैचारिक और पसंद न पसंद का अंतर उनके मेरे बीच रहा है ।वो आप के परिवार से जुड़े नही होते तो सिर्फ मास्टर होते । उनकी योग्यता इतनी है की तीस साल से संसद में होने के बावजूद कोई उनका महत्वपूर्ण भाषण किसी को याद नही है , कोई प्राइवेट मेंबर बिल याद नही है और पिछड़ों या  अल्पसंख्यको के सवाल पर या देश के सवाल पर कभी उन्होंने ऐसा कुछ नही किया की कुछ देर तक सदन डिस्टर्ब हो गया हो । आप को ऐसे ही सब पसंद आए राज्य सभा में भेजने को जो गए और कमा धमा कर वापस आ गए कोई नाम भी नही जान पाया पर मेरा देश में नाम होता और संसद में मेरी भूमिका होती जो आप को शायद इसलिए पसंद नहीं है की सत्ता नाराज न हो जाए । 

जाने दीजिए भाईसाहब अब आप का समय अपनी गलतियों पर अफसोस प्रकट करने का तथा किसी के साथ बुरा किया हो तो उसपर खेद व्यक्त करने का है ऐसी बाते करने का नही और वो भी मुझसे जो जब आप के साथ कोई नही तब भी लगातार आप के साथ बैठा है । जाने दीजिए । 

1989 में मैने आगरा के खेरागढ़ से टिकट मांगा था और मेरा संसदीय बोर्ड में बहुमत था तथा चौ देवीलाल और जॉर्ज फर्नांडीज सहित कई लोग मेरे पक्ष में थे । वो विश्वनाथ प्रताप सिंह की लहर का चुनाव था इसलिए खेरागढ़ में मैं क्या कोई भी चुनाव लड़ता तो जीत जाता वहा के जातिगत समीकरण के कारण पर आप एक अपराधी प्रवृति के व्यक्ति को टिकट देना चाहते थे इसलिए तब आप ने बोर्ड में ये कह दिया था की आप तो देश मे प्रचार के लिए निकलेंगे तो आप का चुनाव सी पी राय देखेंगे  और आप के मुख्यमंत्री हो जाने पर एम एल ए क्या होता है सी पी राय उससे ज्यादा बन जाएंगे । सबसे पहले जॉर्ज साहब बाहर आए थे और उन्होंने मुझसे कहा था कि होने वाला सी एम आपको अपना चुनाव इंचार्ज बनाना चाहता है और बोल रहा है की सी एम बनने के बाद सी पी राय एम एल ए से ज्यादा होंगे तो आप उसकी बात मानो। क्या पता वो आप को राज्य सभा में भेज दे या एम एल सी बना कर मंत्री बना दे । फिर यही सब देवी लाल जी , चंद्रशेखर जी इत्यादि ने भी कहा । फिर भी काफी कोशिश किया था मैंने की आप मान जाए और चुनाव जीत कर मेरा सदन का कैरियर शुरू हो जाए पर आप नही माने थे। मैं आप के चुनाव में इटावा आ गया और प्रचार में लगा रहा पर आप सत्ता आने के बाद आप मुझे मिले ही नही । तब मिले जब सरकार जा रही थी । 

भाई साहब आप मेरे साथ लगातार यही तो करते रहे है तो बोले दर्जा तो दिया । मैने कहा की वो तो मैं कभी नही चाहता था आपने  दबाव देकर दो बार ज्वाइन करवाया ये कह कर की अभी ये होने दो चुनाव आते ही राज्य सभा में भेज देंगे । यहां तक कि एक बार तो आप ने अपने घर जहा आप का और मेरा परिवार साथ लंच कर रहा था सबके सामने कहा था की इस बार फला फला कारण से आप को अनिल अंबानी तथा जया बच्चन को टिकट देना पड रहा है पर अभी मुझे कोपरेटिव फेडरेशन का अध्यक्ष बनायेंगे जो आप ने नहीं बनाया तथा अगली बार चाहे एक टिकट हो मुझे ही देंगे । 

