बुधवार, 17 अप्रैल 2024

                                                 प्रणव मुखर्जी के राष्ट्रपति होने का मतलब 

                                                                                                                   डॉ सी पी राय 

                                                                                            स्वतंत्र राजनैतिक चिन्तक एवं  स्तंभकार 

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                             काफी वर्षों के बाद  एक परिपक्व और बहुत ज्यादा अनुभवी ,ज्ञानी और सर्वस्वीकार नेता 
भारत के राष्ट्रपति बने है । पिछले इतने सालों में जब से भी ज्यादातर  लोगो राष्ट्रपति चुनाव याद हो मुझे नहीं लगता की लोगो को इस तरह का दृश्य याद होगा की राष्ट्रपति का चुनाव इतना चर्चित हुआ हो ,इतना विवादित करने की कोशिश की गयी हो और चुनाव के बाद वैसे दृश्य देखने को मिले हो जो देश के आम चुनाव में दिखते है । सडकों पर खुशियाँ मनाते ,नाचते गाते और मिठाइयाँ बाँटते ,पटाखे छोड़ते इतनी बड़ी संख्या में लोग शायद पहले कभी याददाश्त में दिखलाई नहीं पड़े । पर दुसरे प्रत्याशी और कुछ अन्य लोगो ने इतने बड़े पद की गरिमा के साथ जो खिलवाड़ किया वो भी यद् नहीं आता है । पर दलों की सीमायें टूटी ,यहाँ तक की जो लोग राजनीतिक मजबूरी के कारण वोट खिलाफ डाल रहे थे उनमे से भी बड़ी संख्या में लोग प्रणव जी की जीत भी चाहते थे और कई अवसरों पर उनकी प्रशंसा भी कर चुके थे और चुनाव से पहले ही उन्हें बधाई भी दे चुके थे । 

                              पर प्रणव मुखर्जी जी में कुछ तो है जो औरों से अलग है ,उन्हें औरों से अलग करता है । क्या किसी को याद है की पहले किस राष्ट्रपति का चुनाव होते ही बड़े बड़े लोग एक साथ उनके घर पहुंचे हो और बाकायदा मीडिया ने उसे दिखाया हो । याद करना पड़ेगा की इससे पहले किस राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण से लेकर उनका हर कार्य पूरे समय देश भर देखा और दिखाया गया हो । ऐसा लग रहा था की  सचमुच कोई रास्त्राध्यक्ष सामने आया हो । सच कहता हूँ मुझ जैसे लोगो को भी आत्मसम्मान की अनुभूति हो रही थी आज और लग रहा था की देश को कोई दिशा देने वाला मिल गया । संवैधानिक मजबूरियां अलग जगह है पर जब किसी जिम्मेदार पद पर कोइ सचमुच  योग्य और असरदार व्यक्ति आ जाता है तो उसकी आभा बहुत सी चीजों को खुद रास्ते पर ले आती है ।शायद इसी की उम्मीद ये महान भारत महामहिम प्रणव मुखर्जी से भी लगा बैठा है ।इसिलए पूरा देश शामिल था इस चुनाव में ,इसके परिणाम में और इसके जश्न में ।

                            सवाल ये है की प्रणव मुखर्जी के कारण क्या बदल सकता है देश में ,व्यवस्था में और उनके अंदर क्या विशेषताएं है जो देश को, देश के लोगो को, समाज को ,सरकार को प्रभावित कर सकती हैं ।

               

 

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