बुधवार, 1 अक्तूबर 2014

एक जीत क्या मिल गयी की ये कहने लगना की की देश में आज से पहले सब बहुत बुरा था और जो भी व्यवस्था में रहे सब बहुत बुरे थे ,,पहली बार कोई आसमानी खुदा आया है ,,क्या दुनिया के किसी नेता ने विदेश में जाकर कभी ऐसा कहा है ? क्या देश इससे सहमत है ? और क्या इससे दुनिया को अच्छा सन्देश जा रहा है ?
क्या ये ठीक है ? अपने ही देश का आज़ादी के बाद के पूरे समय का मजाक उडाना क्या कही आज़ादी की लडाई में गद्दारी करने वाले संगठन का कोई छुपा कार्यक्रम का हिस्सा है ?
ये कहना की देश में बहुत हुआ है और अब नया क्या क्या हो रहा है तथा क्या सम्भावनाये है वो तो ठीक था पर ,,,खुद को चमकाने को बाकि सबको गिरा देना ये नयी राजनीती है और मेरी बात याद राखी जाये ,,,मैंने कहा था १६ मई को की देश एक अहंकारी को पा रहा है तो फिर मेरा दावा है की असफलतम प्रधानमंत्री को देखने जा रहा है और अब मेरा विचार और पक्का होता जा रहा है |

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