क्या आज के नेता कभी सोचते होंगे की भगत सिंह ने फाँसी के पहले क्या सोचा होगा
सुभाष ने जापान मे जाकर कैसे सेना खडी होगी और क्या सोच कर भारत विजय पर निकले होंगे
बापू और नेहरु अच्छी भली सुख की जिन्दगी छोड कर कर क्यो जेल गये होंगे इतने सालो के लिए जबकी पता ही नही था की फाँसी मिलेगी ता गोली
ना , बिल्कुल नही
समाज हो या सरकार, आगे तभी बढ़ सकते हैं, जब उनके पास सपने हों, वे सिद्धांतों कि कसौटी पर कसे हुए हो और उन सपनों को यथार्थ में बदलने का संकल्प हो| आजकल सपने रहे नहीं, सिद्धांतों से लगता है किसी का मतलब नहीं, फिर संकल्प कहाँ होगा ? चारों तरफ विश्वास का संकट दिखाई पड़ रहा है| ऐसे में आइये एक अभियान छेड़ें और लोगों को बताएं कि सपने बोलते हैं, सिद्धांत तौलते हैं और संकल्प राह खोलते हैं| हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं और कहेंगे, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा|
मंगलवार, 25 जून 2019
क्या नेता सोचते होंगे
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