#जिन्दगी_के_झरोखे_से--
चाहे तो इस सम्मेलन मे जनेश्वर मिश्रा जी और आज़म खान साहब के बाद मेरा भाषण भी पढिये की 2003 मे मैने क्या कहा था और आज क्या चर्चा हो रही है ।
कहा तो जनेश्वर मिश्रा पार्क मे भी मैने बहुत कुछ ऐसा था कि कम से कम उत्तर प्रदेश की तस्वीर 2017 से आज तक कुछ और होती पर एक तथाकथित विद्वान नेता को पसंद नही आया और वो टोकता रहा और जिस नेता को समझाने की कोशिश कर रहा था वो सुनने के बजाय मोबाइल से खेलता रहा और अहंकार सर चढ़ कर बोलता रहा ।
जाने दो ।अब तो रास्ते एक दूसरे के विपरीत दिशा मे जा रहे है ।
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