जिनके भी पास देश समाज और मानवता के लिए कोई सार्थक सपने नही है ,सिद्धांत नही है और उन सपनों को पूरा करने का संकल्प नही है ,सचमुच के सरोकारों को लेकर कोई सोच नही है ,कोई वैकल्पिक कार्यक्रम नही है ,सरोकारों से सरोकार नहीं है वो ही लोग समाज और देश को तुच्छ और गैर जरूरी मुद्दो पर भटकाते रहते है ।
जो खुद खरबपति हो गए और जिनके पैर छूने को ब्राह्मण ठाकुर लाइन लगाए है उन्ही को बड़ी जातियों से परेशानी भी है
आम भारतीय और नई पीढ़ी तो अपने दैनंदिनी संघर्ष से जूझ कर हल ढूंढ रहा है
इसे जाति और धर्म में उलझा कर अज्ञानी नेतृत्व मुंह छुपाना चाहता है सचमुच के मुद्दो से ।
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