शनिवार, 25 अप्रैल 2015

उम्मीद की सुबह ---------------------------------हर किसी की सुबह बहुत उम्मीदे और उमंग लेकर आती है इसीलिए शायद कहा गया है की उगते हुए सूरज को देखो और प्रणाम करो तथा प्रेरणा लो की इतनी लम्बी अँधेरी रात भी सूरज को उगने से रोक नहीं पाती और उसका स्याह साया सूरज की उगने की प्रवृति को डिगा नहीं पाता तो तुम क्यों नहीं उग सकते हो नयी सुबह के साथ ।
हम करोडो सो रहे होते है पर सूरज खरामा खरामा अपनी आसमानी सफ़र पर पूरे ओज और ऊर्जा तथा चमक के साथ चल रहा होता है और हमें भी मजबूर कर रहा होता है आँखे खोलने और उठ खड़े होने के लिए ।
ये भी सच है की बहुत से लोग फिर शाम होते होते नाउम्मीद और पस्त हो जाते है लेकिन सूरज भी तो चमक खो देता है शाम तक और डूब रहा होता है कही क्षितिज की अनंत गहराइयो में ताकि फिर ऊर्जा के साथ सफ़र पर चल सके ।
इसलिए हर सुबह उम्मीदे बनाये रखिये और चिंता के नहीं बल्कि चिंतन के पथ पर मजबूत इरादे के साथ ,खुद के हौसलों के साथ और जोश के साथ कदम बढ़ाते चलिए ।
मंजिले कभी सीधे और सुगम रास्तो पर होती है ,कभी फिसलन भरे रास्तो से तो कभी बहुत कंटकपूर्ण ,कभी पथरीली तो अक्सर पहाड़ो के तरह घुमावदार और लम्बे रास्तो से मिलती है ।कभी दलदल ,नदी और अथाह समुद्र जैसे अवरोध भी सामने आ जाते है पर लोगो ने इनको भी पार किया है ।
रात को सोये होते है तो प्रायः अर्ध मृतप्राय ही तो होते है और सुबह जागते है तो एक तरह नया जन्म ही तो लेते है हम और हमारी किलकारी हो या क्रंदन दुनिया को बता देते है की हम है या हम भी है या अब हम आ गए है दुनिया की चुनौतियों के लिए ।बस यही भाव हो हर नयी सुबह का ।
सभी को हर सुबह नयी सुबह हो उठान की और नयी उड़ान की ।नयी सुबह की सभी को शुभकामनायें ।
(मेरा सूरज विज्ञानं का नहीं बल्कि साहित्य का सूरज है अतः वैसे ही देखे )
(आज सुबह के चिंतन से )

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