#धर्म_पूजा_देवत्व_स्वर्ग_और_नर्क_या_मात्र_ढकोसला
काफी लोगो को देखता हूं कि ढोंगियों के द्वारा थोपी किताबे घंटे भर से ज्यादा रोज पढ़ते है और गाते है और कई तथाकथित देवी देवो की स्तुति करते है
और उठते ही चीख चिल्ला रहे होते हैं। सालो से पूजा कर रहे है पर खुद का मन दिमाग और जुबान अशांत है ।
काफी लोग पूजा के नाम पर सारे कर्म करते है और फिर सारे बुरे काम भी हा सारे ही पूरी शिद्दत से करते हैं लेकिन साल में दो चार बार किसी नामी धार्मिक स्थल पर घूम आते है और किसी खास नदी में किसी खास तट पर डुबकी मार कर पाप धो आते है ।
कितना आसान बना दिया है धर्म के ठेकेदारों ने की पापो की सजा आप पर छोड़ दिया है ,डुबकी , कथा ,पूजा , दान और फूल बंगला आप खुद तय कर अगर कोई भगवान है तो उसे छल सकते हो
या पता नही खुद को ,समाज को और मानवता को ही छलते रहते है जजमान और ठेकेदार मिलकर ।
वरना तो पढ़ा था की ईश्वर को ढूढने लोग सब कुछ छोड़कर हिमालय की कंदराओं में चले जाते थे और लौट कर आते ही नही थे ।
पता नही उनमें से किसी को भी भगवान मिले या नही । किसी ने लौट कर बताया नही । पौराणिक कथाओं में भगवानों और देवो के किस्से जरूर मिलते है पर जरा आस्था किनारे रख कर समीक्षा की जाए तो वो सब भी तमाम इंसानी अच्छाइयों और बुराइयों वाले इंसान ही नजर आते है ,सारी कमजोरियों वाले इंसान और उनकी लड़ाइयों और श्राप जलन धोखे इत्यादि की समीक्षा करिए ना आप को आज के आसपास होने वाले दृश्य ही नजर आएंगी। बाकी किसी भी कहानी उपन्यास और सिनेमा की पटकथा लिखते या रचते हुए हीरो में कुछ अस्वाभाविक शक्तियां और गुण दिखाने ही पड़ते है और उसे महान दिखाने के लिए विरोध में गढ़े गए खलनायक में उतने ही अवगुण भी ।
सच में पूजा करने वाले को तो बिल्कुल शांतचित्त हो जाना चाहिए ,निर्विकार , सुख दुख से ऊपर , लोभ लालच से ऊपर , दुनियादारी से ऊपर और स्वयं अच्छा बन कर समाज को बुराइयों से दूर करने के लिए समर्पित ,सभी तरह की बुराइयों से । इंसान को आदर्श इंसान बना देने का नाम ही धर्म है और वही धारण करने योग्य है और सचमुच का हर बुराई से मुक्त बन जाने की अवस्था की देवत्व है और इसको पा लेना ही स्वर्ग को पा लेना है और बाकी सभी अवस्थाएं ही नर्क में जीना और ऐसे कर्म ही नर्क को रचना है ।
आज सुबह के चिंतन से ।
#मैं_भी_सोचूँ_तू_भी_सोच
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