आप ने तो आगरा में मेरी किताब के विमोचन करते वक्त भी सैकड़ों लोगों के सामने कहा था की आप लोग नही जानते होंगे पर मैं जानता हूं की सी पी राय देश में बहुत बड़े लोगो को जानते है वो किसी को भी बुला सकते थे पर उन्होंने मुझे बुला कर मेरा सम्मान बढ़ाया है । यहां समाज के सभी प्रमुख लोग और साहित्यकार तथा कवि बैठे है आज मैं सबके सामने बताना  चाहता हूं की सी पी राय ने क्या क्या किया मेरे लिए और आप ने बहुत कुछ बताने के बाद यह भी कहा था की मैने सी पी राय के साथ न्याय नहीं किया । अब सी  पी राय का जो सम्मान समाज तथा साहित्य में है वो मैं उन्हें राजनीति में दूंगा, अब उनको उनका हक मिलेगा ।

ऐसी ही कुछ बाते कहते कहते अचानक मुझे पता नही क्या सूझा कि मैंने बोल दिया की भाई साहब आप के और मेरे बीच 35/36 साल से एक लड़ाई चल रही है । 
वो बोले की मेरे आप के बीच लड़ाई चल रही है । तब बोले मेरे आप के बीच क्या लड़ाई है ? 
मेरे मुंह से निकल गया कि मेरी सच्चाई,ईमानदारी और वफादारी तथा आप का झूठ ,धोखा और दगाबाजी के बीच लड़ाई है ।
आप लगातार जीत रहे हो और मैं हार रहा हूं।
आप कभी रामगोपाल के कंधे पर रख कर बंदूक चला देते हो तो कभी अमर सिंह का इस्तेमाल कर लेते हो । बेनी प्रसाद वर्मा ने संसद में आप को गाली दिया तो उनको राज्य सभा दे दिया ,अमर सिंह ने आप के खिलाफ कोई कसर नहीं छोड़ा तो उसे दे दिया पर मेरा गुण आप की निगाह में अवगुण ही रहे इसलिए मैने ये लड़ाई बोला ।

इस बात पर वो बहुत अपसेट हो गए तथा बोलने लगे  : क्या मैं दगाबाज हूं ,क्या में दगाबाज हूं ? 
और फिर यही वाक्य जल्दी जल्दी बोलने लगे ।तब साधना जी उठी और दौड़ कर एक प्याली में दो रसगुल्ला रख लाई तथा जबरन उनके मुंह में डालने लगी कि जल्दी खा लीजिए वरना बीमार हो जाएंगे और अभी अस्पताल ले जाना पड़ेगा ।  
मैं इस बात से आवाक रह गया तथा अंदर से बहुत दुखी हो गया । मेरा मन मुझे कचोटने लगा की मैने ये क्या कर दिया ।अभी कुछ हो जाएगा तो मैं खुद से निगाह नही मिला पाऊंगा। 
वहा सन्नाटा पसर गया । सब चुप । कोई कुछ नही बोला काफी देर तक । फिर करीब 20/25 मिनट बाद साधना जी ने सन्नाटा तोड़ा और बोली की रायसाहब से क्यों नाराज हो रहे हो । आप ने क्या कर दिया इनके लिए ? राय साहब ने क्या क्या किया है वो आप भी बताते रहे और मैं भी जानती हूं । इनकी पत्नी को आप ने बहन माना और राखी बंधवाया पर वो कैंसर से मर गई आप ने क्या किया ? वैसे तो आप लोगो को भी जहाज से भेज कर मेदांता में इलाज करवाते रहे ।

तब मैने कहा भाभी जी जाने दीजिए मुझे ऐसा नहीं कहना चाहिए था । मैं अपने शब्दो के लिए माफी चाहता हूं ।

इसपर साधना जी फिर नेता जी से बोली की मैने कई बार आपको कहा की राय साहब को अपना सलाहकार बना लो । ये भी कहा था की प्रोफेसर साहब को दिल्ली में अकेले मत रखो राय साहब को भी रखो पर आप ने बात नही माना। साधना जी बोली की ये जी बुरा वक्त हम लोग देख रहे है वो नही होता ।  मैं ये सब सुनकर हतप्रभ था क्योंकि साधना जी से मेरी कोई बात नही होती थी । 

