समाज मे बहुत से अच्छे परिवर्तन देखने को मिल रहे है ।
पहले चंद लोग गर्मी में शहरों और कस्बो में प्यासों के लिए प्याऊ लगाते थे
फिर जाड़ो में उन्ही स्थानों पर कुछ लोग बेसहारा लोगो के लिए तंबू लगाने लगे
फिर शहर की किसी दीवार को साफ कर उसे नेकी की दीवार की पहचान मिलने लगी जहाँ लोग अपने काम नही आने वाले कपड़े , बर्तन इत्यादि रख देते है और जरूरतमंद लोग उनका उपयोग करते है
जाड़ो में कांपते लोगो को कम्बल उड़ाने वाले भी काफी लोग है
कुछ शहरों में बचा खास ठंडी जगहों पर रख कर लोग जाने लगे और भूखा व्यक्ति सिर्फ अपने खाने लायक लेने लगा पंर ये अभी शायद सिर्फ मुंबई में हुआ
लेकिन बड़े पैमाने पर शहरों में छोटे और मझोले व्यापारियों और समाज सेवियों ने रोटी बैंक और 5 रुपये में भरपेट खाना खिलाने की परंपरा शुरू किया है ।
भीख नही खाना मिलेगा
और कोई भूखा नही मरेगा
ये क्रांतिकारी सामाजिक सरोकार के क्षेत्र में स्वस्फूर्त परिवर्तन बहुत सुखद और स्वागत योग्य है
जिस दिन सभी सम्पन्न लोग ऐसे के कामो में ईमानदारी और संवेदनशीलता से आगे आ जाएंगे
कोई भूखा नही मरेगा , कोई दवाई बिना नही मरेगा , कोई बच्चा पड़े बिना नही रहेगा , कोई नंगा नही रहेगा , कोई फुटपाथ पर आसमान के नीचे जीवन जीने को मजबूर नही होगा ।
सचमुच भारत वैभवशाली देश होगा और छलांग लगा देगा दुनिया मे सबसे आगे ।
जो लोग भी ये सब कर रहे है उन सभी को मानवता का सलाम
और
जो नही कर रहे है इस योग्य होते हुये उनसे अपेक्षा
जय हिंद ।
समाज हो या सरकार, आगे तभी बढ़ सकते हैं, जब उनके पास सपने हों, वे सिद्धांतों कि कसौटी पर कसे हुए हो और उन सपनों को यथार्थ में बदलने का संकल्प हो| आजकल सपने रहे नहीं, सिद्धांतों से लगता है किसी का मतलब नहीं, फिर संकल्प कहाँ होगा ? चारों तरफ विश्वास का संकट दिखाई पड़ रहा है| ऐसे में आइये एक अभियान छेड़ें और लोगों को बताएं कि सपने बोलते हैं, सिद्धांत तौलते हैं और संकल्प राह खोलते हैं| हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं और कहेंगे, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा|
मंगलवार, 6 नवंबर 2018
समाज मे परिवर्तन -1
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