गुरुवार, 22 जनवरी 2015

लोकबंधू राजनारायण को भारत रत्न मिले बिना 1977 के बाद मिले सभी भारत रत्न बेमानी है ।अगर आज़ादी की लडाई में अंग्रेजो की मुखबिरी करने वाले को तथा स्वतंत्रता सेनानियों को जेल भिजवाने वाले को भारत रत्न मिल सकता है तो देश के लिए इतनी तरह की लड़ाइयाँ लड़ने वाले राजनारायण जी को क्यों नहीं ??
1-राजनारायण का मतलब जो आज़ादी की लडाई में 3 साल जेल में रहे तो आज़ाद भारत में गरीब ,मजदूर ,किसान ,नौजवान ,मुद्दों के लिए ,संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए 14 साल से अधिक जेल में रहे ।
2-राजनारायण जो खुद बड़े जमीदार थे पर आज़ादी के बाद जमीदारी के खिलाफ आन्दोलन चलाया और खेत जोतने वालो को हक दिलवाने की फैसलाकुन लडाई छेडी ।
3- आज कोई कुछ भी दावा करे पर राजनारायण वो पहले व्यक्ति थे जो खुद बड़ी में पैदा हुए थे लेकिन हजारो दलितों को लेकर बनारस के काशी विश्वनाथ मंदिर में प्रवेश करवाया जिस पर पंडो ,पुलिस और संघियों ने उन पर तथा हरिजनों पर हमला कर दिया ।पर उन्होंने देश के दलितों को मंदिर में प्रवेश का अधिकार दिलवाने की आवाज तो बुलंद कर ही दिया ।
4- राजनारायण जी पसंद नहीं आया की आज़ाद भारत में अंग्रेज आकाओ की मूर्तियाँ अपनी जगह कड़ी है तो उन्होंने तोड़ने की शुरुवात कर दिया और उसके लिये उन्हें आज़ाद भारत में करीब डेढ़ 1.5 साल की जेल और जुरमाना हुआ ।
5- उत्तर प्रदेश की पहली विधान सभा से लेकर संसद तक उन्होंने विपक्ष को आवाज दिया और तमाम अपमान और चोटो के बावजूद उन्होंने सिखाया की सत्ता चाहे कितनी संख्या बल वाली बलशाली हो पर आप के इरादे मजबूत है ,आप सैधांतिक लडाई लड़ रहे है और आप का आवाज में दम है तो आप अकेले भी विपक्ष की भुमिका निभा सकते है तथा मुद्दों पर सरकार को झुकने को मजबूर कर सकते है ।
6 - उन्हने कर के दिखाया की किस तरह बना धन और ताकत के भी इंदिरा गाँधी जैसी मजबूत प्रधान मंत्री का भी हराया जा सकता है जनता की अदालत में भी और कानून की अदालत में भी ।
7-उनकी अंतिम यात्रा में जिस तरह लाखो लोग सड़को पर थे और महिलाये छतो पर थी ,नदी में लोगो से भरी नावो में नदी ही ढक गयी थी वो उनके किये को लोगो का अंतिम सलाम था .

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