रविवार, 22 अगस्त 2010

आजकल नेता और पार्टियाँ किसान किसान खेल रही है

आजकल नेता और पार्टियाँ किसान किसान खेल रही है .किसान तबाह होता जा रहा है .सभी प्रदेशो में हर साल तमाम किसान आत्महत्या कर लेते है क्यों की वे सबकी मर झेल रहे है .पहले उन्हें प्रकृति मारती है कभी सूखे के रूप में कभी बढ़ के रूप में और उसे मिलता है किसी नेता के हवाई सर्वेषण का चित्र या अफसरों के हवाई दावे और हवाई घोसणाये या फिर हिस्से का एक बटा दस जो दो दिन भी खाना नही खिला पता है.[आजकल तों और बड़ा मजाख चर्चा में है कि अनाज सडा कर औने पौने में बीयर बनने वालो को दे दो लेकिन भूख से मरते गरीब किसान और मजदूर को मत दो .]फिर इन्हें बिचौलिया व्यापारी मारता है जो इनसे कौड़ी के भाव इनका माल लेटा है और अपना बनाया माल इन्हें भरी मुनाफा लेकर तों देता ही है ,बाद में जब इन्हें अपने ही उगाये समान कि जरूरत पड़ती है तों कई गुना कीमत देकर खरीदना पड़ता है .सबसे बच गया तों अब बड़े बड़े पूंजीपतियों को फायदा पहुँचाने के लिए या अपने बिना किसी जरूरत के भरे हुए महकमे को पलने के लिए इनकी जमीन उन धाराओ में अधिकृत कर लेती है सरकारे जो देश हित में जरूरी होने पार जमीन लेने के लिए बनाये गए थे .किसान कि जमीन जितने रुपये बीघे में सरकार और विकास प्राधिकरण खरीद रहे है वे और जिन पूंजीपतियों को जमीन दी जाति है उससे कई सौ गुना पैसे लेकर उसे बेंचते है ,.सरकारों में बैठे हुए लोगो में प्रतियोगिता शुरू हो गयी है कि कौन कितना बड़ा लुटेरा साबित हो सकता है और अपने प्यादे पूंजीपति को कौन कितना ज्यादा फायदा पहुंचा सकता है .खास तौर पर जो षेत्रीय ताकते सरकारों में आ रही है उन्होंने तों लूट कि सासरी सीमाए तोड़ दी है .भा जा पा जो और जिसके मूल समर्थक सदा ही किसानो के दुश्मन रहे है और जामाखोरो और मुनाफाखोरो के पोषक रहे है ,वे भी किसानो के लिए घडियाली आंसू बहा रहे है .तथाकथित समाजवादी भी चिल्लपों मचाये हुए है .जब इनकी सरकार थी तों पूरी सरकार को  और उत्तर प्रदेश के गरीबो को पूंजीपतियों के के पैर कि जुटी बना दुया था इन लोगो ने .अब सरकार है तों इन्हें भी किसानो कि याद आ गयी .दिन रात केवल भ्रस्टाचार में सराबोर रहने वाले ये लोग जब भ्रस्टाचार कि बात करते है तों पता नही कटने बेशर्म है कि मुह से इनके शब्द कैसे निकलते है .सूप तों सूप बोले अब चलनी भी बोलने लगी जिसमे सैकड़ो छेद है .
आज मायावती कि तरफ से किसानो के लिए बयान जारी हुआ है  .पूरी सरकार के पास ना तों कोई दृष्टि है ना कोई सपना है ना कोई कार्यक्रम है ना कोई देश या समाज शब्द से प्रतिबद्धता है ,है तों केवल एक सपना दुनिया में सबसे ज्यादा अमीर बनने  का ,दृष्टि है तों केवल एक दृष्टि समाज को तोड़ने कि और लोगो के घरो से बैंको तक जमा पैसो को पाने कि ,कार्यक्रम है तों केवल एक उगाही उगाही और उगाही .पिछली सरकार में जो कम लाख में हो जाता था वह अब दस लाख में होने लगा है .अपराध जितने पहले थे उससे कम अब भी नही है रोज हर शहर से बच्चे उठ रहे है और अपहरण कि जगह गुमशुदा दिखा दिए जा रहे है .किसान ने अगर अपनी बेटी कि शादी या अच्छे बुरे वक्त के लिए पेट काट कर कुछ पैसा बचाया भी है तों वह अपने बच्चे को छुड़ाने के लिए फिरौती में दे देता है या विभिन्न मामलों में फसा कर सरकार का तंत्र घूस के रूप में खा जाता है .किसानो पर ये सारी जुल्म ज्यादती और पूंजीपतियों को फायदा पहुँचाने का काम मायवती जी पूरी शिद्दत से कर रही थी ,लेकिन ज्यो ही देखा कि किसान उठ खड़ा हुआ है और अब वह अपनी धरती माँ के लिए बीबी बच्चो सहित मरने मारने पर उतारू है ,चुनाव भी अगले साल तक होने है ,और पार्टियाँ भी पहुँचने लगी तों मायावती जी को भी किसान दिखने लगा ,जे पी से जो होना था ओ तों हो ही गया होगा .यह भी देश के इतिहास में पहली बार हुआ है कि कोई नौकरशाह मुख्यमंत्री कि तरफ से राजनैतिक बयान जारी करे और वह अपने मुह से दलों को और केंद्र सरकार को भला बुरा कहे .केंद्र सरकार में यदि जरा  भी इच्छाशक्ति है तों तत्काल प्रभाव से उत्तर प्रदेश के कैबिनेट सेक्रेटरी के खिलाफ सख्त कारवाही करनी चाहिए .आज कल किसान किसान खेलो का मौसम है जैसे सावन में चाहे थोड़ी देर को ही सही लोग कोई जगह तलाश कर झूला डाल लेते है और झूलने कि औपचारिकता पूरी कर लेते है उसी तरह फ़िलहाल  किसान नाम का झूला मिल गया है .देखते है कि राजनीति शतरंज कि बिसात पर कौन जीतता है, कौन हारता है और बेचारे किसान का क्या होता है .वह केवल मोहरा ही बन कर रह जाता है या शह- मात के खेल कि मजबूरी में कोई जगह पा जाता है .

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