रविवार, 26 जून 2011

आज कई दिनों की चुप्पी के बाद गैंग से सलाह करने के बाद रामदेव यादव बोले पर बोले क्या खूब चीखे खूब गुस्साए | ये कैसा योगी ? रामदेव के अनुसार १- ३०००० लोगो के बीच उनकी हत्या की आशंका थी मीडिया भी था वहा फिर भी | लगता है की रामदेव ने भारत को कोई और देश समझ लिया | २- रामदेव यादव को आपातकाल लगा दिख रहा है, पर ये बहुत बहादुर है की फिर भी जो चाहे खूब झूठ बोल ले रहा है ये अलग बात है की पत्रकारों का जवाब देने को तैयार नहीं हुआ | ३- ये कायर की मौत नहीं मरना चाहता था ,उनके अनुसार उनके सामने बच्चो को घसीट कर मारा जा रहा था ,महलाओ के साथ बलात्कार का प्रयास किया जा रहा था ,इससे बड़ी कायरता और कायर की मौत क्या हो सकती है ? की कोई अपने समर्थन में आये लोगो को छोड़ कर भाग जाये | 
                            उन सवालो का जवाब आज भी नहीं दिया की १ - औरत का वेश का भेष धारण कर भगा क्यों २- पीटने वालो के सामने खुद को क्यों नहीं खड़ा कर दिया जानकी जिन नेताओ को ये गली दे रहा है वो अपने समर्थको को छोड़ कर भागते नहीं बल्कि खुद सामने खड़े हो जाते है २- ६ दिन में ही तथाकथित योगी मरणासन्न कैसे हो गया ? उसके दो महीने तक भूखे रहने के दावे का क्या हुआ ? ३ - दुनिया को अंग्रेजी इलाज छोड़कर अपना इलाज स्वीकार करने का उपदेश देने वाला रामदेव यादव खुद अंग्रेजी और बड़े अस्पताल में क्यों भारती हुआ ? अपने इलाज से खुद को ठीक करने की जिद क्यों नहीं किया | ४ - रामदेव की कितनी कम्पनियाँ है और किस किस चीज की है और उनमे कितना पैसा है ? पत्रकारों के इस सवाल पर अपनी पत्रकार वार्ता ख़त्म कर भाग क्यों जाता है ? 
                               रामदेव यादव अब तमाम सवालों के घेरे में आ गए है ,जिनका जवाब उनके पास नहीं है | अब वो जितना ज्यादा बोलेगा और बौखालायेगा उतने सवाल उठते जायेंगे | पहले भी लाखो लोग हुए है जो सरकारों के खिलाफ बोलते रहे सस्ते प्रचार की बाते करते रहे ,कम्पूटर इत्यादी का विरोध करते रहे ,पर जब उन लोगो को खुद सरकार में शामिल होने का मौका मिला तो वे सभी सारे भ्रस्ताचार का रिकार्ड तोड़ते दिखलाई पड़े और जो बड़ी बड़ी बातें करते थे सब भूल गए और निहायत अयोग्य साबित हुए | सत्ता से बाहर रह कर कुछ भी बोलना और सत्ता में होने हकीकत जान कर कारवाही करना अलग बात होती है | रामदेव यादव को भी अमर सिंह वाली बीमारी लग गयी है की उनके बिना दुनिया नहीं चलती और अगर किसी दिन मीडिया में नहीं आये तो बीमार पद जाना | जब मीडिया समाचारों के आभाव में ऐसे लोगो को कुछ ज्यादा जगह दे देता है तो सत्ता से भी बड़ा नशा चढाने लगता है ; पुरानी कहावत है की अधजल गगरी छलकत जाये |


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