क्या #आज़ादी की लडाई के 75 साल पूरा होने पर जिन सपनो को लेकर लाखो ने #कुर्बानी दिया था उस सपनो पर देश भर मे चर्चा होगी और उस पर सरकार गम्भीरता से कुछ करेगी ?
क्या शहीदो की शहादत और उस वक्त गद्दारो की भूमिका को इमानदारी से देश के सामने लाया जायेगा ।
समाज हो या सरकार, आगे तभी बढ़ सकते हैं, जब उनके पास सपने हों, वे सिद्धांतों कि कसौटी पर कसे हुए हो और उन सपनों को यथार्थ में बदलने का संकल्प हो| आजकल सपने रहे नहीं, सिद्धांतों से लगता है किसी का मतलब नहीं, फिर संकल्प कहाँ होगा ? चारों तरफ विश्वास का संकट दिखाई पड़ रहा है| ऐसे में आइये एक अभियान छेड़ें और लोगों को बताएं कि सपने बोलते हैं, सिद्धांत तौलते हैं और संकल्प राह खोलते हैं| हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं और कहेंगे, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा|
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