फिल्म शोले का अन्तिम दृश्य जब ठाकुर जिसके पूरे खानदान को खत्म कर दिया था गब्बर ने और उनके दोनो हाथ भी काट दिये थे
गब्बर के सर पर वार करने ही वाले थे
कि
पुलिस अधिकारी बोलता है की छोड दीजिये और कानून के हवाले कर दीजिए
भावना मे बहे ठाकुर को याद दिलाता है की
क्या आप कानून और उसके मूल्य को भूल गये
और
ठाकुर गब्बर को पुलिस के हाथो मे छोड देता है
यही सवाल तो तथाकथित रामभक्तो और सन्घियो तथा बजरंगीयो से भी है की देश कानून और संविधान से चलेगा
या आतंकवादी तालिबानी कानून से
पर ये !!
समाज हो या सरकार, आगे तभी बढ़ सकते हैं, जब उनके पास सपने हों, वे सिद्धांतों कि कसौटी पर कसे हुए हो और उन सपनों को यथार्थ में बदलने का संकल्प हो| आजकल सपने रहे नहीं, सिद्धांतों से लगता है किसी का मतलब नहीं, फिर संकल्प कहाँ होगा ? चारों तरफ विश्वास का संकट दिखाई पड़ रहा है| ऐसे में आइये एक अभियान छेड़ें और लोगों को बताएं कि सपने बोलते हैं, सिद्धांत तौलते हैं और संकल्प राह खोलते हैं| हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं और कहेंगे, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा|
मंगलवार, 25 जून 2019
संविधान और कानून / शोले फिल्म
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