सोमवार, 3 अक्तूबर 2011

जब हम किसी के प्रति केवल नफरत की बात करते है ,किसी को घृणा से देखते है या किसी के प्रति अपशब्दों का प्रयोग करते है तो दो बातें स्वयं स्पस्ट कर रहे होते है [१] हमारी परवरिश कैसी है और परिवार का वातावरण कैसा है [२] हम स्वयं कैसे है ? हाँ सामाजिक मुद्दों या देश काल के मुद्दों या ऐसी किसी भी बात जिससे मानवता ,समाज या देश प्रभावित होता है उस पर संतुलित ,विवेचनापूर्ण और तार्किक ,गरिमापूर्ण बहस करना हमारा अधिकार है और कर्त्तव्य भी | यह भी याद रखना चाहिए की सबसे बड़ा देश और समाज [ समाज का मतलब जाती और तथाकथित धर्म के ढकोसले वाला समाज नहीं ],मानवता ,हमारा परिवार ,माता पिता और जो भी बड़े है और जुड़े है , उसके बाद कोई संगठन या दल ,और फिर व्यक्ति आता है | जय हिंद |

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