समाज हो या सरकार, आगे तभी बढ़ सकते हैं, जब उनके पास सपने हों, वे सिद्धांतों कि कसौटी पर कसे हुए हो और उन सपनों को यथार्थ में बदलने का संकल्प हो| आजकल सपने रहे नहीं, सिद्धांतों से लगता है किसी का मतलब नहीं, फिर संकल्प कहाँ होगा ? चारों तरफ विश्वास का संकट दिखाई पड़ रहा है| ऐसे में आइये एक अभियान छेड़ें और लोगों को बताएं कि सपने बोलते हैं, सिद्धांत तौलते हैं और संकल्प राह खोलते हैं| हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं और कहेंगे, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा|
बुधवार, 1 अक्तूबर 2014
पता नहीं क्यों मुझे ऐसा लगता है की बाहरी कूड़ा करकट और मैल साफ़ करने से
पहले अपने मन की ,आत्मा और दिमाग की मैल साफ़ करना ज्यादा जरूरी है ,क्योकि
ये मैल ज्यादा घातक और नुकसानदायक और खतरनाक है ।जय हिन्द ।
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