मुलायम सिंह जी तब बोले सी पी राय अखिलेश को मुख्यमंत्री बना कर गलती हो गई । वो मुख्यमंत्री नही बनता तो लीडर बन जाता । अब वो  लीडर नही बन पाएगा । मैने कहा ये तो आप मुझसे कई बार कह चुके पर बन गया तो बन गया और आपने ही बनाया  । बोले  देखो क्या कर बैठा ।अपने मन का हो गया है हमारी बात ही नही मानता । मैने एम एल सी के लिए आप के लिए बोला था की आप लखनऊ में ही रहोगे और मंत्री बनवा दूंगा पर हरियाणा का वो क्या नाम है जो यूथ का नेता था , लाठर ! उसका नाम गवर्नर हाउस भेज कर कलकत्ता  चला गया था । 
मैने कहा की अब तो आप साथ है न । तो नेता जी बोले सी पी राय पेट और मुंह में अंतर होता है ।  बेटा है तो उसे कैसे छोड़ देता , माफ़ कर दिया और मेरी बनाई पार्टी भी तो खत्म नही होने देना था । 

मैने कहा की क्या आप को याद है की समाजवादी पार्टी कैसे बनीं। तो बोले सब याद है । आप ने ही पहली बार कहा था बनाने को और फिर जनेश्वर तथा कपिल देव बाबू को लेकर मिले था और मेरे पीछे पड़े रहे तब मैने पार्टी बनाया । आप ने भी बहुत साथ दिया और बहुत मेहनत किया पार्टी के लिए । 
फिर बोले की आप की अखिलेश से मुलाकात हुई । मैने कहा नही , वो आपके साथ गद्दारी नहीं करने वालो को अपना दुश्मन मानते है तो मुझसे क्यों मिलेंगे । भाई साहब अब जो हो गया वो हो गया पर ये नही पता की किसका जीवन ज्यादा है लेकिन जब तक मेरा जीवन है तब तक आप का साथ नही छोडूंगा । इसपर साधना जी बोली की देख लो एक ये रायसाहब है जो जिंदगी भर साथ निभाने की बात कर रहे है दूसरी तरफ वो लोग है जो हमारे घर का रास्ता ही भूल गए । 

मुलायम सिंह यादव जी पता नही उम्र के कारण या यू ही भावुक हो गए और तब बोले की इस बार राज्य सभा चुनाव आने दो मैं अखिलेश के पास चल कर बैठ जाऊंगा जब तक आप को टिकट नहीं देता । साधना जी बोली की मैं भी साथ चलूंगी । मैने कहा भाईसाहब जाने दीजिए । अब आप के हाथ में कुछ नही है और मेरे लिए ऐसा करेंगे तो आप को फिर बेइज्जत होना पड़ेगा और वो मैं नही चाहूंगा । इसपर बोले की मैने आप के साथ बहुत गलत किया अब दुनिया से जाने के पहले भूल सुधारूंगा । मैने कहा जाने दीजिए फिर से एक असत्य मत बोलिए तो नेता जी बोले की असत्य क्यों आप देख लेना इस बार । 

साधना जी ने नौकर को आवाज दी की फला वाली मिठाई ले आओ और चाय ले आओ , पानी भी लेते आना । मिठाई खाकर जो मुलायम सिंह यादव जी ने जोर देकर तीन मिठाई खिला दिया और चाय पीकर एक बार फिर उनसे माफी मांग कर मैं विदा हो । 

अफसोस कि फिर मुलायम सिंह यादव जी नही बल्कि उनकी अंत्येष्ठि में उनकी मिट्टी से ही मुलाकात हुई । 
उन्होंने क्या किया वो उनके साथ गया पर उस दिन अपने बोले गए शब्दो पर जिससे वो आहत हो गए थे मुझे आज तक अफसोस है ।