शनिवार, 25 अप्रैल 2015

आप किसी इंसान के शरीर से उसके बाल उखाड़ो तो उसे दर्द होगा या नहीं और वो हिलेगा या नहीं ,आप उसके शरीर से पहले पानी और फिर खून निचोड़ लो ,आप उसके शरीर में छेद करते जावो तो क्या होगा ।
यही तो कर रहे है हम सभो पृथ्वी के साथ उसके बाल यानी हरियाली विहीन करते जा रहे है ,उसकी नसों यानी नदियो को और नालो तथा नहरो को खत्म करते जा रहे है ,जमीन में छेद करते जा रहे है अंधाधुंध ,उसका पानी निचोड़ते जा रहे है तो उसे भी दर्द हो रहा है और वो भी हिल रही है ।अब उसके हिलने से क्या क्या होगा उसको क्या
माल्थस ने तो वर्षो पहले हमें बता दिया था की प्रकृति अपना संतुलन खुद तय करती है पर हमने उनकी बात पर गौर करना भी उचित नहीं समझ ।
अब भुगतने को तैयार रहे पूरी मानवता ।
पर आज के हादसे में जहा भी और जो भी प्राण गंवा बैठा है उसको श्रधांजलि और उसके परिवार के प्रति संवेदना और जहा भी नुक्सान हुआ है उनके प्रति भी ।
लेकिन सम्हल जाये इंसान भी और इंसानो की सरकारे भी तथा खास तौर पर पूंजीपति लोग जो प्रकृति के साथ सबसे ज्यादा खिलवाड़ करते है ।

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