शनिवार, 14 अगस्त 2010

कल १५ अगस्त है ,हमारा स्वतंत्रता दिवस है .लोग बहुत दुखी है खास तौर पर समझदार और पढ़े लिखे कहे जाने वाले लोग .उन पर पहाड़ टूट पड़ा है .उनके साथ कितना बुरा हो गया है की यह १५ अगस्त रविवार के दिन पड़ा है ,वैसे भी वे इस दिन कुछ नही करेंगे छुट्टी ही मनायेंगे लेकिन १५ अगस्त किसी और दिन पड़ा होता तों छुट्टी मनाने  को एक दिन और मिलता .इससे बड़ा उनके जीवन का बड़ा संकट क्या हो सकता था .स्वतंत्रता दिवस क्यों मनाये, यह भी कोई मानने की चीज है .मनाना  है तों जातियों का दिवस या केवल अपनी जाती या धर्म में पैदा हुए महापुरुष का दिवस मना कर उसमे अपना गौरव तलाश लेने की कोशिश कर ही लेते है .धर्म के मामलों में भी हम लाखो से करोडो तक एकत्र हो ही जाते है और अगर कुछ धार्मिक विवाद का मामला हो तब तों हम कुछ भी करने को तैयार रहते है .आखिर यह सब भी तों इसी देश में करते है .अब अगर भूल गए की भगत सिंह २३ साल की उम्र में फासी चढ़े थे ,न जाने कितनो ने हँसते हँसते बलिदान दिया था तों क्या मुसीबत आ गयी अब वे लौट के तों आयेंगे नही ,उनके घर का कोई राज काज में भी नही है हम कुछ करे तों  वो ही खुश हो जायेगा और  देश में गौरव तलाश करने का क्या फ़ायदा .देश के लिए मरने वाले ये सब  हमारे तों कुछ थे नही .देश की सब जिम्मेदारी भी नेताओ की है ,.अधिकारियो की है, कर्मचारियों  की है .हमारा काम तों केवल देश को चरना,उसके सारे कानून तोड़ना ,अव्यवस्था फ़ैलाने में पूरा योगदान करना और बैठ कर देश को तथा नेताओ को कोसना है .वोट देने में भी इसी लिए परेशान होते है की छुट्टी कौन ख़राब करे .तों १५ अगस्त रविवार को पड़ गया कितना गलत हो गया .सरकार भी ठीक से सोचती नही है इसके बदले में अगले दिन तों छुट्टी कर ही देना चाहिए था .जन गण मन गाने के लिए खड़े हो जाओ कितना बुरा लगता है .ए आर रहमान और लता मंगेशकर  ने बहुत अच्छा गा दिया है देश के बारे में ,बहुत जरूरी हो तों उसी के कैसेट लगा दो .झंडा भी क्या फहराना समय होगा तों घर में टी वी के सामने बैठ कर दिल्ली वाला कार्यक्रम देख लेंगे साथ साथं चैनेल बदल बदल कर कुछ और कार्यक्रम भी देखते रहेंगे  .उनकी मजबूरी है वे लोग मनाये .हम तों दुखी है हमारी एक छुट्टी मारी गयी .देश ने और कलेंडर हमारे साथ बहुत ज्यादती कर दी है .हम सरकार से मांग करेंगे की कलेंडर इस तरह छपा जाये की कोई छुट्टी नही मारी जाये .हमारी जाति की जय ,हमारे शेत्र की जय ,हमारे राज्य की जय ,हमारे धर्म की जय ,और हमारे धंधो की जय .हमारी छुट्टी की जय .

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें