#ज़िंदगी_के_झरोखे_से
आज ये फ़ोटो एक साथी से मिली जब मैं 2014 मे आज़मगढ़ में मुलायम सिंह यादव जी के लिए सुबह से रात १ बजे तक शहर की बस्तियों से लेकर गावो तक रोज़ २०/२५ छोटी से बड़ी तब सभाए और रणनीतिक बैठके कर रहा था उसी में एक ये सभा जो बसपा के उम्मीदवार के गढ़ में हुई थी और काफ़ी कुछ निर्णायक साबित हुई थी । विशाल सभा थी यह जिसमें काफ़ी मंत्री भी मौजूद थे । मुझे चूँकि आगे की सभाओं में भी जाना था तो अपने फ़ैसलाकुन भाषण के बाद मैं चल दिया पर आश्चर्य तब हुआ जब बड़ी संख्या में लोग मेरे साथ चल दिए और हाथ जोड़कर सबको मुश्किल से लौटा पाया मैं की और बड़े नेता बोलेंगे उन्हें सुनकर जाइएगा ।
आज़मगढ़ में मेरे लोगों ने भी पूरा प्यार दिया और बाक़ी भी जहा जहा चला गया सबने मेरी इज्जत रखा । वरना अपने घरों पर पहले लगे झंडे कौन बदलता है गाँव में और दूसरी पार्टी का होते हुए भी न जाने कितने गाँवो ने मेरी वजह से मेरी पार्टी को वोट दिया ।
पर सब बेकार
क्योंकि धृतराष्ट्र को और कुछ कहा दिखा था महाभारत में ?
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