सोमवार, 6 जून 2011

कुछ घंटे पहले क्रन्तिकारी भाषण से लोगो को उत्तेजित करने वाला और जान की कोई कीमत नही है ये देश के लिए जाये तो जाये कहने वाला तथा सभी के साथ १२० करोड़ लोगो की लड़ाई की बात करने वाला रामदेव यादव औरत का भेष धारण कर भागा क्यों ? ये तो शिखंडी से भी गया गुजरा निकला | शिखंडी तो युद्ध भूमि में डटा रहा अपने लोगो के लिए पर ये तो कायरों की तरह भाग निकला | रामदेव यादव ने खुद अपनी हरिद्वार की प्रेस कांफ्रेंस में दो बाते कहा जिस पर देश जवाब चाहता है १- उसने कहा की छोटे छोटे बच्चो को उसके सामने घसीट कर मारा जा रहा था ,सवाल ये है की यह देख कर उसका पुर्सत्व मर गया की वह मुह छिपा कर भाग गया जबकि कमजोर से कमजोर आदमी ऐसे मौके पर औरतो और बच्चो की ढाल बन कर खुद पिट लेता है लेकिन उनकी रक्षा करता है ,रामदेव ने ऐसा क्यों नहीं किया  | जो लोग इसके झूठे कार्यक्रम के लिए इसलिए इकट्ठे हो गए की शायद यहाँ बिना पैसे लिए ये योग सिखाएगा चाहे अपने स्वार्थ में ही सही उन्हें छोड़ कर ये भागा क्यों ? भागने के लिए इसने किस बहन बेटी के कपडे उतरवा कर पहने और उसे क्या पहनाया तथा वो कहा है ?खुद औरत बच्चो की ढाल बनने के स्थान पर इसने औरतो को ढाल क्यों बनाया ? जिस तरह ये पुलिस  को देख कर ऊंचे मंच से कूदा, देश जानना चाहता है की क्या पुलिस  को देख कर भागना इसकी पुँरानी आदत है ,आखिर इसने क्या किया है पूर्व में की पुलिस  को देख कर इसे भागना पड़ता था ? २ - इसने बयान दिया की यदि तीन दिन धरना चल जाता तो केंद्र की सरकार गिर जाती | इस बात का क्या मतलब है ? किन लोगो के साथ और आगे की क्या साजिश थी यह भी जनता जानना चाहती है |जनता यह भी जानना चाहती है की तीन दिन में इसने क्या क्या छुपाया ? यह भी जानना चाहती है कुछ घंटे पहले तक सरकार और प्रधानमंत्री की तारीफ करने और उनकी शान में ताली बजवाने के पीछे इसका क्या मकसद था ? जनता यह भी जानना चाहती है बार बार मंच से पीछे जाकर ये क्या खेल रच रहा था ? जनता यह भी जानना चाहती है की रामदेव जिन लाखो या करोडो लोगो को अपना शिष्य बताता है देश और विदेश में उनमे से कितनो को भ्रस्टाचार न करने ,घूस न लेने और न देने के लिए प्रतिबद्ध कर चूका है | अपने तथाकथित शिष्यों का कितना पैसा विदेश से देश में मंगा चूका है ? खुद को विदेश में तथाकथित तौर पर मिलने वाला मॉल विदेश में ही है या देश में वापस ले आया है ?
      पर सबसे पहले ये बता दे की शिखड़ी का भेस धारण कर भागा क्यों ?भारत तो बहादुरों का देश है क्या अब ये कायरो के पीछे चलेगा ? एक कायर खुद अपने मुह से खुद को महात्मा गाँधी तथा शिवाजी के बराबर रखेगा क्या ये देश इस बात को बर्दाश्त करेगा ?कोई कुछ हजार अपने व्यवसाय पर पलने वालो के परिवारों को तथा इसकी बातो में आ गए भोले भाले लोगो को इकठ्ठा कर महान हिंदुस्तान को ललकारेगा और देश ये बर्दाश्त करेगा ?क्या केवल रामदेव का मानवाधिकार है ? क्या दिल्ली में रहने वाले लोगो का कोई मौलिक अधकार और मानवाधिकार नहीं है ? क्या देश इसी तरह चलेगा की कुछ हजार लोग कही भी इकट्ठे हो जाये और तुरंत अपना मनचाहा  करवाने को मजबूर करे ? क्या यदि ऐसे  ही कुछ हजार लोग रामदेव के आश्रम को घेर कर तुरंत सब जानना चाहे  तो वह अपने और अपने लोगो के हिसाब तथा अपनी तमाम संपत्ति  का हिसाब तुरंत देने को तैयार है ? इसका समर्थन करने वाले भा जा पा,संघ ,नितीश कुमार ,मायावती नरेन्द्र मोदी सहित वे तमाम लोग अब इसी तरह की व्यवस्था चाहते है की कभी भी कुछ हजार लोग उनकी राजधानियों को घेर कर या जिला मुख्यालयों को घेर कर तुरंत मनचाहा आदेश और काम करवाए ? यदि ये सभी लोग अब से यही व्यवस्था चाहते है तो अपने अपने दलों  और सरकारों का प्रस्ताव पास कर भारत सरकार को भेज दे की अब संविधान में परिवर्तन कर ऐसी व्यवस्था बने जहा कोई विधान सभा और लोक सभा न हो ,कोई प्रशासनिक व्यवस्था न हो बल्कि जहा जिसकी लाठी उसकी भैंस की व्यवस्था देश में लागू की जाये | क्या महान भारत यही व्यवस्था चाहता है ?फिर वही सवाल पूरा देश जानना चाहता है की कायर सेनापति औरतो और बच्चो को ढाल बना कर शिखंडी बन कर भागा क्यों ?


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें