शुक्रवार, 23 फ़रवरी 2024

जिंदगी के झरोखे से

#जिंदगी_के_झरोखे_से 
वो 30 जनवरी की तारीख़ थी जो भारत के इतिहास की काली तारीख़ साबित हुयी और भारत ही क्या दुनिया को मानवता का रास्ता दिखाने वाला सूरज अस्त कर दिया गया एक हत्यारे द्वारा ।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हम सबके बापू दिल्ली के बिडला हाउस के एक छोटे से कमरे में रहते थे बहुत ही साधारण तरीक़े से । ज़मीन पर बैठते थे सोते थे , बहुत साधारण बर्तन में सादा भोजन करते थे ।
बापू रोज़ पीछे के मैदान में उपस्थित इंसानो से मिलते थे , उनके प्रश्नो का जवाब देते थे , रामधुन गाते थे , प्रार्थना करते थे और विभिन्न विषयों पर प्रवचन भी करते थे ।
कुछ देर पहले ही तो सरदार पटेल महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात कर के गए थे और कल ही तो बापू में ड़ा राममनोहर लोहिया को बुलाया था चर्चा करने को । रात हो रही थी और ड़ा लोहिया थके हुए थे जबकि बापू कुछ व्यस्त थे । जब बापू वापस आए तो ड़ा लोहिया गहरी नीद में सो गए थे । बापू ने उन्हें नही जगाया और ख़ुद भी ध्यान करने के बाद सो गए । सुबह बापू जल्दी जाग गए और अपनी नित्य की दिनचर्या में व्यस्त हो गए और ड़ा लोहिया उनके बाद जगे । लोहिया बापू के पास गए की बापू मुझे नीद आ गयी थी बताइए क्या आदेश है । बापू का समय निर्धारित होता था और उसी हिसाब से उनका जीवन चलता था इसलिए बापू ने उन्हें आज यानी ३० जनवरी को आने को कहा और इतना ज़रूर कह दिया कि आवश्यक बात करनी है और कांग्रेस के भविष्य पर तथा उसमें इन लोगों की भूमिका पर बात कर कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लेना है । ड़ा लोहिया चले गए । 
३० तारीख़ को मिलने वालो ने सरदार पटेल प्रमुख थे और गम्भीर चर्चा कर वो वापस का चुके थे । 
बापू अपने नियत समय पर अपने कमरे के इसी चित्र वाले दरवाजे से प्रार्थना स्थल के लिए निकले और ज्यों ही नीचे की सीढ़ियाँ चढ़ कर आगे बढ़े भारत का पहला आतंकवादी जो इतना कायर था की आज़ादी की इतनी लम्बी लड़ाई में वो देश के लड़ना तो दूर जिसने कभी मुह छुपा कर भी अंग्रेज के ख़िलाफ़ कोई नारा तक नही लगाया था ,जिसने किसी अंग्रेज के घर की दीवार पर ग़ुस्सा दिखाने के लिए कभी एक कंकरी तक नही फेंका था और जिसने चंद दिन पहले ही अपने हाथ पर मुस्लिम नाम लिखवा लिया था उसी ने जिन अंग्रेजो कि कभी औक़ात नही हुयी बापू को उँगली से भी छूने की उन्होंने की अंग्रेज़ी पिस्तौल से उन्ही अंग्रेजो कि बनाई तीन गोलियाँ बापू के सीने में उतार दिया और भागने लगा जिसको वही के माली ने तमाचे मार कर पकड़ लिया ।
अपने को हिंदुओं का ठेकेदार बताने वाली एक सगठन जो अब देश भक्ति का उपदेश देता है ने तुरंत देश भर में फैलाया की बापू को मुसलमान ने मार दिया पर तुरंत नेहरू जी और पटेल जी ने निर्णय लिया और हत्यारे का नाम देश भर तक रेडियो से पहुँचा दिया । देश की जानता रोटी हुयी सड़क पर थी और कांग्रेसी गोलीय जनता को सच बताने निकल पड़ी ।
ड़ा लोहिया बापू से मिलने के लिए आ रहे थे और अभी थोड़ा दूर ही थे की पता लगा की सूरज अस्त हो गया । नेहरू जी ने रोते हुए कहा कि रोशनी ख़त्म हो गयी । 
दूसरी तरफ़ संघ और हिंदू महासभा ने ख़ुशी मनाया और मिठाई बाँटा । 
जी आज तीस जनवरी को 74 साल हो गए । वो ताकते जी बापू की हत्या के लिए ज़िम्मेदार है सब तक पैर जमा चुकी है तथा अपने आका के सपनो को उतार देना चाहती है बापू के भारत में हिटलर और मुसोलिनी ने भी जो रास्ता तय किया था उसी पर चल कर उन्ही की तरह  मानवता का क़त्ल करके और देश को जहन्नुम बना कर । 
इसलिए ३० जनवरी हमें चेतावनी देती है देश को समाज को और मानवता को बचाने की चेतावनी और हिटलर मसोलिनी का नही बल्कि बापू के सपनो का भारत बनाने की । 
काश उस दिन ड़ा लोहिया दो नही गए होते या काश बापू की हत्या नही हयी होती और आचार्य नरेंद्र देव , ड़ा लोहिया , जयप्रकाश , अच्युत पटवर्धन इत्यादि कांग्रेस में ही रहे होते तो शायद तस्वीर कुछ और होती पर आज इस बात को याद करने का दिन नही है बल्कि मानवतावादी सत्य अहिंसा ग्राम स्वराज और स्वावलम्बन बनाम हत्या दंगे , राक्षसी सोच और अंधाधुंध पूंजीवाद के बीच चलती लड़ाई में से अपना पक्ष चुनने का दिन है ।
आइए बापू के साथ खड़े हो । 
#मैं_भी_सोचूँ_तू_भी_सोच

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